GS का चलेगा जोर

सिविल सर्विसेज की प्रिप्रेशन करने वाले स्टूडेंट्स को जनरल स्टडीज के लिए स्टडी स्टाइल को काफी चेंज करना होगा। असल में ट्रेडीशनल जीएस के बजाए अब क्रिएटिव जीएस बन चुका है। इस पेपर में अब हिस्ट्री, ज्योग्रॉफी, इकोनॉमिक्स, पॉलिटिकल साइंस, जनरल साइंस, नेशनल एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के साथ ही सोशल इंटीग्रिटी, इश्यूज, वैल्यूज और एथिक्स की भी प्रिप्रेशंस करनी होगी। इसके अलावा कैंडीडेट्स के टेक्नोलॉजी, इकोनॉमिकल डेवलपमेंट, बॉयो डायवर्सिटी और एन्वायरनमेंट सेफ्टी और डिजास्टर मैनेजमेंट की समझ की परख भी ली जाएगी।

Optional के marks अब आधे

नए पैटर्न में  9 के बजाए केवल 7 ही पेपर्स देने होंगे। पहला सब्जेक्ट एस्से और इंग्लिश का होगा। नेक्स्ट 4 पेपर्स जनरल स्टडीज के होंगे। पेपर 6 और 7 एकमात्र ऑप्शनल सब्जेक्ट के होंगे। अब तक होने वाले जनरल स्टडीज के दो पेपर 600 माक्र्स के होते थे, जो 1000 माक्र्स के होंगे। 1200 माक्र्स के ऑप्शनल सब्जेक्ट्स के पेपर 500 माक्र्स स्कोर करवा सकते हैं।

हिंदी मीडियम की problem बढ़ी

अब तक क्वालीफाइंग होने वाला इंग्लिश लैंग्वेज का पेपर अब मेरिट डिसाइडिंग हो चुका है। असल में अब तक मेन्स में इंडियन और इंग्लिश लैंग्वेज का 300 मार्क्स का

पेपर केवल क्वालीफाइंग होता है, इसमें कम या ज्यादा माक्र्स आने पर मेरिट पर खास असर नहीं पड़ता था। अब रीजनल लैंग्वेज का तो पेपर ही नहीं लिया जाएगा। किसी भी लैंग्वेज के लिट्रेचर ऑप्शनल सब्जेक्ट में ऑप्ट करने का मौका केवल उन्हीं स्टूडेंट्स को दिया जाएगा, जिन्होंने ग्रेजुएशन में लिट्रेचर से ऑनर्स किया हो या थर्ड ईयर में ऑप्ट किया होगा। इंग्लिश लैंग्वेज को एस्से के पेपर के साथ जोड़ दिया गया है। इसमें इंग्लिश लैंग्वेज का पार्ट 100 माक्र्स का होगा।

Last attempt वालों की परेशानी

लास्ट अटेंप्ट के लिए प्रिप्रेशन करने वाले स्टूडेंट्स के लिए यह फैसला काफी निराशाजनक है। सिविल सर्विसेज के मेन्स एग्जाम में परिवर्तन से प्रजेंट ईयर में लास्ट अटेंप्ट देने वाले स्टूडेंट्स को सबसे ज्यादा प्रॉब्लम हो रही है। अब तक जिस पैटर्न पर एग्जाम्स दिए हैं, वह उसमें ही रम चुके हैं। ऐसे में पैटर्न में परिवर्तन से वह परेशान हैं।

Literature में स्कोर होते हैं marks

एक्सपट्र्स की मानें, तो पिछले कुछ साल सिविल सर्विसेज के एग्जाम्स में इंजीनियरिंग और मेडिकल के स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह इन स्टूडेंट्स के पास ऑप्शनल सब्जेक्ट्स के रूप में रीजनल लिट्रेचर को ऑप्ट करने का ऑप्शन था। आमतौर पर स्टूडेंट्स जिस क्षेत्र से आते हैं, वह वहां की लैंग्वेज तो जानते ही हैं। इंजीनियरिंग और मेडिकल के स्टूडेंट्स होने की वजह से मेहनत करना आदत में ही शुमार होता है। ऐसे में वह कम समय में लिट्रेचर की प्रिप्रेशन करके अच्छे माक्र्स स्कोर कर लेते हैं। अब इंजीनियरिंग और मेडिकल स्टूडेंट्स को ऑप्शन नहीं मिल पाएगा।

CBSE और ICSE बोर्ड को फायदा

एक्सपट्र्स के मुताबिक, मेन्स एग्जाम से रीजनल लैंग्वेज का ऑप्शन खत्म होने और इंग्लिश के मेरिट डिसाइडिंग बनने से रीजनल बोड्र्स के स्टूडेंट्स को नुकसान झेलना पड़ेगा, वहीं सीबीएसई और आईसीएससी बोर्ड के स्टूडेंट्स इससे काफी एनकरेज हो जाएंगे। यूपी बोर्ड में तो अभी तक इंग्लिश को क्लास 9-10 के लिए कंपलसरी सब्जेक्ट भी नहीं बनाया गया है।

पीटी में हो चुका है change

सिविल सर्विसेज के लिए होने वाले प्री एग्जाम का स्वरूप भी 2010 में बदल दिया गया था। इस दौरान पीटी में भी कैंची ऑप्शनल सब्जेक्ट्स पर ही चलाई गई थी। इसकी जगह सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट (सी-सैट) लिया जाने लगा। इससे पहले होने वाले टेस्ट में जीएस के क्वेशचंस का वेटेज 1 माक्र्स और ऑप्शनल सब्जेक्ट 2.5 मार्क्स का होता था। पर सी-सैट के जरिए इसे बैलेंस ही किया गया।

 

'आईएएस के एग्जाम पैटर्न में हुआ बदलाव वास्तव में रीजनल लैंग्वेज के जरिए अच्छे माक्र्स स्क ोर करने वाले कैंडीडेट्स के लिए परेशानी भरा हो सकता है। वास्तव में, बदलाव के बाद का सिलेबस करेंट अफेयर्स से जुड़ाहै। पहली बार में कैंडीडेट्स कुछ कन्फ्यूज्ड हो सकते हैं, पर लांग टर्म में फायदे की उम्मीद है। कहीं ना कहीं यह पैटर्न आईएएस की प्रिप्रेशन करने वाले कैंडीडेट्स की कोचिंग्स पर से डिपेंडेंसी को भी कम करेगा.'

-डॉ। केबी त्रिपाठी, डायरेक्टर, कोचिंग इंस्टीट्यूट

'आईएएस के मेंस एग्जाम पैटर्न में बदलाव अच्छा है। इससे सिविल सर्विसेज में सेलेक्ट होने वालों की एप्रोच जनरलाइज हो पाएगी। काफी दिनों से ऐसे समग्र बदलाव की जरूरत भी महसूस की जा रही थी। ग्लोबल सिनेरियो के  साथ चलने के लिए अखिल भारतीय सेवकों को इंग्लिश और कंप्यूटर की नॉलेज बहुत जरूरी है। वैसे भी इंग्लिश लैंग्वेज में केवल मैट्रिक तक का ही सिलेबस कंसीडर किया जाना है। इससे हमारा एजुकेशन सिस्टम भी अपग्रेड हो पाएगा.'

-रमाकांत उपाध्याय, फैकल्टी, आईएएस कोचिंग

ऐसे करें बेहतर तैयारी

-समाज शास्त्र की तैयारी के लिए एनसीईआरटी की क्लास 11 व 12 की बुक्स मददगार हैं।

-जीएस में आने वाली वल्र्ड हिस्ट्री प्रिप्रेशन के लिए एनसीईआरटी की क्लास 9-12 तक की बुक्स से स्टडी करना चाहिए।

-एनसीईआरटी की इंडिया एंड वल्र्ड पॉलिटिक्स भी रिच प्रिप्रेशन के लिए अच्छी होगी।

-इंडियन पालिटिक्स की पढ़ाई के लिए सुभाष कश्यप की ऑवर कॉन्टीट्यूशन और ऑवर पॉर्लियामेंट बेस्ट साबित होंगी।

-इंग्लिश लैंग्वेज की प्रिप्रेशन के लिए हाईस्कूल की ग्रामर की बुक से प्रेक्टिस करें।

-वहीं एक इंग्लिश न्यूज पेपर से एडिटोरियल की रीडिंग जरूर क रें।

-करेंट अफेयर्स के लिए डेली न्यूज पेपर रीडिंग करें।

-पवन मिश्रा, डायरेक्टर, सृजन आईएएस लखनऊ

 

'चेंजेज एसपिरेंट्स के लिए फायदेमंद होने के साथ-साथ कुछ हद तक नुकसानदायक भी साबित हो सकते हैं। खासकर हिंदी बेल्ट के एसपिरेंट्स के लिए। इंग्लिश के माक्र्स मेरिट के लिए कंपलसरी हो गए हैं। ऐसे में हिंदी बेल्ट के एसपिरेंट्स को इंग्लिश को ज्यादा मजबूत करना होगा। जीएस पर ज्यादा जोर होने से कैंडीडेट्स सोशल ईश्यूज से ज्यादा रूबरू हो पाएंगे। ऑप्शनल पेपर्स कम होने से उच्च संस्थान के स्टूडेंट्स शॉर्टकट  नहीं अपना पाएंगे। एक आम स्टूडेंट भी रेग्युलर करेंट अफेयर्स की नॉलेज गेन करेगा तो फायदा मिलेगा.'

-आकाश कुलहरि, एसएसपी बरेली

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