बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के कैंडीडेट नरेंद्र मोदी कानपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। और इस बात का डिसीजन भी कानपुर में सैटरडे को उनकी रैली में उमड़ी लाखों लोगों की भीड़ व सोशल मीडिया कैंपेन से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर लिया गया है। इस बात की फॉर्मल डिक्लेरेशन भले न की गई हो, लेकिन ये बात ओपन सीक्रेट बन गई है। रैली के दौरान ‘वॉर रूम’ से मोदी के दर्जनों तरह के फेस बुक पेजों, ट्विटर, वॉट्स एप जैसे सोशल मीडिया पर स्टेटस अपडेट करने में लगे मोदी की संवाद सेल और बीजेपी की आईटी सेल के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों ने इस बात की तस्दीक की है। उनके अनुसार मोदी को डिसीजन लेने के लिए कानपुर की रैली के रिस्पांस, ऑनलाइन आंकड़ों और इंटरनेट से जुटाए जा रहे कानपुर परिक्षेत्र के फीडबैक का इंतजार था। यहां तक कि रैली में दिए गए भाषण को सोशल मीडिया पर लगातार मिल रहे कानपुर संबंधित आंकड़ों के आधार पर ही अपडेट किया जाता रहा.
तो इस तरह बनाई ओपिनियन
नरेंद्र मोदी के ‘संवाद सेल’ के राष्ट्रीय पदाधिकारी शरद कुमार त्रिपाठी, बीजेपी आईटी सेल के यूपी के कनवीनर करुणेश शर्मा और बनारस से आए आईटी सेल के ही कनवीनर शैलेश पांडे ने बताया कि नरेंद्र मोदी के लिए उनके ही नाम से बने उनके फेस बुक पेज, मिशन 2014 पेज सहित हाल में बनी साइट इंडिया 272 डॉट कॉम पोर्टल पर जबर्दस्त तरीके से देश भर की पब्लिक से क्षेत्रवार फीडबैक लिए जा रहे हैं। ‘इंडिया 272’ पर तो हर प्रदेश, प्रदेश के जिलों और तहसीलों तक के अलग सेक्शन बने हैं। वहीं अलग-अलग प्रोफेशन के लोगों के लिए भी सेक्शंस हैं। इनपर मोदी के लिए मिलने वाले फीडबैक्स को सावधानी से एकत्र किया जाता है। यहां तक की मोदी और और बीजेपी के फेसबुक पेजेज पर अपलोड होने वाली पिक्चर्स, टेक्स्ट और विभिन्न मुद्दों पर मिलने वाले कमेंट्स और लाइक्स को बड़े पैमाने पर फीडबैक के तौर पर उठाया जाता है। फेसबुक और कानपुर में होने वाली रैली के नोटिफिकेंशंस डालने के दिन से ही उसपर मिले कमेंट्स व फीडबैक को सावधानी से एकत्र करने के आदेश थे। राष्ट्रीय पदाधिकारी शरद त्रिपाठी ने खुलासा किया कि ‘खुद मोदी जी के अनुसार सोशल मीडिया पर कानपुर के लोगों के फीडबैक के आधार पर ही वो लखनऊ या कानपुर में से किसी एक को चुनाव लडऩे के लिए चुनेंगे’ और उसके बाद रैली की शुरुआत में ही मोदी ने कहा कि कानपुर ने मुझे जीत लिया
यहां था ‘वॉर फील्ड’ जैसा नजारा
बीजेपी के नगर स्तर के पदाधिकारियों ने बताया था कि मोदी के रैली स्थल पर एक हाईटेक वॉर रूम बनाया गया है। लेकिन असल में ये वॉर रूम और उसके आईटी एक्सपर्ट्स मोदी के साथ-साथ उनकी हर रैली में पहुंच रहे हैं और चल रहे हैं। इस वॉर रूम में सुबह से पार्टी के लगभग 10 आईटी एक्सपर्ट्स (इनमें कई आईआईटियंस) एक साथ फेसबुक पर नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी मिशन 2014, कानपुर बीजेपी, नगर पदाधिकारियों, यूपी प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अमित शाह का पेज, युवा फॉर बीजेपी सहित इंडिया 272 डॉट कॉम को हर पल अपडेट कर रहे थे। सारे एक्सपर्ट्स अपने नाम से बने पेजों पर भी फीडिंग करते जा रहे थे। पब्लिक के बीच में सभी दीर्घाओं में और मंच पर खड़े पार्टी के फोटोग्राफर्स लगातार ला-ला कर वॉर रूम में फोटोग्राफ्स चिप में देते जा रहे थे, जिन्हें तेजी से कैप्चर करके इन पेजेज और साइटों पर अपलोड किया जा रहा था। दो एक्सपर्ट्स फोटोग्राफ्स के कैप्शन और टेस्ट हिंदी, इंग्लिश, यहां तक की गुजराती में लिखते जा रहे थे। इतना ही नहीं, लेटेस्ट स्मार्ट फोन हैंडसेट्स से लैस संवाद सेल के लगभग 50 सदस्य पब्लिक के बीच मोबाइल से ही फोटो खींचकर, वॉयस रिकार्ड करके और छोटी-छोटी क्लिपिंग्स बनाकर वॉट्स एप, लाइन और वी चैट जैसी एप्स से अपलोड करते जा रहे थे। ये आईटी एक्सपर्ट्स संवाद सेल का हिस्सा हैं. 
मोदी के साथ ‘चलता’ है वॉर रूम
संवाद सेल के नेशनल कोआर्डिनेटर शरद त्रिपाठी ने बताया कि हर आईटी एक्सपर्ट को पर मिनट, पर सेकेंड के हिसाब से सोशल मीडिया पर अपग्रेडेशन करते रहना पड़ता है। इसमें गलती की या शिथिलता की गुंजाइश नहीं है। वहीं ये भी बताया कि वॉर रूम मोदी की हर जनसभा से पहले वहां सेटअप कर दिया जाता है। शनिवार की शाम को ही ये सभी लोग मोदी की अगली रैली के लिए झांसी पहुंच कर डेरा डाल लेंगे. 
इसलिए खजाने पर कुछ नहीं बोले
मोदी के वॉर रूम के ‘लड़ाकों’ के ही अनुसार फेसबुक पर कानपुर की पब्लिक से मिले फीडबैक के कारण ही मोदी ने डौंडिया खेड़ा के खजाने पर एक शब्द भी नहीं बोला। दरअसल चेन्नई की जनसभा के बाद मीडिया में छपे बयान के अनुसार उन्होंने कहा कि ‘शोभन सरकार के कहने पर केंद्र सरकार जमीन से खजाना खुदवाने भी लगी’। इसपर कानपुर के लोगों ने थोड़ी तीखी प्रतिक्रिया दी थी। मोदी के भाषण के लिए चूंकि लगातार सोशल मीडिया से फीडबैक ली जाती रही, मोदी कानपुर में खजाने पर कुछ भी बोलने से बचे। क्योंकि मामला लोगों की भावनाओं से जुड़ा था. 
और दे दिया डिसीजन का ‘संकेत’
मंच पर माइक संभालते ही नरेंद्र मोदी ने कानपुर की पब्लिक का अभिवादन करते हुए बाहें फैलाकर कहा कि जहां तक देखो मुंड ही मंड (सिर ही सिर) नजर आ रहे हैं। ‘कानपुर के लोगों आप ने नरेंद्र मोदी को जीत लिया’ रिकार्ड तोड़ हुजूम देखकर गदगद हुए मोदी के सेंटेंस का मतलब कानपुर से चुनाव लडऩे का संकेत था। वहीं जानकारों का ये भी कहना है कि कानपुर और बिठूर की धरती की 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्र्राम में अहम भूमिका की बात मोदी से लेकर राजनाथ सिंह ने बार-बार दोहराई। रैली का नाम ‘विजय शंखनाद रैली’ रखे जाना भी खुद में इसी बात की ओर संकेत करता है कि मोदी ने कानपुर से लोकसभा चुनाव लडऩे का मन बनाया है। वो फाइनली सोशल मीडिया और रैली का रिस्पांस व फीडबैक चाह रहे थे। अगर किसी बड़े कारण से डिसीजन पलटता नहीं है तो घोषणा भी जल्द ही हो सकती है.
मोदी के छह आईटी महारथी
आईटी सेल और संवाद सेल के पदाधिकारियों के अनुसार मोदी खुद भी टेक्नो सैवी हैं। वो खुद जरा सा समय मिलते ही अपने स्मार्ट फोन पर सोशल मीडिया के अपने पेज, ब्लॉग्स और वेबसाइट पर टाइम देते हैं। वहीं नई बात ये कि मोदी अपने साथ 6 स्पेशल और डिवोटिड आईटी इंजीनियर्स रखते हैं। इन 6 आईटी इंजीनियर्स की टीम हर समय, हर जगह मोदी के साथ होती है। जानकारों के अनुसार ये आधा दर्जन इंजीनियर्स आईआईटियंस हैं और मोदी के लिए इंअरनेट और सोशल मीडिया वॉर की पूरी स्ट्रेटजी बनाते व इंप्लीमेंट करते हैं.
बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के कैंडीडेट नरेंद्र मोदी कानपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। और इस बात का डिसीजन भी कानपुर में सैटरडे को उनकी रैली में उमड़ी लाखों लोगों की भीड़ व सोशल मीडिया कैंपेन से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर लिया गया है। इस बात की फॉर्मल डिक्लेरेशन भले न की गई हो, लेकिन ये बात ओपन सीक्रेट बन गई है। रैली के दौरान ‘वॉर रूम’ से मोदी के दर्जनों तरह के फेस बुक पेजों, ट्विटर, वॉट्स एप जैसे सोशल मीडिया पर स्टेटस अपडेट करने में लगे मोदी की संवाद सेल और बीजेपी की आईटी सेल के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों ने इस बात की तस्दीक की है। उनके अनुसार मोदी को डिसीजन लेने के लिए कानपुर की रैली के रिस्पांस, ऑनलाइन आंकड़ों और इंटरनेट से जुटाए जा रहे कानपुर परिक्षेत्र के फीडबैक का इंतजार था। यहां तक कि रैली में दिए गए भाषण को सोशल मीडिया पर लगातार मिल रहे कानपुर संबंधित आंकड़ों के आधार पर ही अपडेट किया जाता रहा.

तो इस तरह बनाई ओपिनियन

नरेंद्र मोदी के ‘संवाद सेल’ के राष्ट्रीय पदाधिकारी शरद कुमार त्रिपाठी, बीजेपी आईटी सेल के यूपी के कनवीनर करुणेश शर्मा और बनारस से आए आईटी सेल के ही कनवीनर शैलेश पांडे ने बताया कि नरेंद्र मोदी के लिए उनके ही नाम से बने उनके फेस बुक पेज, मिशन 2014 पेज सहित हाल में बनी साइट इंडिया 272 डॉट कॉम पोर्टल पर जबर्दस्त तरीके से देश भर की पब्लिक से क्षेत्रवार फीडबैक लिए जा रहे हैं। ‘इंडिया 272’ पर तो हर प्रदेश, प्रदेश के जिलों और तहसीलों तक के अलग सेक्शन बने हैं। वहीं अलग-अलग प्रोफेशन के लोगों के लिए भी सेक्शंस हैं। इनपर मोदी के लिए मिलने वाले फीडबैक्स को सावधानी से एकत्र किया जाता है। यहां तक की मोदी और और बीजेपी के फेसबुक पेजेज पर अपलोड होने वाली पिक्चर्स, टेक्स्ट और विभिन्न मुद्दों पर मिलने वाले कमेंट्स और लाइक्स को बड़े पैमाने पर फीडबैक के तौर पर उठाया जाता है। फेसबुक और कानपुर में होने वाली रैली के नोटिफिकेंशंस डालने के दिन से ही उसपर मिले कमेंट्स व फीडबैक को सावधानी से एकत्र करने के आदेश थे। राष्ट्रीय पदाधिकारी शरद त्रिपाठी ने खुलासा किया कि ‘खुद मोदी जी के अनुसार सोशल मीडिया पर कानपुर के लोगों के फीडबैक के आधार पर ही वो लखनऊ या कानपुर में से किसी एक को चुनाव लडऩे के लिए चुनेंगे’ और उसके बाद रैली की शुरुआत में ही मोदी ने कहा कि कानपुर ने मुझे जीत लिया

यहां था ‘वॉर फील्ड’ जैसा नजारा

बीजेपी के नगर स्तर के पदाधिकारियों ने बताया था कि मोदी के रैली स्थल पर एक हाईटेक वॉर रूम बनाया गया है। लेकिन असल में ये वॉर रूम और उसके आईटी एक्सपर्ट्स मोदी के साथ-साथ उनकी हर रैली में पहुंच रहे हैं और चल रहे हैं। इस वॉर रूम में सुबह से पार्टी के लगभग 10 आईटी एक्सपर्ट्स (इनमें कई आईआईटियंस) एक साथ फेसबुक पर नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी मिशन 2014, कानपुर बीजेपी, नगर पदाधिकारियों, यूपी प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अमित शाह का पेज, युवा फॉर बीजेपी सहित इंडिया 272 डॉट कॉम को हर पल अपडेट कर रहे थे। सारे एक्सपर्ट्स अपने नाम से बने पेजों पर भी फीडिंग करते जा रहे थे। पब्लिक के बीच में सभी दीर्घाओं में और मंच पर खड़े पार्टी के फोटोग्राफर्स लगातार ला-ला कर वॉर रूम में फोटोग्राफ्स चिप में देते जा रहे थे, जिन्हें तेजी से कैप्चर करके इन पेजेज और साइटों पर अपलोड किया जा रहा था। दो एक्सपर्ट्स फोटोग्राफ्स के कैप्शन और टेस्ट हिंदी, इंग्लिश, यहां तक की गुजराती में लिखते जा रहे थे। इतना ही नहीं, लेटेस्ट स्मार्ट फोन हैंडसेट्स से लैस संवाद सेल के लगभग 50 सदस्य पब्लिक के बीच मोबाइल से ही फोटो खींचकर, वॉयस रिकार्ड करके और छोटी-छोटी क्लिपिंग्स बनाकर वॉट्स एप, लाइन और वी चैट जैसी एप्स से अपलोड करते जा रहे थे। ये आईटी एक्सपर्ट्स संवाद सेल का हिस्सा हैं. 

मोदी के साथ ‘चलता’ है वॉर रूम

संवाद सेल के नेशनल कोआर्डिनेटर शरद त्रिपाठी ने बताया कि हर आईटी एक्सपर्ट को पर मिनट, पर सेकेंड के हिसाब से सोशल मीडिया पर अपग्रेडेशन करते रहना पड़ता है। इसमें गलती की या शिथिलता की गुंजाइश नहीं है। वहीं ये भी बताया कि वॉर रूम मोदी की हर जनसभा से पहले वहां सेटअप कर दिया जाता है। शनिवार की शाम को ही ये सभी लोग मोदी की अगली रैली के लिए झांसी पहुंच कर डेरा डाल लेंगे. 

इसलिए खजाने पर कुछ नहीं बोले

मोदी के वॉर रूम के ‘लड़ाकों’ के ही अनुसार फेसबुक पर कानपुर की पब्लिक से मिले फीडबैक के कारण ही मोदी ने डौंडिया खेड़ा के खजाने पर एक शब्द भी नहीं बोला। दरअसल चेन्नई की जनसभा के बाद मीडिया में छपे बयान के अनुसार उन्होंने कहा कि ‘शोभन सरकार के कहने पर केंद्र सरकार जमीन से खजाना खुदवाने भी लगी’। इसपर कानपुर के लोगों ने थोड़ी तीखी प्रतिक्रिया दी थी। मोदी के भाषण के लिए चूंकि लगातार सोशल मीडिया से फीडबैक ली जाती रही, मोदी कानपुर में खजाने पर कुछ भी बोलने से बचे। क्योंकि मामला लोगों की भावनाओं से जुड़ा था. 

और दे दिया डिसीजन का ‘संकेत’

मंच पर माइक संभालते ही नरेंद्र मोदी ने कानपुर की पब्लिक का अभिवादन करते हुए बाहें फैलाकर कहा कि जहां तक देखो मुंड ही मंड (सिर ही सिर) नजर आ रहे हैं। ‘कानपुर के लोगों आप ने नरेंद्र मोदी को जीत लिया’ रिकार्ड तोड़ हुजूम देखकर गदगद हुए मोदी के सेंटेंस का मतलब कानपुर से चुनाव लडऩे का संकेत था। वहीं जानकारों का ये भी कहना है कि कानपुर और बिठूर की धरती की 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्र्राम में अहम भूमिका की बात मोदी से लेकर राजनाथ सिंह ने बार-बार दोहराई। रैली का नाम ‘विजय शंखनाद रैली’ रखे जाना भी खुद में इसी बात की ओर संकेत करता है कि मोदी ने कानपुर से लोकसभा चुनाव लडऩे का मन बनाया है। वो फाइनली सोशल मीडिया और रैली का रिस्पांस व फीडबैक चाह रहे थे। अगर किसी बड़े कारण से डिसीजन पलटता नहीं है तो घोषणा भी जल्द ही हो सकती है।

मोदी के छह आईटी महारथी

आईटी सेल और संवाद सेल के पदाधिकारियों के अनुसार मोदी खुद भी टेक्नो सैवी हैं। वो खुद जरा सा समय मिलते ही अपने स्मार्ट फोन पर सोशल मीडिया के अपने पेज, ब्लॉग्स और वेबसाइट पर टाइम देते हैं। वहीं नई बात ये कि मोदी अपने साथ 6 स्पेशल और डिवोटिड आईटी इंजीनियर्स रखते हैं। इन 6 आईटी इंजीनियर्स की टीम हर समय, हर जगह मोदी के साथ होती है। जानकारों के अनुसार ये आधा दर्जन इंजीनियर्स आईआईटियंस हैं और मोदी के लिए इंअरनेट और सोशल मीडिया वॉर की पूरी स्ट्रेटजी बनाते व इंप्लीमेंट करते हैं।