- कृषि भूमि और पेड़ों को काटकर बन गई कॉलोनियां

BAREILLY:

वन उजड़ते गए और हमारा बरेली कंक्रीट में तब्दील होता गया। अब आलम यह है कि जिले के लोगों को स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन तक नहीं मिल पा रहा है। एक्सपर्ट के अनुसार चार व्यक्ति को रोजाना ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा के लिए एक पेड़ की जरूरत होती है। इस लिहाज से जिले की 45 लाख से अधिक की आबादी के लिए करीब 12 लाख पेड़ों की दरकार है। वह भी अधिक पत्तियों वाले बडे़ पेड़ जैसे- पीपल, बरगद और नीम। यदि कम पत्तियों और छोटा पेड़ है, तो 5 पेड़ भी एक व्यक्ति को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं दे पाता है। इस लिहाज से जिले की आबादी के हिसाब से करीब 2 करोड़ पेड़ की जरूरत ऑक्सीजन के लिए है। जबकि जिले में कितने पेड़ उपलब्ध हैं, इसका आंकड़ा विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। निगम, बीडीए और वन विभाग ने कभी इनकी गणना ही नहीं कराई कि बरेली में कितने बड़े पेड़ बचे हैं।

क्यों घटी पेड़ों की संख्या

विगत 30 वषरें में बरेली का खूब विकास हुआ और लम्बी-चौड़ी कृषि भूमि पर कॉलोनियां बनती गयीं। निर्माण के दौरान बड़ी मात्रा में पेड़ काटे गए। पिछले एक दशक से विकसित क्षेत्रों में पुराने मकानों को तोड़कर आवासीय और व्यावसायिक बहुमंजिला निर्माणों का दौर चल रहा है। ऐसे में बचे हुए पेड़ों को भी काटा जा रहा है। बढ़ती आबादी के अनुरूप सड़कें चौड़ी करने के लिए सड़क किनारे लगे लाखों पेड़ों को काटा गया। प्रतिवर्ष हजारों पेड़ दीमक लगने के कारण खत्म हो रहे हैं। सरकारी स्तर पर बचाने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।

सरकारी विभागों की लापरवाही है

पेड़ों की घटती संख्या सरकारी विभागों की आपराधिक लापरवाही है। विकास के नाम पर विभाग पेड़ों की तो बली चढ़ा देते हैं, लेकिन उनकी जगह नए पेड़ लगाने में कोताही बरती जाती है। वन विभाग के अधिकारियों को तो यह तक नहीं पता कि शहर के आसपास कितना वन क्षेत्र बचा है और कितने पेड़ों का सफाया हो चुका है। हालांकि वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष जिले भर में 3,75,400 पौधे लगाए जाने हैं।

पेड़ सुधारते हैं सेहत

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त रहता है। एक्सपर्ट का कहना है कि प्रकृति के करीब रहने से हमारे मन को सुकून मिलता है। हम कुदरत के करीब जाएं तो हमें परेशान करने वाले विचार दिमाग से दूर रहते हैं। पेड़ों के आसपास चलने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर सामान्य रहता है। एक पेड़ 1 वर्ष में 21.7 केजी कॉर्बन डाईऑक्साइड अपने अंदर सोखता है और इतनी ही ऑक्सीजन देता है कि चार आदमी जिंदा रह सकें।

जिले में इस वर्ष पौने चार लाख के करीब पौध लगाए जाने की योजना हैं। सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। ताकि, पर्यावरण हरा-भरा रहे।

धर्म सिंह, जिला वन अधिकारी