-शहर में 24 घंटे बिजली देने का वादा हुआ हवा हवाई

-न शट डाउन, न कटौती फिर भी गाहे बगाहे की जा रही है कटौती

-उपभोक्ताओं के लिए ट्रिपिंग बन रही मुसीबत

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आजादी के 70 साल बाद हम विकास की तमाम बातें तो कर रहे हैं, लेकिन जब हकीकत जानने की कोशिश करते हैं तो खुद को अंधेरे में पाते हैं। तमाम वादों के बाद भी उपभोक्ताओं को अभी भी 24 घंटे लगातार बिजली मिलना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। अगर हम ये कहें कि बिना लाइन कटे हर घर तक निर्बाध बिजली पहुंच रही है तो शायद यह गलत होगा। न शट डाउन, न कटौती फिर भी शहर में गाहे बगाहे बिजली गुल रहती है। कहने को तो बनारस में कटौती न के बराबर है। लेकिन बिजली विभाग कब पावर कट कर दे इसका कोई समय तय नहीं है। 24 घंटे की पावर सप्लाई में हर दो चार घंटे में 10 से 15 मिनट का कट लग ही जा रहा है।

लोकल फॉल्ट बनती है समस्या

अगर ऐसे ही बिजली की सप्लाई होती है तो सरकार का 24 घंटे निर्बाध बिजली सप्लाई का यह वादा खोखला है। शहर में अभी भी ऐसे कई एरिया हैं, जो शाम के वक्त अंधेरे में डूब जाते हैं। उधर पीवीवीएनएल के अधिकारियों की दलील है कि ऐसा किसी फीडर से नहीं बल्कि ट्रांसफॉर्मर व एमसीबी से हो जाता है। यदि किसी एरिया में बिजली जाती भी है तो वह लोकल फॉल्ट या ओवरलोड का कारण भी हो सकता है। विभाग कहीं भी जानबूझकर बिजली कटौती नहीं करता।

होता है काम प्रभावित

असमय बिजली कटौती होने से न सिर्फ लोगों का कामकाज प्रभावित हो रहा है बल्कि उनकी नींद भी पूरी नहीं हो रही है। सबसे ज्यादा परेशानी रात में बढ़ती है जब अचानक पावर कट होता है। उपभोक्ताओं का कहना है कि उन्हें पावर सप्लाई तो 24 घंटे देने का आदेश है, लेकिन विभाग की ओर से पावर पर ब्रेक लगा दिया जा रहा है। जो कभी 10 मिनट का तो कभी 15 मिनट का होता है। सीधे तौर पर कहें तो विभाग के पास सप्लाई के लिए पर्याप्त बिजली नहीं है जिसकी वजह से लगातार बिजली की कटौती न कर टुकड़ों में किया जा रहा है।

ट्रिपिंग के नाम पर कटौती

विभागीय सूत्रों की मानें तो कहने को उपभोक्ताओं को डिमांड के मुताबिक बिजली सप्लाई दी जा रही है। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। शहर में अभी भी कभी लोकल फॉल्ट तो कभी आईपीडीएस वर्क, डिस्मेंटलिंग के नाम पर कटौती हो रही है। इधर विभाग प्रशासनिक अधिकारियों से यह कहकर अपनी पीठ थपथपा रहा है कि 24 घंटे सप्लाई दी जा रही है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालत और भी खराब है।

ओवरलोड से आ रही प्रॉब्लम

अधिकारियों का कहना है गर्मी की वजह से डिस्ट्रिक्ट में बिजली की मांग बढ़ गई है। इन दिनों ज्यादातर उपभोक्ताओं के घरों में एसी, फ्रीज व कूलर का यूज हो रहा है। इसकी वजह से ट्रांसफॉर्मर व गली मुहल्लों में लगे आईपीडीएस जंक्शन बॉक्स के एमसीबी में प्रॉब्लम आ जा रही है। जिन इलाकों में जंक्शन बॉक्स लगा है वहां लोड ज्यादा है। ऐसे में जैसे ही बॉक्स पर लोड पड़ता है वैसे ही एमसीबी गिर जा रही है। कंम्प्लेन होने पर 10 मिनट में उसे ठीक कर दिया जाता है।

एक नजर

700

मेगावाट बिजली की जिले में रोजाना हो रही खपत

450

मेगावॉट शहरी क्षेत्र में

250

मेगावॉट ग्रामीण क्षेत्रों में

400

मेगावाट की खपत पीक ऑवर में

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सिस्टम को मेंटेन करने के लिए समय की जरूरत होती है। लोड इतना बढ़ चुका है कि थोड़ी बहुत कटौती करना मजबूरी है।

ई खान, एसई (ट्रांसमीटर) पीवीवीएनएल

नो ट्रिपिंग का मतलब ये नहीं होता है कि लाइन ट्रिप नहीं करेगी। यह ट्रिपिंग को कंट्रोल करता है। फिलहाल जहां भी ट्रिपिंग की समस्या है उसकी जांच की जा रही है।

आशीष अस्थाना, एसई, पीवीवीएनएल