भयानक अकाल से गांव में सब बेकार

सूखा और अकाल ने लोगों के काम धंधे छीन लिए। न किसानों के पास कोई काम बचा था और न ही मजदूरों के पास करने को मजदूरी थी। इसका फायदा उठाकर जमाखोर और गांव के साहूकार टाइप कुछ लोग मजबूरों को काम का लालच देकर मानव तस्करी में लग गए। मजबूरी का फायदा उठाकर लोगों से गलत काम करवाने लगे। लोग जानते बूझते अपने भूखे-प्यासे और रोते-बिलखते बच्चों का पेट पलने के लिए यह सब करने लगे। भूख और मजबूरी में लोगों को धीरे-धीरे इसी गर्त में धकेल दिया।

भगवान पर भरोसा, खत्म होगा अंधकार

गांव में एक महिला का ऐसा परिवार भी था जिसने भूखे-प्यासे रहना मंजूर किया लेकिन गलत काम नहीं। यह बात एक जालिम टाइप के साहूकार को नागवार गुजरी। उसने उन्हें हर कीमत पर तोड़ने की कोशिश की लेकिन कामयाब न हो सका। आखिर वह करता भी क्या? उनके पास कुछ था नहीं जो वह छीन कर उन्हें परेशान करता। लालच उन्हें था नहीं और भूख-प्यास खुद चुन रखी थी सो वह उन्हें जितना डिगाने का प्रयास करता उनके बारे में उतनी ही बातें चल निकलती कि एक परिवार अकाल और सूखे का सामना सिर्फ भगवान भरोसे कर रहा है।

भगवान और शैतान में टक्कर

महिला और उसके परिवार के बारे में जानने के लिए एक बार शहर से एक पत्रकार आया। उसने महिला से पूछा आप कुछ संदेश देना चाहेंगीं। महिला ने कहा, 'भगवान हम बहुत संकट में हैं हमारी मदद करो।' शाम को ही महिला का यह संदेश रेडियो पर प्रसारित कर दिया गया। संदेश सुनकर साहूकार को एक आइडिया सूझा उसने सोचा उस महिला के पास खोने को कुछ है नहीं तो क्यों न उसे कुछ देकर उसकी मदद की जाए और भगवान से उसका भरोसा तोड़ा जाए। उसने अपने एक कर्मचारी को उस महिला की मदद करने भेजा और कहा कि महिला पूछे तो कह देना यह मदद शैतान ने की है।

देव आदेश शैतान के सर माथे

कर्मचारी महिला के यहां सारी मदद लेकर पहुंचा। उस महिला के परिवार के लोग मदद पाकर खुश हो गए। खा-पीकर तृप्त हो गए लेकिन एक बार भी उस कर्मचारी से नहीं पूछा कि मदद किसने भेजी। कर्मचारी से नहीं रहा गया तो उसने खुद उस महिला से पूछ लिया कि क्या उन्हें पता है कि यह सब किसने भेजा है। महिला ने जवाब दिया, 'हां मुझे पता है कि भगवान जब आदेश दे तो शैतान को भी उस आदेश पर अमल करना पड़ता है।' कर्मचारी ने जब यह बात साहूकार को बताई तो वह आंखें बंद करके सोच में पड़ गया। आंखें खोली तो वह बदल चुका था। उसने अपना धन गांव की खाली पड़ी जमीनों में तालाब खुदवाने में लगा दी। लोगों को रोजगार मिला और कुछ दिनों बाद ही बारिश भी हुई और गांव लबालब पानी से भर गया। खेत लहलहा उठे, लोग नर्क की जिंदगी से बाहर आ चुके थे।