-हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए 27 मई तक मांगी रिपोर्ट

कैंटीनों में अरहर की घटिया दाल बेचे जाने का आरोप

LUCKNOW (26April): हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार की विभिन्न कैंटीनों में अरहर की घटिया दाल बेचे जाने का आरोप लगाया गया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा को करने के आदेश दिए हैं।

120 रुपये प्रति किलो की कीमत

हरिशंकर पांडेय की इस याचिका में कहा गया कि कर्मचारी कल्याण निगम, फैमिली बाजार और जवाहर भवन की कैंटीनों में बेची जा रही अरहर की दाल बेहद घटिया है। 120 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत वाली इस दाल के पैकेट पर कहीं भी एक्सपायरी डेट, क्वालिटी सर्टिफिकेट और न्यूट्रिटिव वैल्यू का जिक्र नहीं है। दलील दी गई कि पैकेट पर उत्तर प्रदेश शासन का चिन्ह है, जबकि दाल सप्लाई करने वाली आनंदेश्वर एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड का जिक्र पैकेट पर बहुत छोटा सा दिया हुआ है। लोगों को लगता है कि वे सरकार से दाल खरीद रहे हैं इसलिए वे इसकी गुणवत्ता पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं।

कंपनी का दावा, सभी मानक पूरे

याची की ओर से न्यायालय में सरकारी कैंटीन में बिकने वाली दाल और बाजार में बिकने वाली दाल के पैकेट पेश करते हुए दलील दी गई कि किस प्रकार प्राइवेट कंपनी के दाल के पैकेट सभी मानक पूरे कर रहे हैं, जबकि कैंटीन की दाल पर आवश्यक सूचनाएं ही नदारद हैं। याचिका में आनंदेश्वर कंपनी से सरकारी विभाग के व्यापारिक समझौते पर भी प्रश्न उठाए गए। वहीं कर्मचारी कल्याण निगम की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि आनंदेश्वर कंपनी दाल की महज पैकिंग करती है, वास्तव में दाल एमएमटीसी, भारत सरकार से खरीदी जाती है। कैंटीन में बेची जा रही दाल पूरी तरह स्वास्थ्यवर्धक है। आरोप लगाया गया कि याची अपनी नौकरी के दौरान खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में कार्यरत था, जहां उसकी कुछ लोगों से व्यक्तिगत रंजिश है, इसलिए यह याचिका दायर की गई है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला और न्यायमूर्ति अनंत कुमार की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में उत्पाद की गुणवत्ता और कीमत पर उठाए गए प्रश्न की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से कराना उचित होगा। लिहाजा ईओडब्ल्यू इस पूरे प्रकरण की जांच करे और 27 मई तक जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे।

केंद्र ने भेजी थी 500 मीट्रिक टन दाल

अरहर की दाल के बढ़ते दामों को काबू करने के लिए केन्द्र सरकार ने विदेश से दाल खरीद कर यूपी को सप्लाई की थी। दो बार में करीब पांच सौ मीट्रिक टन दाल आने के बाद उसे राज्य कर्मचारी निगम की कैंटीन तथा जिलों में बकायदा कैम्प लगाकर राशन कार्ड धारकों को कम दामों में बेचा गया था।

150 रूपये से ऊपर चले गये थे दाम

पिछले साल देश में अरहर की दाल की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए केन्द्र सरकार ने विदेश से करीब दस हजार मीट्रिक टन दाल खरीदी थी। यह खरीद भारत सरकार के पीएसयू एमएमटीसी लिमिटेड के जरिए हुई। बाद में इसे विभिन्न राज्यों को भेजा गया। यूपी के हिस्से में भी पांच सौ मीट्रिक टन आई जिसे 120 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा गया। ढाई सौ मीट्रिक टन की पहली खेप पिछले साल अक्टूबर में तथा इतनी ही मात्रा की दूसरी खेप फरवरी में निगम को मिली। कई जिलों में तो बकायदा डीएम ने कैम्प लगाकर राशन कार्ड धारकों के लिए खुली बिक्री की ताकि दाल की कीमतें कम हो सके। मालूम हो कि उस दौरान दाल की कीमत 150 रुपये प्रति किलो से ऊपर चली गयी थी।

कानपुर की फर्म को दिया था टेंडर

कर्मचारी कल्याण निगम ने केन्द्र सरकार द्वारा भेजी गयी साबुत दाल की मिलिंग, पैकेजिंग और ट्रांसपोर्टेशन का ठेका कानपुर की आनंदेश्वर फूड्स को दिया था। उसने एक किलो की पैकिंग में दाल के पैकेट जिलों में भेजे थे ताकि उसे बेचा जा सके। इसके लिए राज्य सरकार ने बकायदा शासनादेश भी जारी किया था। आनंदेश्वर फूड्स को 7.68 रुपये प्रति किलो की दर से यह काम सौंपा गया था। केन्द्र द्वारा भेजी गयी दाल की मात्रा इतनी कम थी कि कुछ जिलों में दस बोरे भेजना भी संभव नहीं हो सका हालांकि दामों में कमी आने की वजह से इसकी डिमांड भी कम होती गयी।

अभी हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी नहीं मिली है। कोर्ट के आदेशानुसार दाल खरीद और आपूर्ति से जुड़े दस्तावेज ईओडब्ल्यू को सौंप दिए जाएंगे।

-एके उपाध्याय

एमडी, राज्य कर्मचारी कल्याण निगम