हमारे रुटीन और नीड्स का हर आस्पेकट रुपए के गिरते मूल्य से इफेक्ट होगा। चाहे वह हमारी एजुकेशन हो, किचन हो या फिर बिजनेस।

 

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  • महंगा डॉलर सस्ता  रुपैया: डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में स्टूडेंटस से लेकर घर के बजट और कॉरपोरेट हर किसी पर इसका असर पडना तय है।

  • विदेश में पढाई महंगी: विदेश जाकर पढाई की योजना बना रहे स्टूडेंटस के लिए रुपए में जारी गिरावट बुरी खबर है। डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में आ रही गिरावट के चलते विदेश में पढाई का खर्च बढ जाएगा.

  • बढेंगी कीमतें: रुपए की कीमत में गिरावट का सीधा मतलब है कि आयात महंगा हो जाएगा। ऐसे में आयातित क्रूड ऑयल की कीमतें बढना तय है। जिसका सीधा असर घर के बजट पर नजर आएगा। इतना ही नहीं शैंपू, डिटरजेंट और सोप भी महंगा हो सकता है क्यों कि उनमें बाई प्रोडक्ट के तौर पर क्रूड ऑयल का इस्तेमाल होता है.

  • कॉरपोरेट भी नहीं रहेंगे अछूते: कॉरपोरेट सेक्टर के लिए महंगे डॉलर और कमजोर रुपए का मतलब साफ है कि उनकी आमदनी पर असर पडने जा रहा है। हालांकि इस सबके बीच आईटी और गुड़स एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों के लिए रुपए की कीमत में गिरावट किसी खुशखबरी से कम नहीं है।

  • मार्जिन: सबसे बुरा असर ऑयल कंपनियों की सेहत पर पडेगा। अगर इंटरनेशनल मार्केट में तेल की कीमतें कम भी होती हैं तब भी उन्हें इसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी पडेगी। उन कंपनियों मसलन आटो मैन्यूफैक्च्रर्स पर भी असर दिखेगा जो बढी हुई लागत का बोझ अपने कंज्यूमर्स पर डालने से कतराएंगी.

  • महंगा कर्ज: विदेशी मुद्रा में लिए गए कर्ज के लिए कंपनियों को ज्यादा पैसा चुकाना पडेगा।
    एक्सपोर्ट: एक्सपोर्ट सेक्टर और आईटी कंपनियों की चांदी है। ऐसी कंपनियां जो डील कर चुकी हैं और पेमेंट मिलना बाकी है उन्हें ज्यादा पैसा मिलेगा। टूरिज्म सेक्टर को भी इसका बेनिफट मिल सकता है.corporate

  • इंवेस्टर्स के हाथ लगेगी मायूसी: अगर रुपए की कीमत में गिरावट जारी रहेगी तो इंवेस्टर्स के हाथ मायूसी ही लगेगी। जहां मार्केट सेंटीमेंट कमजोर रहेगा वहीं यह दौर लंबा खिंचने से सेंसेक्स और रुपए की हालत में सुधार की गुंजाइश कम होती जाएगी.  फॉरेन इंस्टीटयूशनल इंवेस्टर्स भी बाजार से हाथ खींचने की कोशिश करेंगे.

     

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