-गर्मी के चलते ओवर लोडिंग के मार से कराह रहा बिजली विभाग

-बारिश के बाद घटेगा अति भार, हल होगी ओवर लोडिंग की समस्या

Meerut: शनिवार को मामूली बूंदाबांदी से मौसम सुहावना हो गया, लेकिन असली इंतजार मानसून की झमाझम बारिश का है। जितनी बेसब्री शहरवासियों को है, उससे कहीं ज्यादा बिजली विभाग परेशान हो रहा है। भीषण गर्मी के चलते ओवरलोडिंग से दम तोड़ रहे विभाग का मानना है कि बारिश के बाद बिजली की खपत में खासी कमी आएगी और ओवर लोडिंग की समस्या से छुटकारा मिलेगा।

मानसून पर टिका बिजली विभाग

दरअसल, भीषण गर्मी ने बिजली की मांग बढ़ा दी है। मांग और आपूर्ति के बीच एक लंबी खाई बन गई है और विभाग के सामने ओवर लोडिंग की समस्या खड़ी हो गई है। हालांकि विभाग ने समस्या का अस्थाई समाधान करने के लिए ट्रांसफॉर्मरों की क्षमता में वृद्धि की है और नए ट्रांसफॉर्मर भी लगाए हैं, लेकिन यह समाधान ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुआ।

ओवर लोडिंग के साइड इफेक्ट

ओवर लोडिंग की समस्या का असल कारण बिजली की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है। इस फर्क के चलते विभाग के उपकरण ओवर लोडिंग के शिकार हैं और आए दिन ट्रांसफॉर्मर जलने, टेक्निकल फाल्ट, लाइन जलने की घटनाएं होती रहती हैं। बड़ी समस्या यह है कि विभाग के पास मांग के सापेक्ष बिजली ही उपलब्ध नहीं है।

ओवरलोडिंग के कारण

असल में गर्मी आते ही ओवरलोडिंग की समस्या घेर लेती है। इसका मूल कारण यह है कि एक ओर जहां ग्रामीण इलाकों में सिंचाई आदि के लिए अंधाधुंध नलकूप चलने शुरू हो जाते हैं, वहीं शहरी क्षेत्रों में पंखों से एसी आदि चलने से भी बिजली के भार में अधिकता आ जाती है।

मानसूनी बारिश होने के बाद के बाद बिजली की मांग में कमी आ जाती है और ओवर लोडिंग की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।

-वीवी पंत, एमडी पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम

यूपी में ख्भ्00 मेगावाट की कमी

दरअसल, बिजली की समस्या से जो परेशानी हम अपने शहर में भुगत रहे हैं, उसकी जड़ें राज्य की राजधानी यानी लखनऊ तक फैली हैं। प्रदेश में इस समय ढाई हजार मेगावाट बिजली की भारी किल्लत है। डिमांड और सप्लाई को देखते हुए प्रदेश में इस समय क्भ्000 हजार मेगावाट बिजली की परम आवश्यक्ता है, जिसके सापेक्ष राज्य को केवल क्ख्भ्00 मेगावाट बिजली ही उपलब्ध है। इसका सीधा प्रभाव प्रदेश के प्रत्येक जिले में भी साफ दिखाई देता है। बिजली की इस कमी को जिलेवार विभाजित कर दिया जाता है। यही कारण है कि हमे हर बार बिजली की समस्या से दो चार होना पड़ता है।

मेरठ में ब्00 मेगावाट की कमी

राज्य में बिजली की किल्लत का परिणाम यह है कि मेरठ को ब्00 मेगावाट बिजली की किल्लत भुगतनी पड़ रही है। मौजूदा समय के हिसाब से शहर को इस समय 700 से 800 मेगावाट बिजली की दरकार हो, जबकि इसके सापेक्ष शहर को केवल ब्00 मेगावाट बिजली ही मुहैया कराई जा रही है।

बारिश से कम होगी बिजली की मांग

बिजली विभाग के अधिकारियों की मानें तो मानूसन के बाद बिजली की ब्0 फीसदी मांग में कमी देखने को मिलेगी। जिसका सीधा असर यह पड़ेगा कि शहर में 700 मेगावाट बिजली की मांग के सापेक्ष हमारे पास साढ़े पांच सौ मेगावाट बिजली से ऊपर की उपलब्धता होगी। इससे बिजली की परेशानी को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकेगा।