नहीं भूले अपना काम
भले ही इलाहाबाद यूनिवर्सिटी बन्द चल रही हो। लेकिन स्टूडेंट लीडर्स अपना काम भूले नहीं हैं। हास्टल्स में उनकी कैंपेनिंग जोरों पर चल रही है। मगर, अफसोस कि स्टूडेंट्स लीडर्स तो अपना काम जारी रखे हुए हैं लेकिन एयू एडमिनिस्ट्रेशन खुद की रेसपांसिबिलिटी भूल बैठा। जी हां, एयू एडमिनिस्ट्रेशन के आफिसर्स ने जब तक कैंपस ओपन था, तब तक कैम्पस से पोस्टर बैनर हटाए जाने के लिए खूब हाथ पैर मारे। लेकिन कैंपस के क्लोज होते ही सभी छुटट्ीयां मनाने में मशगूल हो गए।
खूब चला था campaign
उल्लेखनीय है कि स्टूडेंट्स लीडर्स ने संभावित इलेक्शन को देखते हुए कैम्पस ओपन रहने के समय जोरदार कैम्पेन चला रखा था। इससे कैम्पस में हर जगह पोस्टर बैनर की बाढ़ आई हुई है। जिसे हटवाने के लिए एयू एडमिनिस्ट्रेशन ने डिस्ट्रिक एडमिनिस्ट्रेशन से हेल्प मांगी थी। लेकिन पुलिस फोर्स न मिलने के कारण अभियान नहीं चल सका था।
Officersने खड़े कर दिए थे हाथ
सोर्सेस का कहना है कि पुलिस न मुहैया करवा पाने की बड़ी वजह किसी तरह के हंगामें की आशंका थी। जिससे निपटने के लिए ज्यादा पुलिस बल की आवश्यकता पड़ती। यही कारण था कि पुलिस के आफिसर्स ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे।
दबी जुबान हो रही आलोचना
उधर, एयू में छुट्टी होने के बाद से गायब चल रहे आफिसर्स की आलोचना का दौर भी शुरु हो गया है। कुछ टीचर्स का कहना है कि यदि करेंट में यह काम निपटाया जाता तो न ज्यादा पुलिस फोर्स की आवश्यकता होती और न ही स्टूडेंट्स की गैदरिंग के चलते किसी प्रकार के विरोध का सामना करना पड़ता। अब कैंपस ओपन होने के बाद दोबारा से उसी टेंशन का सामना करना पड़ेगा। इसका सीधा इफेक्टक्लासेस पर पड़ेगा। इसकी संभावना इसलिए भी प्रबल है। क्योंकि कैम्पस ओपन होने के बाद स्टूडेंट्स लीडर की कैम्पेनिंग दोबारा से जोरों पर होगी और वे नहीं चाहेंगे कि उनके खर्च से चल रही कैंपेनिंग को कोई नुकसान पहुंचे।
पहले ही disturb है campus
बता दें कि एयू कैम्पस पहले से ही काफी डिस्टर्ब चल रहा है। एयू में एडमिशन प्रासेस की देरी के चलते क्लासेस देर से शुरु हुईं तो इलेक्शन को लेकर हुए बखेड़े में कई बार कैम्पस को बन्द करवा दिया गया। जिससे एकेडमिक सेशन के स्टार्ट होने के बाद से क्लासेस पटरी पर नहीं आ सकी हैं। यह हालात तब हैं। जब कैंम्पस ओपन होते ही स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन की घोषणा भी हो जाएगी।
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