-न रहने की सुविधा सही न ही खाने की व्यवस्था ही दुरूस्त

PATNA: एक ओर खिलाड़ी मैदान में मेहनत और पसीना बहाकर प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर खेल से संबंधित आला अधिकारी से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचारी उनको मिलने वाली सुविधाओं पर डाका डाल रहे हैं। बिहार सरकार के बड़े खेल आयोजनों में एक एकलव्य प्रतियोगिता में सभी जिले की टीमों ने हिस्सा लिया। कड़कड़ाती ठंड में प्रदेश के कोने-कोने से खिलाड़ी पाटलिपुत्र स्पोर्टस काम्प्लेक्स पटना में जुटे हैं। लेकिन उनको ठहराने के नाम पर कमरे में पतले गद्दे और कंबल दे दिए गए। जिससे खिलाड़ी रातभर ठिठुरते रहते हैं। कोई भी अधिकारी या आयोजक यह देखने तक नहीं पहुंचा कि रात में खिलाडि़यों को कोई परेशानी तो नहीं हो रही। दैनिक जागरण आई नेक्स ने जब पाटलिपुत्र स्पोर्टस काम्पलेक्स के हॉस्टल का विजिट किया तो हर ओर लापरवाही ही दिखी। पेश है रिपोर्ट।

सूखी जमीन भी नसीब नहीं

आखिर खिलाड़ी दिन भर जी जान से खेलने के बाद जब सोने के लिए हॉस्टल आते हैं तो उन्हें सूखी जमीन भी नसीब हुई। सोने के लिए जहां दरी बिछी हुई थी वहां बाथरूम से लीक हो रहा पानी फैला हुआ था। बेतिया के फुटबॉल खिलाड़ी संदीप ने बताया कि एक तो जमीन पर दरी बिछी है, वह भी गीली हो गई तो कैसे सोएंगे। ऐसे में खिलाड़ी बीमार पड़ सकते हैं।

पतले कंबल के सहारे कट रही रात

एक छोटे से कमरे में 15 से 18 खिलाडि़यों को गुजारा करना पड़ रहा है। इस भीषण ठंड में प्रत्येक खिलाड़ी को दो पतले कंबल से रहना तो दूर, गुजारा करना भी मुश्किल हो रहा है। हॉस्टल के ग्राउंड फ्लोर और फ‌र्स्ट फ्लोर, दोनों पर यही आलम दिखा। हद तो यह है कि जब इस बारे में खेल प्राधिकरण से बात की गई तो अधिकारी ने कहा कि खिलाड़ी जोश में रहते हैं, उन्हें ठंड नहीं लगती।

बदतर हाल में थे खिलाड़ी

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम सबसे पहले ग्राउंड फ्लोर के रूम नंबर जीए-2 में गई। यहां पूर्णिया की बैडमिंटन टीम थी। यहां 18 लोगों को एक छोटे से कमरे में रखा गया था। ठंड से बचने का कोई इंतजाम नहीं था। इसके बाद फ‌र्स्ट फ्लोर के रूम नंबर 103 में टीम गई। यहां बेतिया की फुटबॉल टीम को ठहराया गया था। यहां सोने वाले स्थान पर ही पानी बह रहा था। इसी प्रकार रूम 104 में रूम हीटर या अन्य कुछ इंतजाम नहीं था। रात में ठंड से खिलाडि़यों का काफी परेशानी हो रही है।

खिलाड़ी जमीन पर, कोच ऊपर

हॉस्टल में रह रहे खिलाडि़यों से भेदभाव बरती जा रही है। जहां एक ओर एक कमरे में 15 से 18 खिलाडि़यों को जमीन पर सोने की व्यवस्था की गई है। वहीं उसी कमरे में लोहे के दो सिंगल बेड पर कोच और टीम मैनेजर के सोने की व्यवस्था की गई है।

खाना था, खिलाने की व्यवस्था ही नहीं

पाटलिपुत्र स्पोटर्स काम्प्लेक्स में खाने-पीने की व्यवस्था भी सही नहीं दिखी। यहां अंडे के रैक पर रोटी सेंक कर रखी जा रही थी। खाना बनाने में साफ- सफाई का ध्यान नहीं रखा जा रहा था। खिलाडि़यों को खाना खिलाने के लिए एक टेंट में व्यवस्था की गई थी। यहां खिलाड़ी लंबी लाइन में लगकर अपनी पारी का इंतजार कर रहे थे। सलाद जमीन पर ही काटा जा रहा था। खाना ताजा बनाया गया था लेकिन इसे सर्व करने की व्यवस्था बेहद खराब थी। खिलाड़ी इस भीषण ठंड में जमीन पर बैठकर खाना खाने को मजबूर दिखे।

यह कैसा खाना

सुबह का नाश्ता

चाय, बिस्कुट, छह ब्रेड बटर के साथ, एक केला, दो अंडा, दलिया या कार्नफ्लेक्स और दूध (200 एमएल)

दोपहर खाना

चावल, रोटी, स?जी, भुजिया, सलाद

शाम का नाश्ता

चाय और बिस्कुट

रात का खाना

चावल, रोटी, दाल, स?जी, चिकेन। साथ में खीर या सेवई

हमें जो राशि मिल रही है वह पर्याप्त नहीं है। इस संबंध में कला संस्कृति एवं युवा विभाग को पत्र भी लिखा गया है।

-राज शेखर, कैंटीन, प्रबंधक

हमलोग पूर्णियां से यहां खेलने आए हैं। यहां बहुत ठंड है और दो पतली सी कंबल मिली है ओढ़ने को।

-सौरभ कुमार, सदस्य बैडमिंटन टीम, पूर्णिया

जब से यहां आए हैं यही व्यवस्था है आखिर किसी से क्या कहें। दूसरे कमरों में भी यही हाल है।

-अमित कुमर, सदस्य बैडमिंटन टीम, पूर्णिया

मेरे कमरे में बेड के सामने ही दूसरे कमरे के बाथरूम से पानी लीक कर रहा है। कैसे सोएं?

-गौरव कुमार, फुटबॉल टीम, बेतिया

पटना की टीम को हराकर खुश हैं। हालांकि यहां ठहरने की व्यवस्था संतोषजनक नहीं है।

-राहुल हेम्ब्रम, फुटबॉल टीम, भागलपुर