BAREILLY: चोरी की बिजली से चार्ज होकर शहर में दौड़ रहे बैटरी चलित ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन अब बिना बिजली कनेक्शन के नहीं हो सकेंगे। बिजली चोरी की बार-बार शिकायत मिलने पर यह नई व्यवस्था ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की ओर से की गई है। ताकि, बड़े स्तर पर हो रही बिजली की चोरी पर रोक लग सके। बता दें कि शहर में ज्यादातर ई-रिक्शा अवैध तरीके से ही चल रहे हैं। जिनका आरटीओ में रजिस्ट्रेशन नहीं है। पिछले दिनों आरटीए की बैठक के बाद ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने इस संबंध में ट्यूजडे को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।


2500 से अधिक अवैध ई-रिक्शा

शहर में करीब 2500 ई-रिक्शा अवैध तरीके से चल रहे हैं। ज्यादातर लोगों ने ई-रिक्शा फाइनेंस करा रखे हैं। अब इनकी बैटरी चार्ज करने के लिए चालक चोरी की बिजली का इस्तेमाल करते हैं। वहीं कई जगह तो ई-रिक्शा की बैटरी चार्ज करने के अवैध सेंटर्स भी खुल गए हैं। यह काम सबसे अधिक वाहन स्टैंड वाले कर रहे हैं। जिन्होंने कॉमर्शियल कनेक्शन भी नहीं लिए हैं। जो कि प्रति ई-रिक्शा की बैटरी को चार्ज करने के एवज में 100 से 125 रुपए वसूल रहे हैं। वहीं कई चालक कटिया मार कर गलत ढंग से बैटरी चार्ज कर ई-रिक्शा चला रहे हैं।

 

4 यूनिट बिजली का खर्च

एक ई-रिक्शा की बैटरी को चार्ज करने में कम से कम 4 यूनिट बिजली का खर्च आता हैं। इस हिसाब से 2500 ई-रिक्शा की बैटरी चार्ज करने में रोजाना 10 हजार यूनिट बिजली की खपत हो रही है। 6 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से रोजाना 60 हजार रुपए की बिजली इस्तेमाल हो रही है। महीने की बात करें, तो यह रकम 18 लाख रुपए की बिजली ई-रिक्शा को चार्ज करने में खर्च हो रही हैं। वहीं शहर में खुले 20 से अधिक सेंटर्स ई-रिक्शा की बैटरी चार्ज कर हर महीने 3 लाख रुपए से अधिक आमदनी कर रहे हैं।

 

नहीं लिया है कॉमर्शियल कनेक्शन

कमाई के लिए सुभाषनगर, किला, डेलापीर, संजय नगर, ईसाइयों की पुलिया समेत कई जगह ई-रिक्शा की बैटरी चार्ज करने के सेंटर्स खुल गए हैं। जिन्होंने बाकायदा बोर्ड भी लगा रखे हैं, कि यहां पर ई-रिक्शा की बैटरी चार्ज होती है। जबकि, उन्होंने कॉमर्शियल बिजली कनेक्शन ही नहीं लिया है। ऐसे में कनेक्शन अनिवार्य होने के बाद ही ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन होने से बिजली के गलत इस्तेमाल पर काफी हद तक रोक लगने की उम्मीद है।

 

 

-3000 ई-रिक्शे हैं शहर में

-500 ई-रिक्शा हैं आरटीओ में रजिस्टर्ड

- 2,500 ई-रिक्शा अवैध शहर में चल रहे हैं।

- 20 से अधिक प्राइवेट स्टैंड बने हुए हैं।

- 100 से 125 रुपए प्रति ई-रिक्शा की बैटरी चार्ज करने का स्टैंड संचालक लेते हैं।

- 4 यूनिट प्रति ई-रिक्शा को चार्ज करने में खर्च होती है बिजली।

- 60 हजार रुपए की बिजली रोजाना हो रही चोरी।

- 3.75 लाख रुपए महीना है स्टैंड संचालकों की कमाई।

 

अवैध चल रहे ई-रिक्शा के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। नए रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोगों से बिजली कनेक्शन के कागज भी मांगे जा रहे हैं। जिससे वह चोरी की बिजली से ई-रिक्शा की बैटरी चार्ज न करें।

आरपी सिंह, एआरटीओ प्रशासन

 

ई-रिक्शा चोरी की बिजली से चार्ज होकर चल रहे हैं। ज्यादातर ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन नहीं है। जो कि अवैध तरीके से शहर में चल रहे हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस को ज्ञापन भी सौंपा गया है।

गुरुदर्शन सिंह, सचिव, ऑटो यूनियन