टॉप टेन कॉलेज व्यवस्थाओं में जीरो
देश के टॉप टेन कॉलेजों में शुमार सिटी के एसएन मेडिकल कॉलेज के हालात ठीक नहीं हैं.पहले तो एसएन पेशेंट्स को बढिय़ा इलाज नहीं दिला पा रहा है.दूसरे डॉक्टरों को तैयार करने वाले एसएन में पढ़ रहे स्टूडेंट्स को खौफ सता रहा है.मगर कॉलेज प्रशासन अपनी धुन में मस्त है.उसे स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम्स का कोई ख्याल नहीं है.

४० साल पहले बना था
एसएन मेडिकल कॉलेज में बने गल्र्स हॉस्टल की इमारत का निर्माण १९७३ में हुआ था। तब इस दो मंजिला इमारत के निर्माण में २.३८ लाख रुपये की लागत आई थी.४० साल पहले बनी गल्र्स हॉस्टल की बिल्डिंग इतनी जर्जर हो चुकी है, कि पता नहीं कब गिर जाए.स्टूडेंट्स को हर समय छत गिरने का डर सताता रहता है.

हॉस्टल में रहती हैं २०० स्टूडेंट्स
एसएन मेडिकल कॉलेज के गल्र्स हॉस्टल में करीब २०० गल्र्स रहती हैं.इनमें ज्यादातर गल्र्स जूनियर डॉक्टर और नर्सेस का कोर्स कर रही हैं.हॉस्टल में बंदरों से स्टूडेंट्स को परेशानी का सामना करना पड़ता है.साथ ही प्रसाधन व्यवस्थाएं न होने से स्टूडेंट्स की टेंशन बढ़ रही है.

शायद बड़े हादसे का है इंतजार
हॉस्टल की बिल्डिंग की खिड़की से गुजर रहे बिजली के तार हादसे को दावत देते नजर आते हैं.ऐसा नहीं है कि कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन को इस बारे में जानकारी न हो, लेकिन फिर भी इसके सुधार के प्रयास नाकाफी नजर आ रहे हैं.

छत पर चल रहा है काम
एसएन कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। अजय अग्रवाल कहते हैं कि हॉस्टल की खिड़की पर तार बंधे होने की जानकारी नहीं थी। अब इसे दिखवाकर कार्रवाई करुंगा.वैसे हॉस्टल में छत और टॉयलेट्स बनवाने का काम चल रहा है.जल्द ही सुधार नजर आएगा.

कहीं बेकार न हो जाए फ्यूचर
गल्र्स हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स खिड़की से बंधे तारों से दहशत में हैं.वे फ्यूचर बेकार न हो जाने के डर से इस बारे में शिकायत करने से डरते हैं.उनका कहना था कि अगर हमने इसकी शिकायत की, तो प्रोफेसर हमें फेल कर देंगे.