-9 अक्टूबर को दून से मसूरी के लिए रवाना हुई थी इलेक्ट्रिक बस

-महंगी बस होने के कारण निगम के यूनियन के पदाधिकारी खरीद के पक्ष में नहीं

देहरादून, दून से मसूरी के लिए एक माह के टेक्निकल ट्रायल में पास होने के बाद अब इलेक्ट्रिक बस नैनीताल की तरफ मूव करने की तैयारी है। परिवहन अधिकारियों के अनुसार बस का ट्रायल सक्सेस रहा है और पूरी तरीके से बस पहाड़ी रास्ते में रफ्तार भरने का दम भरती है। इस सफलता के बाद अब बस हल्द्वानी से नैनीताल के लिए भेजे जाने की तैयारी है।

पहाड़ी रूटों पर ट्रायल सक्सेस

करीब एक माह पहले 9 अक्टूबर से दून से मसूरी के लिए शुरु हुई इलेक्ट्रिक बस सेवा को 9 नवंबर को एक माह पूरा हो गया है। हैदराबाद से दून पहुंची एक करोड़ पांच लाख की बस को पिछले माह सीएम ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। सीसीटीवी कैमरे व पैनिक बटन से लैस बस के दून से मसूरी के बीच के सफल संचालन के बाद अब बस के हल्द्वानी से नैनीताल के बीच पहाड़ी रास्तों पर ट्रायल किए जाने की तैयारी है। उत्तराखंड परिवहन निगम के जीएम संचालन दीपक जैन ने बताया कि इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल बेहद सक्सेस रहा है। अब बस को नैनीताल भेजने की तैयारी है। हालांकि बताया जा रहा है पिछले दो दिनों से इलेक्ट्रिक बस वर्कशाप में खड़ी रही।

बात बनी तो अनुबंध होगा

हाल में चर्चाएं जोरों पर भी निगम गढ़वाल व कुमाऊं के लिए 50 बसें खरीद सकता है। जिसमें गढ़वाल के लिए 25 व कुमाऊं के लिए 25 बसें शामिल कर सकता है, लेकिन निगम के सूत्रों की मानें तो इतनी महंगी बस होने के कारण निगम के इन बसों को खरीदने के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। खुद इस बात को रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महामंत्री रामचंद्र रतूड़ी ने भी स्वीकार किया है कि निगम इतनी महंगी बसों को खरीदने में सक्षम नहीं है। उन्होंने बताया कि परिवहन मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि ट्रायल सक्सेस रहा तो अनुबंध के तौर पर इलेक्ट्रिक बसें संचालित की जा सकती हैं। इलेक्ट्रिक बस के दून से मसूरी संचालन में परिवहन निगम के परिचालक ही शामिल थे।

सूत्र बताते रहे हैं कि बस बनाने वाली हैदराबाद की कंपनी से इस बात पर विचार मंथन हो रहा है कि प्रति किलोमीटर के हिसाब से वह कितना चार्ज करेगा और निगम को उसके बदले में क्या लाभ हासिल हो पाएगा। इसी के बाद ही अनुबंध तय हो पाएगा। हालांकि निगम के कुछ अधिकारी मान रहे हैं कि साधारण बस की तुलना में छह रुपए प्रति किलोमीटर का खर्च आ रहा है। जबकि साधारण बस का खर्च 18 रुपए प्रति किलोमीटर तक पहुंच रहा है। इस बस की बैटरी चार्ज होने पर 200-250 किमी तक का सफर तय होता है। मेन्टेनेंस का खर्च भी कम बताया गया है। कुल मिलाकर बस के संचालन में रोडवेज यूनियन के पदाधिकारी व कार्मिक पक्षधर नहीं दिख रहे हैं, जबकि अधिकारी अंदरखाने इलेक्ट्रिक बस के संचालन के लिए रजामंदी दिखा रहे हैं।