-विक्टोरिया पार्क अग्निकांड की नौवीं बरसी पर पीडि़तों की आंखे नम

-मृतकों को श्रद्धांजली देने के लिए किया हवन पूजन का आयोजन

Meerut: विक्टोरिया पार्क अग्निकांड की बरसी के दिन शुक्रवार को हवन पूजन का आयोजन किया गया। हवन पूजन के दौरान राजनीतिक लोगों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक ने हवन में पहुंचकर मृतकों को श्रद्धा अर्पित किए। उधर, विक्टोरिया पार्क में मौजूद पीडि़त लोगों में एक बार फिर उस मंजर और अपने से बिछड़ने के दर्द साफ दिखाई दिया।

विक्टोरिया पार्क की नौवीं बरसी

दस अप्रैल को विक्टोरिया पार्क अग्निकांड को नौ वर्ष पूरे हो गए। इस मौके पर अग्निकांड में मारे गए लोगों की शांति के लिए हवन पूजन का आयोजन किया गया। मृतकों को श्रद्धाजंली देने के लिए राजनेताओं से लेकर प्रशासनिक अफसरों का तांता लगा रहा। इस दौरान डीएम पंकज यादव ने मृतक परिवारों को सांत्वना और मृतकों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस मौके पर सामाजिक संस्था कल्याणं करोति की ओर से डीएम पंकज यादव और एमएलसी सरोजनी अग्रवाल ने मेडिकल कॉलेज के लिए दो बॉडी फ्रीजर डोनेट किए। मौके पर मेयर हरिकांत अहलूवालिया, विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, सपा नेता राजपाल सिंह आदि लोग मौजूद रहे।

कोई उम्मीद बची नहीं

नौ साल पहले की घटना का मंजर आज भी मुझे इस तरह दिखाई पड़ता है, जैसे यह कल ही की बात हो। उस हादसे से मैं और मेरा परिवार आज तक उबर नहीं पाए हैं। लाखों रुपए खर्च कर किसी तरह से जान तो बची, लेकिन सरकार का कोई नुमाइंदा मदद को आगे नहीं आया।

विरेन्द्र कुमार

मैं और मेरी पत्नी मेले के गेट में घुसे भी नहीं थे कि अचानक भगदड़ मच गई। मेरी पत्नी का हाथ मुझसे छूट गया और उसके बाद से न तो उसका शव मिला और न शासन से कोई मुआवजा।

राकेश किरधर

आग लगी तो जैसे सबकुछ दिखना बंद हो गया। तभी अचानक ऊपर से कोई जलती हुई चीज मेरे सर पर आकर गिरी। उसके बाद आंख खुली तो मैं हॉस्पिटल में था। प्लास्टिक सर्जरी के बाद भी शक्ल बिगड़ गई। शासन-प्रशासन से मदद के नाम पर बस आश्वासन मिला।

योगेश बंसल

उस अग्निकांड में मैं और मेरे पति दोनों बुरी तरह झुलस गए थे। हॉस्पिटल में मेरा इलाज दो साल तक रेगुलर चला। जान तो बच गई, लेकिन हादसे के निशान रह गए। मदद के लिए शासन की ओर से केवल नाम मात्र का मुआवजा मिला।

विनू अग्रवाल

हमारे साथ बड़ी दुर्घटना घटी। मेरी मां की डेड बॉडी को हमारे ड्राइवर ने अपनी वाइफ बताकर मुआवजा लेना चाहा। मुआवजा नहीं मिला, लेकिन ड्राइवर ने मां की डेड बॉडी को कहीं दफन कर दिया। न तो शव मिला और न कोई प्रशासनिक मदद।

शगुन किरधर