पिछले 1 दशक में तेजी से बढ़ी कानपुर की आबादी
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KANPUR : शहरों में तेजी से बढ़ती आबादी अब चिंता का सबब बनती जा रही है। कानपुर की बात करें तो पिछले 1 दशक में कानपुर की आबादी 2 गुनी से ज्यादा हो चुकी है। मौजूदा समय में कानपुर की आबादी 50 लाख के आंकड़े को भी पार कर चुकी है। जनसंख्या विस्फोट के चलते कानपुराइट्स अब मूलभूत सुविधाओं के लिए भी भटकने लगे हैं। सड़कों पर टै्रफिक का बोझ बढ़ता जा रहा है, हरियाली कम हो रही है और प्रदूषण बढ़ रहा है। कूड़े और गंदगी के ढेर में शहर तब्दील हो चुका है। हर दिन 500 नए वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं। सरकारी हॉस्पिटल्स में मरीजों की संख्या इस कदर बढ़ गई है कि 11,000 की आबादी पर 1 डॉक्टर है, जबकि 1000 की आबादी पर 1 डॉक्टर होना चाहिए। सालाना बच्चों के पैदा होने की दर कुल आबादी का 11 परसेंट तक हाे गई है।
दिन पर दिन बढ़ता जा रहा प्रदूषण
शहर में बढ़ती आबादी की वजह से सड़कों पर वाहनों का बोझ से लोग घंटों जाम में फंसते हैं। जिससे शहर में प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है। शहर में 50 हजार से ज्यादा ऐसे वाहन हैं जो अपनी लाइफ पूरी कर चुके हैं, फिर भी आरटीओ विभाग से जुगाड़ की दम पर सड़कों पर दौड़ रहे है। ये वाहन प्रदूषण के बड़े कारक हैं।
वाहन लोड
वर्ष 2017
थ्री व्हीलर गुड्स 108
मोटर कार 18343
मोटर कैब 774
मोपेड 1961
मोटर बाइक 83031
टै्रक्टर 1048
गुड्स कैरियर 3197
बस 115
आेमनी बस 20
वर्ष 2016
थ्री व्हीलर गुड्स 184
मोटर कार 16024
मोटर कैब 258
मोपेड 2616
मोटर साइकिल 77415
टै्रक्टर 109
गुड्स कैरियर 2065
बस 101
आेमनी बस 16
वर्ष 2015
थ्री व्हीलर गुड्स 280
मोटर कार 15562
मोटर कैब 245
मोपेड 2178
मोटर साइकिल 75184
टै्रक्टर 118
गुड्स कैरियर 1847
बस 109
आेमनी बस 20
वर्ष 2014
थ्री व्हीलर गुड्स 370
मोटर कार 14750
मोटर कैब 84
मोपेड 2171
मोटर साइकिल 73344
टै्रक्टर 125
गुड्स कैरियर 1399
बस 96
ओमनी बस 14
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'कूड़ा घर' में तब्दील हो रहा शहर
बढ़ती आबादी के बोझ से अब प्रतिदिन 1300 टन कूड़ा निकलता है। जबकि इसके निस्तारण कोई खास व्यवस्था नहीं है। शहर में पॉलिथीन वेस्ट के रूप में रोजाना लगभग 13 टन तक निकलती है। जो पर्यावरण के साथ आबादी को भी नुकसान पहुंचा रही है।
कूड़े के यह हैं हालात
-2 लाख टन कूड़ा प्लांट में डंप पड़ा है।
-1300 टन कूड़ा रोजाना प्लांट में आता
-50 गाडि़यों के जरिए पहुंचता है कूड़ा।
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बढ़ता जा रहा कंक्रीट का जंगल
शहरी क्षेत्र में लगातार वन क्षेत्र कम किया गया। बढ़ती आबादी से वन क्षेत्रों में नई-नई कॉलोनियां विकसित की गई। जिससे हरित क्षेत्रों को काफी नुकसान पहुंचा है। अब हालात यह हैं कि शहरी क्षेत्र में सिर्फ 3 परसेंट ही वन क्षेत्र बचा है। घटते वन क्षेत्रों की वजह से एनवॉयरमेंट में खतरनाक नाइट्रिक ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड कणों की बढ़ती मात्रा धीरे-धीरे हमारे जीवन को खत्म कर रही है।
हरियाली आंकड़ों के आइने से
साल 2016
3,16,000 पौधे-- फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने लगाए
2,39,000 पौधे-- अन्य विभागों के द्वारा लगाए गए
साल 2017
5,40,000 पौधे--- फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का टारगेट
1,33,000 पौधे--- अन्य विभागों को इस साल का टारगेट
(जुलाई से सितंबर महीने में पौधों को लगाने का कार्य विभागों द्वारा शुरू किया जाएगा.)
साल 2018
13,37,700 पौधे--लगाने के लिए वन विभाग को दिया टारगेट।
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हरियाली के लिए अलॉट बजट
2016---3 करोड़ का बजट खर्च किया गया।
2017---90 लाख खर्च हुआ।
2018---15 करोड़ का बजट बनाकर भेजा गया है।
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एक नजर में कानपुर
जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल- 3155 वर्ग किलोमीटर
पुरुषों की जनसंख्या- 24,60,000
स्त्रियों की जनसंख्या- 21,21,000
ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी- 15,66,000
शहरी क्षेत्र में आबादी- 30,16,000
तहसीलों की संख्या- 4 (सदर, घाटमपुर, बिल्हौर, नर्वलल)
विकासखंड- 10
न्याय पंचायत- 90
ग्राम पंचायत- 557
नोट- जनसंख्या 2011 सेंसेस के मुताबिक।
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