जरूरत 260 मेगावाट की मिल रही 220-230

सिटी को 260 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है, जबकि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा 220 से 230 मेगावाट बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। इस कारण डेली सरकारी आंकड़ों में 7 घंटे की कटौती हो रही है, जबकि हकीकत में 8 से 10 घंटे की कटौती हो रही है। कॉर्पोरेशन के एक अफसर का कहना है कि उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन इस समय एक भी यूनिट बिजली की खरीदारी नहीं कर रहा है। प्रदेश में जितनी बिजली पैदा हो रही है उसी से काम चल रहा है। इस प्रोडक्शन में सिटी को भी 30 से 40 मेगावाट बिजली कम मिल रही है। औसत देखा जाए तो सिटी के प्रत्येक डिविजन को 5 से 10 मेगावाट कम बिजली मिल रही है। अगर 245 मेगावाट सिटी को बिजली मिले तो कॉर्पोरेशन औसत 22 घंटा बिजली दे सकता है।

 

रूटीन भी गड़बड़ाया

सिटी में कॉर्पोरेशन के आंकड़ों के हिसाब से डेली 17 घंटे बिजली मिल रही है। 7 घंटा रूटीन कटौती तीन शिफ्ट में हो रही है, जिसमें सुबह 4 बजे से 6 बजे तक, दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे और रात 10 बजे से लेकर 12 बजे तक डेली कटौती निर्धारित है, जबकि कटौती पर नजर डालें तो पिछले 7 दिन में मात्र 3 दिन ही सुबह 4 बजे बिजली गुल हुई है। बाकी 4 दिन बिना शेड््यूल के ही बिजली कटी है। रात का शेड्यूल तो पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। 10 बजे से 12 बजे का शेड्यूल है, जबकि 10 बजे तो बिजली कट रही है लेकिन 1 बजे के बाद ही बिजली आ रही है।

बिजली कम मिल रही है। जितनी बिजली मिल रही है, उससे सिटी में 17 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है। लोकल फॉल्ट के कारण कुछ परेशानी आ रही है। उसको देखा जा रहा है।

एसपी पांडेय, एसई महानगर विद्युत वितरण निगम