- चुनाव आचार संहिता से प्रभावित हो रही हैं शादियां

- अप्रैल-मई में हैं जोरदार लगन, कैमरा, गाड़ी और होटलों में कमरे बुक कराना मुश्किल

vineet.tiwari@inext.co.in

ALLAHABAD: कहते हैं जोड़े स्वर्ग में बनते हैं लेकिन मुसीबतें तो धरती पर ही पैदा होती हैं। कुछ ऐसा ही चुनावी सीजन में देखने को मिल रहा है। जिनके घरों में शादियां हैं वह चारों ओर से परेशानियों से घिर चुके हैं। होटल और धर्मशालाओं में कमरे, ट्रेवल एजेंसी से गाडि़यां और रिकार्डिग के लिए वीडियो कैमरे तो ढूंढे से नहीं मिल रहे हैं। सब पर चुनाव आयोग की नजर लगी हुई है। और, हो भी क्यों ना, सात मई को जिले में वोट पड़ने हैं। जरूरत तो प्रशासन को भी हैं। ऐसे में कुछ ने तो जैसे-तैसे शादी की तैयारी शुरू कर दी है तो कुछ कार्ड छपवाने के बाद बांटने से कतरा रहे हैं।

शादी नहीं चुनाव की वीडियोग्राफी है ज्यादा जरूरी

शादियों में रिकार्डिग के लिए जिन्होंने वीडियो कैमरे बुक कराए थे, अब वह परेशान हैं। बहुतों की बुकिंग कैंसिल हो गई है तो कहीं जरूरत से ज्यादा पैसे मांगे जा रहे हैं। रीजन साफ है, लोकसभा चुनाव के दौरान प्रशासन को सात से आठ सौ कैमरों की जरूरत है। पोलिंग सेंटर से लेकर संवेदनशील और अतिसंवेदनशील बूथों की वीडियोग्राफी होनी है। इसके अलावा स्टेटिक, फ्लाइंग स्क्वॉड और निगरानी टीम को भी कैमरे एलॉट किए गए हैं। ना-नुकुर की गुंजाइश नहीं है। हर हाल में प्रशासन को कैमरे देने ही होंगे। अब जिन्होंने ने पहले से कैमरे की बुकिंग करा रखी थी, उनको अब इंकार सुनना पड़ रहा है। अचानक कैमरे का प्रबंध करना उनके लिए दिक्कतों भरा साबित हो रहा है।

अभी भी फंसा है ख्भ् लाख रुपए का भुगतान

प्रशासन की ओर से चुनाव में वीडियो कैमरों का बंदोबस्त करने के लिए कई बार टेंडर निकाले गए लेकिन लोगों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। फिलहाल बाद में पुराने कांट्रेक्ट शंकर को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। शंकर बताते हैं कि एक शादी में तीन से चार हजार रुपए मिल जाते हैं लेकिन चुनाव में हमें घाटा ही होता है। एक कैसेट मार्केट में क्भ्0 रुपए की आती है जबकि आयोग की दर ख्0 रुपए की है। वह तब जब हम सीडी बनाकर देंगे। टूट-फूट की भी कोई गारंटी नहीं है। लेकिन मजबूरी है कि कोई दुकानदार प्रशासन को इंकार नहीं कर सकता। उनकी मानें तो विधानसभा चुनाव ख्0क्ख् और हंडिया बाई इलेक्शन आदि का ख्भ् लाख रुपए वीडियोग्राफी का बकाया है। कुछ कैमरे का जुगाड़ प्रशासन मनरेगा से भी कर रहा है।

चाची, फूफी और दादी कहां ठहरेंगी

अब घर में शादी है तो रिश्तेदार आएंगे ही। संख्या इतनी ज्यादा होगी कि उन्हें आसपास के होटल, धर्मशाला या स्कूल में ठहराया जाएगा। खैर शादी के सीजन में आसानी से यह संभव नहीं है। हो सकता है आपने आज किसी होटल में चार कमरे बुक कराए हों और ऐन वक्त पर उनकी बुकिंग कैंसिल हो जाए। ऐसा होता है कि क्योंकि, बाहर से आने वाली फोर्स को ठहराने के लिए संबंधित थाने की ओर से एरिया के होटलों में तीन से चार कमरे बुक करा लिए जाते हैं। इतना ही नहीं बाहर ने आने वाले चुनाव पर्यवेक्षक या अन्य अधिकारियों को भी होटल्स में स्टे दिया जाता है। इनके लिए भी कमरों की जरूरत होती है। इसलिए जिनके घरों में शादियां हैं वह इस डर से पड़ोसियों के यहां रिश्तेदारों को ठहराने का जुगाड़ ढूंढ रहे हैं।

वैसे भी कमरे हो जाएंगे फुल

जैसे-जैसे चुनावी सुरूर चढ़्रेगा, होटलों में कमरे मिलना मुश्किल होगा। राजनीतिक दल और प्रत्याशी अपनी चुनावी तैयारियों और प्रचार-प्रसार के लिए सैकड़ों की संख्या में बाहर से लोगों को बुलाने मे जुटे हैं। इनमें तो कई बाहरी जिलों के भी होते हैं। इनको ठहराना भी दिक्कतों भरा होता है। इन्हें शहर के होटलों और धर्मशालाओं में कमरे बुक कराकर दिए जाते हैं। ऐसे में शादी वाले घरों के नाते-रिश्तेदारों और दोस्तों को आसानी से होटलों में ठहराए जाने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता है।

ट्रेवल एजेंसी में बची नहीं गाडि़यां

बारात में जितनी गाडियां होंगी, उतना ही रौब बढ़ेगा। लेकिन, इस बार ये संभव नहीं हो सकेगा। चुनाव आयोग सहित प्रत्याशियों को अपने कामों के लिए फोर व्हीलर्स की जबरदस्त जरूरत है। ट्रेवल एजेंसीज के पास प्रशासन का इस संबंध में लेटर भी पहुंच चुका है। ऑफिसर्स को कुल भ्भ्0 गाडि़यां चाहिए, जिनमें से ख्00 के आसपास विभागों से मिल गई लेकिन बाकी तो ट्रेवल एजेंसीज से ही निर्धारित दरों पर ली जाएंगी। इसके अलावा प्रत्याशियों को भी प्रचार-प्रसार के लिए गाडि़यों की सख्त जरूरत है। शहर में सौ के आसपास ट्रेवल एजेंट हैं और सभी की हालत खराब है। शादियों में मोटी रकम मिलने के बावजूद वह गाडि़यां उन्हें मुहैया नहीं करा पा रहे हैं।

कौन बचाएगा इन्कम टैक्स विभाग से

वैसे तो चुनाव आयोग ने जनरल पब्लिक के लिए कैश लेकर चलने की सीमा क्0 लाख तक निर्धारित कर रखी है लेकिन इससे अनजान लोग नियमों को लेकर खौफजदा हैं। वह भ्0 हजार रुपए लेकर भी चलने में कतरा रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं जांच में वह फंस न जाएं। उधर आयोग की ओर से आरटीजीएस पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। बैंकों को सख्त निर्देश है कि इस माध्यम से होने वाले ट्रांजेक्शन या मनी ट्रांसफर की जानकारी प्रशासन को दी जाए। शादी-ब्याह में लोग हजारों-लाखों रुपए आपस में उधार लेते हैं, जिसकी कोई लिखापढ़ी नहीं होती है। ऐसे में अगर वह जांच में फंस गए तो पैसे जब्ती के पूरे आसार होंगे और आयकर विभाग के सवालों के जवाब भी देते नहीं बनेगा।

छपे कार्ड बंटवाने में प्राब्लम

इस बार क्म् अप्रैल से शुरू होने वाली लगन जून तक चलेगी। खासतौर से सात मई को बेहतर नक्षत्र होने की वजह से जोरदार लगन है। बहुत से लोगों ने इस दिन शादी की डेट फिक्स की थी जो अब पछता रहे हैं। ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि उनके कई यजमानों ने तो कार्ड भी छपवा लिए लेकिन वह बांटने से परहेज कर रहे हैं। वह नहीं चाहते कि वोटिंग वाले दिन उन्हें किसी तरह की दिक्कत का सामना करना पड़े। अब वह या तो शादी की डेट इससे पहले या फिर जून में ले जाने की कोशिश में हैं। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि जिले की दोनों सीटों का चुनाव एक ही दिन है, जिससे दूर-दूर राहत मिलना मुश्किल है।

कुर्सी-मेज भी नसीब नहीं

शादियों में टेंट या कुर्सी-मेज चाहिए तो अभी से बुक करा लीजिए। हो सकता है बाद में दोगुना पैसा देने पर भी जवाब में इंकार सुनने को मिले। हालात यह है कि शहर के कई टेंट हाउस में अभी से लेकर सात मई तक शामियाने सहित अन्य चीजें बुक करा ली गई हैं। प्रत्याशियों द्वारा गर्मी सीजन में सभाएं आयोजित करने के लिए इनकी खास जरूरत है। साथ ही प्रशासन को भी बड़ी मात्रा में ये चीजें चाहिए। टेंट हाउस ओनर विवेक बताते हैं कि हमारे पास पूरा स्टाक बुक हो चुका है और अब शादियों में किराए पर देने के लिए कुछ नहीं बचा है। मजबूरी में लोगों को इंकार करना पड़ रहा है।

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जिले में चुनाव शेड्यूल-

क्ख् अप्रैल- नामांकन की शुरुआत

क्9 अप्रैल- नामांकन की अंतिम तारीख

ख्क् अप्रैल- नामांकन पत्रों की जांच

ख्फ् अप्रैल- नाम वापसी की अंतिम तारीख

सात मई- मतदान की तारीख

शादियों की लगन डेट-

क्म्, क्8, ख्0, ख्क्, ख्ख्, ख्फ्, ख्ब् अप्रैल और क्, 7, 8, क्0, क्क्, क्भ्, क्7 मई

(बृहस्पति को शादी का कारक ग्रह माना जाता है। जून में इसकी राशि बदल रही है, ऐसे में आने वाली लगन काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। वहीं सात मई को बैशाख शुक्ल की अष्टमी जया तिथि है जो शादी के अति शुभ लगन माना जा रहा है.)

चुनाव संपन्न कराने के लिए 800 से 900 कैमरे मांगे गए हैं। इसके इंतजाम किए जा रहे हैं। पोलिंग सेंटर, संवदेनशील बूथ, निगरानी टीम से लेकर हर जगह इस बार वीडियोग्राफी होनी है।

-काली शंकर दीक्षित, सहायक मनोरंजन कर आयुक्त व वीडियोग्राफी प्रभारी लोकसभा चुनाव

चुनाव के दौरान होटल में चुनाव पर्यवेक्षकों व दूसरे अधिकारियों को ठहराने के लिए कमरे बुक कराए जाते हैं। अगर पार्टी प्रत्याशी या उनके लोग ठहरते हैं तो इसकी जानकारी हमें देनी होती है।

-सरदार जोगिंदर सिंह, ओनर, होटल मिलन

अक्सर जरूरत को देखते हुए चुनाव से पहले संबंधित थाने के अधिकारी एरिया के होटलों के तीन-चार कमरे बुक करा लेते हैं। उनको यहां बाहर से आने वाले पुलिस अधिकारियों व फोर्स को ठहराना होता है। अगर किसी को शादी के लिए रूम चाहिए तो दिक्कत पेश आ सकती है।

-गौरेश आहूजा, ओनर, रायल होटल

प्रशासन की ओर से व्हीकल्स की मांग की जा रही है। हमारे पास इसकी सूचना भेज दी गई है। साथ ही राजनीतिक दल के लोगों को भी बड़ी संख्या में एसयूवी की जरूरत है। शादियों में किराए पर गाडि़यां मिलना मुश्किल है।

-अनूप, ओनर, ट्रेवल एजेंसी

इस बार अप्रैल से जून तक जोरदार लगन है। जिन लोगों ने पहले से शादी की डेट फिक्स कर रखी थी उन्हें चुनाव की वजह से दिक्कत पेश आ रही है। जिनकी शादी सात मई या इससे एक या दो दिन आगे पीछे है, उन्होंने कार्ड बांटने से इंकार कर दिया है। अब वह दूसरी लगन की तलाश में हैं।

-अमित बहोरे, ज्योतिषाचार्य