13 से नेशनल चैैंपियनशिप
पिट्ठो यानी लगोरी अब स्पोट्र्स इïवेंट के तौर पर खेला जा रहा है। इस खेल को नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर पॉपुलर बनाने के लिए पहल चल रही है। इस सिलसिले में लगोरी नेशनल चैैंपियनशिप का आयोजन हरियाणा में किया जा रहा है। इस चैैंपियनशिप में देशभर के लगोरी प्लेयर्स अपना जलवा दिखाने के लिए मौजूद होंगे। 13 नवंबर से शुरु हो रही इस चैैंपियनशिप में झारखंड की टीम भी पार्टिसिपेट करेगी।

फेसबुक पर भी लगोरी
वैसे तो झारखंड में लगोरी ने इसी साल दस्तक दी है, पर बतौर गेम, लगोरी को पॉुपलर व प्रमोट करने के लिए पहल शुरु हो गई है। झारखंड लगोरी एसोसिएशन का तो गठन हो ही चुका है, झारखंड लगोरी के नाम से फेसबुक पर भी एक पेज क्रिएट किया गया। इस पेज का मकसद लोगों को बचपन के उस खेल से अवेयर करने के साथ-साथ जोडऩा है, जिसका वे मजा ले चुके हैैं। झारखंड लगोरी एसोसिएशन के जेनरल सेक्रेटरी मिथिलेश सिंह बताते हैैं कि लगोरी यानी बिïट्टोह काफी पुराना खेल है। अब यह न सिर्फ नेशनल, बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी खेला जा रहा है। बतौर गेम्स, इसे स्पोट्र्स इवेंट में शामिल किया जा चुका है। खास बात है कि तमिलनाडु में इस गेम्स की पढ़ाई भी हो रही है। क्लास सिक्स के सिलेबस में लगोरी नाम से एक चैप्टर भी है, जिसे बच्चे पढ़ रहे हैैं।

क्या है लगोरी ?
तो चलिए, आपको बता देते हैैं कि शौकिया खेल बिïट्टोह आखिर कैसे लगोरी बन गया। बचपन मे खेला जानेवाले इस पुराने खेल को किस तरह नया अंदाज में खेला जा रहा है और इसकी क्या है खासियत, यह जानकर आपकी जेहन में इस खेल की यादें खुद-ब-खुद आ जाएंगी। दरअसल, पांच से सात खपरे के टुकड़ों को एक के ऊपर एक रखना और फिर उसे बॉल से मारकर गिराना। खपरे अगर गिर जाएं तो अपोनेंट टीम जहां खपरा गिराने वाले को बॉल से निशाना बनाने की कोशिश करती है, वहीं खपरा गिराने वाली टीम की कोशिश खपरों को फिर से समेटना होता है। आखिर में जीत उसी को मिलती है, जो पहले खपरे को फिर से समेट लेते है या फिर बॉल से आउट करने वाली टीम को मौका मिलता है। इस खेल के लिए बच्चों की दो टीम बनाई जाती है। एक टीम खपरे के टुकड़ों को गिराती है, तो दूसरी टीम खपरे गिरानेवाली टीम के मेंबर्स को बॉल से निशाना बनाती है। तो, यह एंटरटेनिंग गेम एकबार फिर आपको स्टेट और नेशनल लेवल पर जुडऩे का मौका दे रहा है।