- टैक्सी स्टैंड व पार्किंग वसूली में नगर निगम ने खत्म की थी ठेके की व्यवस्था

- बीते आठ महीनों में महज 32 हजार रुपए ही वसूल पाए निगम कर्मचारी

GORAKHPUR: ठेके पर रही स्टैंड वसूली का जिम्मा अपने कर्मचारियों के भरोसे छोड़ना नगर निगम को बहुत महंगा पड़ गया है। जून 2017 तक जहां एक ही टैक्सी स्टैंड से निगम को एक लाख से ज्यादा की आय होती थी। वहीं, विभिन्न टैक्सी स्टैंड, बस स्टैंड एवं पार्किंग स्थलों से ठेका समाप्त कर खुद वसूली के फैसले के बाद जुलाई 2017 से दिसंबर 2017 अब तक निगम कर्मी प्रमुख तीन स्टैंड्स से महज 5,14,118 रुपए ही वसूल पाए हैं। जबकि जनवरी से फरवरी 2018 तक का किसी ने कोई हिसाब ही नहीं दिया है।

धर्मशाला स्टैंड पर ही 10 लाख का चूना

धर्मशाला बाजार स्थित टैक्सी स्टैंड की वसूली नगर निगम ने ठेके पर दी थी। अप्रैल 2017 से मार्च 2017 तक ठेके के जरिए हर माह इस स्टैंड से निगम को एक लाख 16 हजार रुपए की आय हुई। ठेका खत्म होने के बाद अब तक नगर निगम कर्मियों द्वारा 32 हजार रुपए की ही वसूली हो सकी है। इस हिसाब से सिर्फ इस स्टैंड से ही निगम को पिछले 9 महीनों में दस लाख रुपए से ज्यादा का चूना लग चुका है। जबकि जनवरी व फरवरी माह में स्टैंड वसूली का किसी ने भी हिसाब ही नहीं दिया है।

बाकी जगह भी वसूली धड़ाम

वहीं, जेल रोड स्टैंड से एक अप्रैल 2017 से जून 2017 तक हर माह निगम को 1.20 लाख रुपए की आय होती थी। अगस्त से ठेका समाप्त हो गया। तब से निगम कर्मचारियों से वसूली कराने पर छह माह में 4,63,318 रुपए ही मिल सके हैं। इ सी प्रकार सोनौली रोड टैक्सी स्टैंड से वसूली से होने वाली आय भी ठेका समाप्त होने के बाद बैठ गई है। टैक्सी स्टैंड पर ठेके के दौरान प्रति माह आय 47,917 रुपए थी तो वहीं ठेका खत्म करने के बाद कर्मचारियों ने 18,800 रुपए ही वसूले हैं।

पार्किग का तो हाल ही न पूछिए

शहर के प्रमुख टैक्सी स्टैंड्स के अलावा बात की जाए पार्किग स्पॉट्स की तो यहां वसूली में निगम और भी फिसड्डी साबित हुआ है। सिटी की आठ पब्लिक पार्किग्स से होने वाली वसूली पिछले कई महीनों से निगम कर्मियों की लापरवाही के चलते नाम मात्र ही हो सकी है।

वर्जन

नगर आयुक्त को पत्र लिखकर उनसे कई बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है। अपने स्तर पर भी इसकी पड़ताल कराई जा रही है। इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- सीताराम जायसवाल, मेयर