PATNA: बिहार सरकार की योजना सात निश्चय में से एक निश्चय हर घर बिजली का भी है। लेकिन सरकार का यह लक्ष्य कमजोर हो रहा है। राजधानी पटना को यदि छोड़ दें तो अन्य जिलों में बिजली की स्थिति ठीक नहीं है। ढांचागत सुधार ठीक नहीं होने से कहीं बिजली आपूर्ति की समस्या है तो कहीं नए ट्रांसफार्मर लगाने की समस्या है। उधर, कर्मचारियों की कमी को पूरा नहीं किया जा सका है। सात जून, 2018 को बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी की ओर से विज्ञापन नंबर 6 /2018 के अंतर्गत जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल के 400 पदों और विज्ञापन संख्या 7/ 2018 के अंतर्गत जूनियर इंजीनियर सिविल के 175 पदों पर बहाली होनी थी। आठ जुलाई, 2018 तक इसके लिए आवेदन लिया गया था। लेकिन यह प्रक्रिया अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इसे लेकर कैंडिडेट्स कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं।

नियमावली पर उठ रहे सवाल

इस नियुक्तिप्रक्रिया को लेकर काफी विरोध हो रहा है। बिहार पॉलिटेक्निक संघ के अध्यक्ष अनुभव राज ने कहा कि बिजली कंपनी ने 2016 में नियुक्तिनियमावली में यह स्पष्ट ही नहीं किया कि अप्लाई करने के लिए सिर्फ डिप्लोमा के कैंडिडेट ही योग्य हैं। इसमें बीटेक के कैंडिडेट्स ने भी अप्लाई किया है। इस कारण मामला कोर्ट में चला गया। यदि नियम स्पष्ट होती तो इसमें नियुक्तिप्रक्रिया अब तक पूरी हो गई होती।

अन्य राज्यों से अलग नियम

जूनियर इंजीनियर के पदों पर नियुक्तिके लिए अन्य राज्यों में डिप्लोमा के कैंडिडेट की नियुक्तिकी जाती है। जबकि बिहार में इन पदों के लिए बीटेक और डिप्लोमा दोनों कैंडिडेट्स को भी मान्य माना गया। बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के मामले में भी यही बात है। जबकि इसका विरोध पहले भी हो रहा था। इस बात को डिप्लोमा के कैंडिडेट्स ने पुरजोर तरीके से उठाया है।

बिजली उपभोग में सबसे पीछे

किसी भी राज्य की प्रगति और उसे स्मार्ट सिटी का दर्जा का दावा पुख्ता करने के लिए कई मानक हैं। इसमें से प्रति व्यक्ति बिजली की खपत भी मायने रखता है। लेकिन इसमें बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्य में शामिल है। एक आंकडे़ के अनुसार देश में प्रति व्यक्तिवार्षिक बिजली खपत 1149 यूनिट है जबकि बिहार में यह आंकड़ा 272 यूनिट प्रति व्यक्ति वार्षिक है। इसमें सुधार के लिए राज्य सरकार अब भी जूझ रही है। इसलिए नियुक्तिप्रक्रिया कोर्ट में जाने से यह मामला लंबित है। इससे बिजली की आधारभूत संरचना का काम पिछड़ता जा रहा है। साथ ही इस कारण प्रोजेक्ट कास्ट बढ़ने से सरकार पर आर्थिक बोझ भी बढ़ सकता है।