-एनर्जी सेविंग को लेकर सरकारी संस्थान नहीं दिखा रहे दिलचस्पी

-शासन की ओर से सभी विभागों सोलर सिस्टम लगाने के आदेश

-नोडल एजेंसी बन रही कलक्ट्रेट समेत विभिन्न विभागों का एस्टीमेट

मेरठ: पावर की खपत कम करने के साथ एक पॉल्यूशन फ्री एनर्जी सूर्य की रोशनी से प्राप्त हो सकती है। केंद्र सरकार के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने प्रदेश की तहसीलों, कलक्ट्रेट, मंडलायुक्त कार्यालय आदि सरकारी इमारतों पर सोलर संयत्र की स्थापना के आदेश दिए हैं। सरकार की मंशा को धता बताते हुए स्पष्ट आदेशों के बाद भी मेरठ के एक भी सरकारी विभाग में सोलर संयंत्र को स्थापित नहीं किया जा सका है।

बजट में रिलीज हो धन

राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव की ओर से निदेशक, उप्र नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा विकास अभिकरण को पत्र लिखकर स्पष्ट किया गया कि वे मेरठ समेत सूबे के सभी जनपदों की सरकारी इमारतों का एस्टीमेट बना लें। मई 2016 के आदेशों का अनुपालन नहीं हो सका है जबकि सरकार ने 50 तहसीलों, 10 कलक्ट्रेट और 2 मंडलायुक्त कार्यालय में संयत्र स्थापित करने के लिए 27.30 करोड़ का पायलट प्रोजेक्ट भी तैयार कर लिया गया है। पायलट प्रोजेक्ट में 1560 केवी क्षमता के संयत्र स्थापित किए जाने हैं।

अधर में अटका परीक्षण

नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा विकास विभाग (नेडा) द्वारा मेरठ में विकास प्राधिकरण, सीएमओ, अपर निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, प्रभारी अधिकारी मिलिट्री डेरी फार्म, क्षेत्रीय क्रीडाधिकारी, कैलाश प्रकाश स्टेडियम, रजिस्ट्रार सीसीएसयू का एस्टीमेट बनाया गया है। कलक्ट्रेट में 5 केबीए का संयत्र काम कर रहा है जबकि टेलीफोन विभाग, इनकम टैक्स विभाग, सेल्स टैक्स, एग्रीकल्चर विभाग और मोदीपुरम स्थित एग्रीकल्चर यूनीवर्सिटी में संयत्र की स्थापना की योजना है। विकास भवन में छत का निर्माण न होने से संयत्र स्थापित नहीं किया जा सका है।

80 फीसदी बचेगा खर्च

आंकडों के मुताबिक बैटरी बैकअप सहित सोलर संयत्र लगाने के लिए प्रति किलोवाट 1.75 रुपये का खर्च आएगा। नेडा के परियोजना अधिकारी ने बताया कि बैटरी बैकअप के साथ सोलर संयंत्र स्थापित होने स्थापित होने के बाद पॉवर बिलिंग में 80 फीसदी तक कमी आएगी। फिलहाल सरकार द्वारा सब्सिडी बढ़ाने पर भी विचार चल रहा है।

बॉक्स

लखनऊ में हो चुकी शुरुआत

भवन बिल बचत

शास्त्री भवन 7, 42, 000

बापू भवन 1, 42, 287

जल निगम 23, 286

आवास-विकास 10, 704

राजकीय निर्माण निगम 7346

इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज 43, 470

शक्ति भवन 2, 90, 075

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सोलर ऊर्जा से गुलजार नहीं होगा एमडीए

-एमडीए में 150 किलोवाट क्षमता का लगाया जाना था सोलर प्लांट

-अवस्थापना बैठक में पास नहीं हो सका पौने तीन करोड़ का प्रस्ताव

मेरठ। पिछले एक साल से सोलर प्लांट स्थापना का दावा कर रहे एमडीए का यह महत्वाकांक्षी प्रस्ताव अवस्थापना बैठक में जाते ही चित हो गया। अवस्थापना कमेटी के निर्णय के बाद एमडीए का सोलर प्लांटा का प्रोजेक्ट धराशायी हो गया।

क्या था प्रोजेक्ट?

एमडीए ने पारंपरिक बिजली पर निर्भरता कम करते हुए अपनी बिजली खपत के लिए सोलर एनर्जी प्लांट लगाने का निर्णय लिया था। सोलर एनर्जी प्लांट को लेकर बनाए गए एमडीए के इस प्रोजेक्ट के लिए टेंडर निकालकर एक माह के भीतर पूर्ण कर लिया गया था।

150 किलोवाट का था प्रोजेक्ट

एमडीए का विद्युत भार अभी 250 किलोवाट है। एमडीए का प्लान इस लोड को एलईडी में तब्दील कर उसको 150 किलोवाट तक लाना था। जिसके बाद एमडीए रूफ टॉप पर डेढ़ सौ किलोवाट का एक सोलर एनर्जी प्लांट लगाया जाना था। इस तरह से एमडीए कार्यालय में खर्च की जाने वाली बिजली की कुल खपत को पारंपरिक बिजली से हटाकर सोलर एनर्जी बेस्ड बनाया जाना था।

3.75 करोड होगी लागत

एमडीए ने जिस सोलर एनर्जी प्लांट का प्रस्ताव तैयार किया था। उसकी कुल लागत 3.75 करोड रखी गई थी। जिसके अंतर्गत पायलेट प्लान के मुताबिक सबसे पहले दस किलोवाट (लागत 23 लाख) का एक सोलर प्लांट लगाया जाना था। इसकी सफलता के बाद पूरे पॉवर लोड को सोलर एनर्जी बेस्ड करते हुए सोलर एनर्जी का बड़ा प्लांट स्थापित कराया जाना तय था।

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एमडीए द्वारा सोलर एनर्जी प्लांट का प्रस्ताव तैयार किया गया था। यह प्रस्ताव अवस्थापना बैठक में रखा गया था। कमेटी से सोलर एनर्जी प्लांट के प्रस्ताव मंजूरी नहीं मिली।

-शबीह हैदर, एसई एमडीए