वाशिंगटन (पीटीआई)। एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि ई-मेल न सिर्फ बाॅस को बुरा साबित कर रहे हैं बल्कि उनके लक्ष्यों को हासिल करने में भी बाधक बने हुए हैं। अप्लाइड साइकोलाॅजी के तहत 'ई-मेल किस प्रकार एक मुखिया के तौर पर मैनेजर की उत्पादकता और उनके रोल को किस प्रकार प्रभावित करते हैं' विषय पर एक रिसर्च प्रकाशित हुई है। अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी (एमएसयू) के शोधकर्ताओं के अनुसार कर्मचारी ई-मेल पढ़ने में रोजाना 90 मिनट से ज्यादा समय देते हैं। ई-मेल के कारण एक सप्ताह में तकरीबन साढ़े सात घंटे उनके काम में बाधा उत्पन्न करते हैं। एमएसयू के रसेल जाॅनसन के अनुसार, सभी टूल्स की तरह ई-मेल भी उपयोगी हैं लेकिन यह हानिकारक साबित हो रहा है दूसरे शब्दों में कहें तो इसके दुरुपयोग या ज्यादा इस्तेमाल नुकसान कर रहा है। जब मैनेजर मेलबाजी में उलझे रहते हैं तो वे अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे होते हैं और अंततः अपने लक्ष्य से दूर भटक जाते हैं। एक लीडर के तौर पर इसका उनके जूनियर्स पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

मैनेजर का काम जूनियर्स को करें प्रोत्साहित, बनाएं भविष्य की रणनीति
अन्य कर्मचारियों की बजाए मैनेजर्स पर इसका ज्यादा खराब असर होता है। मेलबाजी के चक्कर में वे खुद को असहाय समझने लगते हैं। इससे उनकी रणनीतिक और नेतृत्व क्षमता में गुणात्मक गिरावट देखने को मिलती है। जाॅनसन कहना है कि मैनेजर्स में लीडरशिप बिहैवियर बरकरार रखने के लिए पुराने रणनीति तौर पर काम करने की जरूरत है ताकि वे ज्यादा प्रोडक्टिव साबित हो सकें। जैसा कि पहले उनका व्यवहार अपने जूनियर्स के प्रति उन्हें प्रोत्साहित करने, भविष्य के लिए तैयार करने और काम के महत्व को बताना था, पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है। फीडबैक पर आधारित उनका व्यवहार काम पर फोकस होना चाहिए। उन्हें मैनेजिंग के अलावा छोटे-छोटे काम भी निपटाने चाहिए ताकि उनकी प्रोडक्टिविटी बरकरार रहे और खुद को नकारा महसूस होने वाली भावना विकसित न हो।

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