अभियान - कहां सांस ले शहर

RANCHI (11 May) : दस साल पहले तक सिटी में खेल के मैदानों की कोई कमी नहीं थी। बच्चे सुबह सवेरे उठ कर इन मैदानों में खेल ने जाते थे। लेकिन, अब स्थिति पूरी तरह से बदल गई है। खेल के मैदानों को धीरे-धीरे पार्क में तब्दील कर दिया जा रहा है। जो मैदान बचे हैं, वहां भी आए दिन कोई न कोई आयोजन होता रहता है, जिससे बच्चे खेलने से महरूम हो रहे हैं। 'दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट' ने शहर के सिकुड़ते-सिमटते मैदानों का जायजा लिया। इसी कड़ी में प्रस्तुत है आर्चरी ग्राउंड के पार्क बनने की कहानी :

सैकड़ों खिलाडि़यों का छिन गया 'ठिकाना'

मोरहाबादी मैदान में आज जहां नीलांबर-पितांबर पार्क मौजूद है, वहां कभी क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी अपना जौहर दिखाते थे। छोटे से इस मैदान में स्कूल लीग से लेकर 'ए' और 'बी' डिवीजन तक के मैच हुआ करते थे। इसी मैदान में कभी झारखंड के दिग्गज खिलाड़ी प्रदीप खन्ना और महेंद्र सिंह धोनी भी खेले थे। सुबह होते ही इस मैदान में क्रिकेटर्स का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता था। आज यहां दिन भर सन्नाटा पसरा रहता है।

एक साथ तीन-तीन पार्क

मोरहाबादी में एक साथ तीन-तीन पार्क बना दिये गये हैं। इनमें रांची कॉलेज और पीडी डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स दिन में आकर बैठते हैं। सुबह-सुबह मॉर्निग वाकर्स नीलांबर-पितांबर ऑक्सीजन पार्क में घूमते हैं। लेकिन इनमें खिलाडि़यों के लिए जगह सिकुड़ गई है। पार्क का निर्माण एक साल पहले शुरू किया गया था। अब यहां आर्चरी की प्रैक्टिस के लिए जगह तो है, लेकिन क्रिकेटर्स के लिए कोई जगह नहीं है। हां, नेट प्रैक्टिस के लिए छोटी सी जगह छोड़ दी गई है, लेकिन मैदान में मैच के आयोजन बंद कर हो गए हैं।

कोट

आर्चरी मैदान में खेलने का अलग ही मजा था। यहां बाउंड्री छोटी थी, जिसके चलते मैच के दौरान खूब रन बनते थे। अब इस मैदान को दीवारों से कैद कर ि1दया गया है।

रामकुमार सिंह

इस मैदान में क्रिकेट के अलावा हॉकी के खिलाड़ी भी खेलते थे। कभी-कभी फुटबॉल के खिलाड़ी भी आ जाया करते थे। यह सब बंद हो चुका है, जिससे खिलाडि़यों में मायूसी है।

िशवम कुमार

एक के बाद एक खत्म होते मैदान खिलाडि़यों के लिए संकट पैदा कर रहे हैं। आम तौर पर खुले मैदानों पर किसी का अधिकार नहीं होता, लेकिन खिलाडि़यों के लिए यह संपत्ति से कम नहीं।

सत्यप्रकाश

खुले मैदानों को घेर कर पार्क बना देना कहीं से भी उचित नहीं है। सरकार को चाहिए कि हर इलाके में मैदानों को खेलने के लिए और अनुकूल बनाए, न कि उन्हें बंद करे।

कुमोद