-पावर सप्लाई में फॉल्ट आने पर बढ़ जाती है कंज्यूमर्स की प्रॉब्लम

-खुद करवानी पड़ती है रिपेयरिंग

-चंदा कर बनावाना पड़ता है ट्रांसफार्मर

JAMSHEDPUR: शहर के नन-कंपनी एरिया नें रहने वाले लोगों के लिए बिजली की आंखमिचौली कोई नई बात नहीं है। लोगों की समस्या सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती। अगर कहीं ट्रांसफार्मर में कोई गड़बड़ी आ गई, किसी कंज्यूमर के घर जाने वाली लाइन कोई फॉल्ट आया, तो फिर तो बिजली रानी के दर्शन कब होंगे यह कहना मुश्किल है। अगर जेब में पैसे हों, तो पावर सप्लाई जल्दी शुरू होने की उम्मीद की जा सकती है और अगर पैसे नहीं हैं तो फिर लगाते रहिए इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट के ऑफिसेज के चक्कर।

चंदा कर बनवाना पड़ता है ट्रांसफार्मर

ट्रांसफार्मर में कोई गड़बड़ी आ जाए, तो हमें उसे बनवाने के लिए चंदा कर क्ख् से क्भ् हजार रुपए तक जुटाना पड़ता है। अगर पैसे दे दिए तो चार-पांच दिन में पावर सप्लाई शुरू हो जाती है और पैसे नहीं दिए, तो पिर से बिजली कब आएगी यह तो ऊपर वाला ही बता सकता है। यह कहना है मानगो के रहने वाले सैयद अख्तर का। ट्रांसफार्मर में खराबी आने पर उसकी रिपेयरिंग इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी है, लेकिन लोगों का कहना है कि ट्रांसफार्मर में किसी तरह की खराबी आने पर उसकी रिपेयरिंग के लिए बिजली विभाग के कर्मचारियों को पैसे देने पड़ते हैं या फिर ट्रांसफार्मर ठीक होने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।

रिपेयरिंग के लिए भी लगते हैं पैसे

बात सिर्फ ट्रांसफार्मर ठीक करने की ही नहीं है अगर लाइन में कोई छोटी गड़बड़ी भी आ गई तो उसे ठीक करवाने के लिए लोगों को पैसे खर्च करने पड़ते हैं। मानगो के रहने वाले मो निशात ने बताया कि फॉल्ट होने पर बिजली विभाग की तरफ से किसी को उसे ठीक करने के लिए बुलाया जाता है तो क्00-ख्00 रुपए देने पड़ते हैं। कई लोगों को प्राइवेट मैकेनिक बुलाकर भी लाइन ठीक करवाना पड़ता है।

मुश्किल है कंप्लेन दर्ज करवाना

पावर सप्लाई से संबंधित किसी तरह के फॉल्ट होने पर उसकी शिकायत दर्ज करवाना भी एक मुश्किल काम है। सैयद अख्तर ने बताया की बिजली विभाग के ऑफिस में फोन करने पर ज्यादातर वक्त तो कोई कॉल रिसीव करता ही नहीं है और कभी-कभार अगर कंप्लेन दर्ज हो भी गई, तो उस पर फौरन कोई सुनवाई नहीं होती। लोगों ने बताया कि डिपार्टमेंट द्वारा ट्रांसफार्मर का भी सही तरीके से मेंटेनेस नहीं किया जाता है।

ट्रांसफार्मर में कोई खराबी आ जाए, तो लोगों को चंदा कर उसकी रिपेयरिंग करवानी पड़ती है। अगर पैसे नहीं दिए तो लाइन ठीक होने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। लाइन में किसी तरह की गड़बड़ी होने पर बिजली विभाग के ऑफिस में फोन करने पर भी अक्सर कोई फोन रिसीव नहीं करता।

सैयद अख्तर

अगर खुद से चंदा कर पैसे दिए तब तो ट्रांसफार्मर ब्-भ् दिन में ठीक हो जाता है, नहीं तो क्भ्-ख्0 या फिर उससे भी अधिक दिन तक इंतजार करना पड़ता है। कोई लाइन में कोई छोटी गड़बड़ी होने पर भी खुद ही मरम्मत करवानी पड़ती है।

मो निशात

लाइन में किसी तरह की गड़बड़ी होने पर फौरन ठीक नहीं किया जाता है। इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट में शिकायत करने पर भी लाइन ठीक होने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।

शहंशाह

ट्रांसफार्मर्स का मेंटेनेंस भी सही तरीके से नहीं किया जाता है। कई ट्रांसफार्मर में तेल लीक होता रहता है, लेकिन उसे ठीक नहीं किया जाता।

डॉ हक

बिजली विभाग द्वारा हुकिंग पर कोई लगाम नहीं लगाया जा रहा है। लाइन में किसी तरह की गड़बड़ी होने पर भी उसे ठीक करवाने के लिए कंज्यूमर्स को दौड़धूप करनी पड़ती है।

कलीम राहत