- गंभीर मरीजों को इमरजेंसी से वार्ड व आरडीसी पहुंचाने के लिए बना इमरजेंसी कॉरिडोर

- जिला अस्पताल में स्ट्रेचर पर पड़े पेशेंट को स्ट्रेचर से लाने-ले जाने में पहले हो रही थी काफी दिक्कत

GORAKHPUR: जिला अस्पताल में बन रहे इमरजेंसी कॉरिडोर से अब इमरजेंसी पेशेंट्स की मुश्किलें काफी कम हो जाएंगी। नए कॉरिडोर से इमरजेंसी से वार्डो व आरडीसी की दूरी काफी कम हो गई है। इस कारण सीरियस पेशेंट्स को वार्डो में शिफ्ट करने व क्षेत्रीय निदान केंद्र (आरडीसी) तक पहुंचाने में काफी कम समय लग रहा है। कॉरिडोर का इस्तेमाल मरीजों के साथ ही उनके तीमारदार भी कर सकेंगे। जल्द ही इमरजेंसी कॉरिडोर के ऊपर शेड भी लगाया जाएगा।

पहले लगाना होता था चक्कर

जिला अस्पताल में कोई भी सीरियस पेशेंट पहले इमरजेंसी में पहुंचता है। वहां से उसकी जांच कराने के लिए आरडीसी सेंटर ले जाना होता है या एडमिट किए जाने पर वार्डो में शिफ्ट करना होता है। जब तक कॉरिडोर नहीं था, तब तक तीमारदारों को अपने घायल पेशेंट्स को वार्ड में शिफ्ट करने और उनकी जांच कराने में काफी मुश्किल होती थी। उन्हें पेशेंट को स्ट्रेचर पर लादकर इमरजेंसी से इधर-उधर चक्कर लगाते हुए वार्ड व आरडीसी तक पहुंचना होता था। मरीज व तीमारदारों की परेशानी को देखते हुए ही जिला अस्पताल में इमरजेंसी कॉरिडोर की व्यवस्था की गई है।

ऐसा है कॉरिडोर

इमरजेंसी कॉरिडोर, इमरजेंसी से बर्न वार्ड व फीमेल ऑर्थो वार्ड के बीच से निकल रहा है। इससे इमरजेंसी वार्ड से मरीजों व घायलों को न्यू बिल्डिंग, क्षेत्रीय निदान केंद्र (आरडीसी), ब्लड बैंक, प्राइवेट व स्पेशल वार्ड तक पहुंचाने में समय कम समय लग रहा है। यही नहीं, इमरजेंसी कॉरिडोर के जरिए स्ट्रेचर व व्हील चेयर लाना-ले जाना भी काफी आसान है। यह आम रास्ता नहीं होने के कारण मरीजों को काफी तेजी से शिफ्ट किया जा सकता है। साथ ही संक्रमण का भी खतरा कम रहेगा।

वर्जन

मरीज जल्द से जल्द वार्ड व जांच सेंटर तक पहुंचाए जा सकें, इसके लिए इमरजेंसी कॉरिडोर का निर्माण चल रहा है। कॉरिडोर के ऊपर शेड भी बनाया जाना है जिससे कि बारिश या धूप के दौरान दिक्कत न हो।

डॉ। एचआर यादव, एसआईसी, जिला अस्पताल

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अभी भर्ती हैं इतने मरीज

वार्ड बेड भर्ती मरीज

मेल आर्थो 40 24

इमरजेंसी 30 30

फिमेल आर्थो 22 22

बर्न वार्ड 21 14

जेई आईसीयू 12 05

चिल्ड्रेन 15 15

फिमेल मेडिसिन 13 08

आई 14 07

(इसके अलावा अन्य कुछ वार्डो में भी मरीज भर्ती हैं। वहीं ओपीडी में रोज 1000 से 1500 तक पेशेंट्स आते हैं.)