क्राइम ब्रांच ने खोराबार में बरामद किया था टैंकर

एक हफ्ते से जांच के नाम पर हलकान हो रहा ड्राइवर

GORAKHPUR: खोराबार एरिया में सालवेंट ले जा रहे टैंकर को बरामद करने वाली क्राइम ब्रांच एक हफ्ते बाद किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। जिला आपूर्ति विभाग को मामले की जांच ओढ़ाकर क्राइम ब्रांच दरोगा-सिपाही चैन से सो रहे हैं। पुलिस, जिला आपूर्ति विभाग और ऑयल कंपनियों के बीच फंसी जांच पड़ताल का खामियाजा टैंकर ड्राइवर और खलासी भुगत रहे हैं। जल्द जांच पूरी होने की आस में एक हफ्ते से ड्राइवर और खलासी पुलिस हिरासत में पड़े हैं। क्राइम ब्रांच के सीओ ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है। जल्द इसका निस्तारण कर दिया जाएगा।

एक मई को फोरलेन पर पकड़ा टैंकर

क्राइम ब्रांच की टीम एक मई को फोरलेन पर पहुंची। पुलिस ने सालवेंट ले जा रहे टैंकर को रोककर पूछताछ शुरू कर दी। टैंकर को कब्जे में लेकर क्राइम ब्रांच ने थाने में खड़ा करा दिया। टैंकर ड्राइवर की पहचान कुशीनगर, कप्तानगंज के मोहन मुंडेरा निवासी प्रमोद कुमार चौधरी के रूप में हुई। उसने पुलिस को बताया कि वह रायबरेली से साल्वेंट लेकर आ रहा है। उसे चौरीचौरा एक पेट्रोल पंप पर डिलीवरी देनी थी। सालवेंट बरामद होने की सूचना पुलिस ने जिला आपूर्ति विभाग को दिया। आपूर्ति विभाग के कर्मचारी जांच पड़ताल में जुट गए। एक हफ्ते बाद भी कोई नतीजा सामने नहीं आ सका। हालांकि पुलिस ने दावा किया था कि सालवेंट की तस्करी की जानकारी मिली थी।

जांच के नाम पर झेल रहा ड्राइवर

एक हफ्ते से ड्राइवर खोराबार थाना में बैठाया गया है। क्राइम ब्रांच का मामला होने से पुलिस उसे छोड़ नहीं पा रही है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि जिला आपूर्ति विभाग ने मामले की जानकारी पेट्रोलियम अधिकारियों को दी है। शनिवार को सालवेंट का नमूना कलेक्ट कर जांच के लिए भेजा गया है। लेकिन जांच रिपोर्ट कब तक आ जाएगी। इसके बारे में कोई नहीं बता पा रहा है। जिला आपूर्ति विभाग पर मामला टालकर क्राइम ब्रांच ने अपना पीछा छुड़ा लिया। जबकि, शुरुआती पूछताछ में ड्राइवर ने बताया था कि वह चौरीचौरा एक पेट्रोल पंप पर ले जा रहा था। एक प्रभावशाली के पेट्रोल पंप का नाम सामने आने पर पुलिस बैकफुट पर आ गई।

इस काम आता है सालवेंट

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि लिक्विड फ्यूल है। इसका इस्तेमाल बड़ी फैक्ट्रियों में बर्नर जलाने के लिए किया जाता है। इसकी सप्लाई सिर्फ फैक्ट्रियों को दी जाती है। साल्वेंट को आसानी से पेट्रोल में मिलाया जा सकता है। साल्वेंट की कीमत कम होने से कुछ पेट्रोल पंप वाले इसका इस्तेमाल करते हैं। साल्वेंट मिले पेट्रोल के इस्तेमाल से वाहनों के इंजन बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं। इससे पाल्युशन भी अपेक्षाकृत ज्यादा होता है।

वर्जन

साल्वेंट के मामले की जांच पड़ताल की जा रही है। रिपोर्ट आने पर इसमें कार्रवाई की जाएगी। कई विभागों का मामला होने से पेंच फंस गया है।

अभय कुमार मिश्रा, सीओ क्राइम ब्रांच