Lucknow: संजीव कुमार और जया बच्चन की फिल्म 'कोशिश तो आपको याद ही होगी। दोनों ही एक्टर्स ने इसमें गूंगे-बहरे का रोल किया था। जबकि उनका बेटा नार्मल था। इस फिल्मी कहानी से मिलती-जुलती अपने शहर में एक फैमिली है और इस कहानी के रियल हीरो हैं आलोक कुमार अग्रवाल। उनके जीवन के उतार-चढ़ाव में हमेशा उनका साथ देती है उनकी पत्नी रेखा।

यह दोनों बचपन से ही गंूगे-बहरे हैं। बच्चे भी बोल-समझ नहीं सकते। लेकिन यह दोनों किसी के मोहताज नहीं। अपनी मेहनत के बल पर इन्होंने निशातगंज में अपना बिजनेस शुरु किया और आज एक अच्छी लाइफ जी रहे हैं।

 

बेटे को भेज दिया था

आलोक का जीवन संघर्ष भरा रहा। 1998 में पिता एक्सपायर हो गए। 1999 में छोटे भाई के नाम पर मकान हो गया और आलोक किराए के मकान में रहने लगे। जानकारों के मुताबिक आलोक और रेखा ऐशबाग स्थित मूक-बधिर विद्यालय में पढ़ते थे। दोनों अग्रवाल परिवार से ताल्लुक रखते थे। लिहाजा रेखा के फैमिली मेम्बर्स ने रिश्ता सामने रखा और दोनों की शादी तय हो गई। पिता बुद्धराम अग्रवाल ने आलोक को व्यापार के लिए आर्थिक मदद दी, लेकिन आलोक इतना ज्यादा खुद्दार था कि इस रकम को कुछ ही महीनों में पिता को वापस भी कर दिया।

 

बच्चे भी नहीं बोल पाते

यह पूरा परिवार मूक-बधिर है। बच्चे भी न तो सुन पाते हैं और न ही बोल पाते हैं। इसके बावजूद उनमें जबरदस्त आत्मविश्वास है। वह हर बात को आसानी से समझ लेते हैं। बेटा शुभम तो बचपन से ही अपने मामा कैलाश अग्रवाल के पास रह रहा है। वजह यह थी कि मामा-मामी नार्मल थे और बेटा बचपन से ऐसे माहौल में रहे कि वह बोल-सुन सके। इस समय वह अमीनाबाद इंटर कॉलेज में क्लास 12 का स्टूडेंट है।

वह सामान्य स्टूडेंट के बीच ही पढ़ रहा है और आसानी से चीजों को समझ रहा है। वहीं बेटी तनु नवयुग इंटर कॉलेज में क्लास 10 की स्टूडेंट है। वह भी नॉर्मल स्टूडेंट के साथ ही पढ़ रही है और मुंह के इशारों से ही वह बातों को समझ जाती है। तनु की मेमोरी इतनी शार्प है कि उसने एनसीईआरटी की किताबों को पढ़कर एग्जाम पास किया। मामा कैलाश ने बताया कि उनकी सिस्टर रेखा भी गजब की आर्टिस्ट है। एक बार जो देख लेती है हूबहू वैसी ही पेंटिंग बना देती है। लेकिन उसकी आर्ट को पहचान नहीं मिल सकी।

नौकर भी हैं गूंगे बहरे

आलोक को डीफ एंड डम्ब लोगों की मदद करना बहुत अच्छा लगता है। यही वजह है कि वह अपने डिपार्टमेंटल स्टोर में नौकर भी गूंगे-बहरे रखते हैं। हालांकि कई बार वह इनसे धोखा भी खा चुके हैं। फिर भी वह डीफ एण्ड डम्ब नौकर ही रखते हैं। आलोक अपने ग्राहकों की भाषा इशारों में समझते हैं। कस्टमर जैसे ही कुछ बोलता है तो वह वह उसके लिप्स की मूवमेंट देखकर उसकी बात को आसानी से समझ लेते हैं। यदि कोई उन्हें कुछ उल्टा सीधा बोलता है तो वह भी उसे इजिली समझ लेते हैं।

Reported By : Amin Ullah Khan