बिहार के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य दीपक कुमार ने बच्चों की मौत की पुष्टि की है. बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया, "इस क्षेत्र में ये बीमारी पिछले कुछ वर्षों से होती है लेकिन पिछले दो-तीन साल में इसका प्रकोप काफी बढ़ा है."

उनका कहना था कि बच्चों की मौत का सिलसिला मई के अंत में शुरू हुआ था, "इस बीमारी के कारणों का पता नहीं चल रहा है लेकिन जो सुरक्षात्मक इलाज होता है वो उन्हें दिया जाता है."

वहीं मुज़फ़्फ़रपुर के ज़िलाधिकारी अनुपम कुमार ने बीबीसी को बताया कि मृत बच्चे मुज़फ़्फ़रपुर और उसके आस-पास के चार जिलों के ग्रामीण इलाक़ों से हैं. अनुपम कुमार का कहना था कि मुज़फ़्फ़रपुर को छोड़ जिन चार ज़िलों के बच्चे प्रभावित है, उनमें मोतिहार, वैशाली, सीतामढ़ी और शिवहर शामिल हैं.

स्थानीय मीडिया में ऐसी खबरें भी आ रही थीं कि मरने वाले बच्चों की संख्या 29 है, लेकिन इस बारे में अनुपम कुमार ने कहा कि प्रशासन के पास उन्हीं बच्चों से संबंधित रिकॉर्ड है जिनकी मौत सरकारी अस्पतालों में हुई है.

उन्होंने आगे कहा कि अगर कुछ बच्चों की मौत गांवों या फिर निजी अस्पतालों में हुई होगी, तो इस संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है.

प्राप्त सूचना के मुताबिक बच्चों में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के लक्षण सामने आए हैं. लेकिन यह कौन सी बीमारी है इसकी पुष्टि जांच के नतीजे आने के बाद ही हो पाएगा.

नहीं मिला वाइरस

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हालांकि इस संबंध में मुज़फ़्फ़रपुर शहर स्थित सबसे बड़े सरकारी चिकित्सा संस्थान श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (एसकेएमसीएच) के अधीक्षक डाक्टर जीके ठाकुर ने बताया कि अब तक की जांच में इंसेफलाइटिस के किसी वाइरस का पता नहीं चला है.

एसकेएमसीएच में इस बीमारी से संबंधित इलाज की व्यवस्था के संबंध में उन्होंने दावा किया कि यहां पीडि़त बच्चों के इलाज की पूरी सुविधा उपलब्ध है. जिसमें 24 बिस्तरों वाला गहन चिकित्सा केंद्र भी शामिल है.

साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी दी कि एसकेएमसीएच में वर्तमान में 27 बच्चों का इलाज चल रहा है.

इस बीमारी से बचाव के रोकथाम के लिए प्रशासन की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए मुज़फ़्फ़रपुर ज़िलाधिकारी ने बताया कि इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है कि परिजन अपने पीड़ित बच्चों को जल्द-से-जल्द जिला मुख्यालय स्थित अस्पताल पहुंचाएं.

उन्होंने बताया कि इसके लिए हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एंबुलेंस तैनात कर दी गई है. साथ ही निजी वाहन का उपयोग करने वाले परिजनों द्वारा किए गए खर्च का भुगतान भी प्रशासन द्वारा किया जा रहा है.

उनके अनुसार प्रशासन द्वारा यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि परिजन बच्चों को धूप से बचाएं और उन्हें भूखा नहीं रहने दें.

पिछले कुछ सालों से गर्मी बढ़ते ही मुज़फ़्फ़रपुर और आस-पास के ज़िलों में ऐसी ही बीमारी फैल जाती है जिसकी चपेट में आकर अब तक सैकड़ों बच्चों की मौत हो चुकी है.

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