- टीबी और डायबिटीज में संबंध पर राज्य स्तरीय कार्यशाला

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LUCKNOW: डायबिटीज व टीबी का बढ़ता गठजोड़ एक बड़ी चुनौती बन चुका है। देखा गया है कि डायबिटीज मरीजों में टीबी का खतरा तीन गुना तक बढ़ जाता है। इसी तरह टीबी मरीजों में भी डायबिटीज होने का अंदेशा रहता है। इसके घातक परिणामों को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि अब डायबिटीज मरीजों की टीबी की जांच भी कराई जाए। सरकार सभी अस्पतालों में जल्द यह व्यवस्था लागू करेगी कि डायबिटीज पीडि़तों की टीबी की भी जांच की जाए। यह बात द यूनियन और व‌र्ल्ड डायबिटीज फाउंडेशन के सहयोग से जागरण पहल द्वारा आयोजित टीबी और डायबिटीज में संबंध विषयक राज्य स्तरीय कार्यशाला में राज्य मंत्री चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण नितिन अग्रवाल ने कही। उन्होंने कहा कि टीबी की रोकथाम के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है। इसलिए जागरण पहल द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को सरकार पूरा सहयोग देगी। सरकार जल्द शासनादेश जारी कर टीबी मरीजों की डायबिटीज जांच अनिवार्य करेगी। नितिन ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है जहां कुल आबादी का छठां हिस्सा रहता है। इसलिए कंपनियों द्वारा एकत्र किए जाने वाले कॉरपोरेट सोशल रिसपांसबिलिटी (सीएसआर) फंड का छठवां हिस्सा प्रदेश में चिकित्सा, शिक्षा आदि क्षेत्र में लगाया जाना चाहिए।

इंटेग्रेटेड हेल्थ डिलीवरी मॉडल की जरूरत पर जोर

जागरूकता अभियान के मौके पर मिशन डायरेक्टर अमित कुमार घोष ने कहा कि आज इंटेग्रेटेड हेल्थ डिलीवरी मॉडल पर काम करने की जरूरत है। कारण यह है कि जहां कभी चिकनपॉक्स, मलेरिया जैसी कम्यूनिकेबिल डिजीज मृत्यु की प्रमुख वजह मानी जाती थीं आज इनकी जगह नॉन कम्यूनिकेबिल डिजीज जैसे हृदय रोग, कैंसर, डायबिटीज ने ले ली है। इसलिए अब केवल किसी एक डिजीज के बारे में सोचने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि कोशिश होगी कि पीपीपी मॉडल पर अस्पतालों में डायलिसिस सेंटर स्थापित किए जाएं जिससे डायबिटीज मरीजों को डायलिसिस की सुविधा आसानी से मिल सके।

एक साथ हो डायबिटीज और टीबी की जांच

इसके पूर्व जागरण पहल के चेयरपर्सन एसएम शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि डायबिटीज की जांच के साथ-साथ टीबी की जांच भी कर ली जाए जिससे इसके खतरों से बचा जा सके। सीईओ आनंद माधब ने बताया कि डायबिटीज के सबसे अधिक मरीज भारत में हैं। सबसे बड़ा खतरा टीबी-मधुमेह के गठजोड़ का है। मधुमेह रोगियों में टीबी होने की संभावना तीन से चार गुना तक बढ़ जाती है। लेकिन जागरूकता के अभाव में लोग टीबी व मधुमेह के गठजोड़ से परिचित नहीं है। लोगों को जागरूक करने के लिए जागरण पहल, द यूनियन व व‌र्ल्ड डायबिटीज फाउंडेशन के सहयोग से अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहा है। देश में क्08 जिलों में आईइसी वैन द्वारा न केवल लोगों को जागरूक किया जा रहा है बल्कि स्क्रीनिंग भी की जा रही है। अब तक एक लाख क्म् हजार लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। प्रदेश में कानपुर देहात व इलाहाबाद में सर्वे किया जा रहा है। जिससे प्राप्त जानकारी नीति नियोजकों के लिए काफी मददगार साबित होगी। इस मौके पर प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अरविंद कुमार ने हर सहयोग का आश्वासन दिया। कार्यशाला को जिलाधिकारी राजशेखर, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो। रविकांत, पल्मोनरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष व यूपी स्टेट टास्क फोर्स फॉर टीबी कंट्रोल के अध्यक्ष डॉ.सूर्यकांत, डॉ.नरसिंग वर्मा, स्टेट टीबी ऑफीसर डॉ। आलोक रंजन, डॉ.अनुराग माहेश्वरी, द यूनियन के डॉ.बीएन शरत, सचि सतपथी, सहित कई अन्य विशेषज्ञ भी मौजूद थे।

प्रति व्यक्ति आय बढ़ने से टीबी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है क्योंकि इसकी एक प्रमुख वजह कुपोषण खासतौर पर भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम होना है। आय बढ़ाने के लिए महिलाओं की शिक्षा पर ध्यान देना होगा। दूसरी तरफ अमीर खानपान पर तो ध्यान देते हैं लेकिन शारीरिक श्रम में पीछे हैं। इसका नतीजा डायबिटीज के रूप में सामने है। इसके अलावा वातानुकूलित गाडि़यां, ऑफिस के चलते हम ताजा हवा व रोशनी से महरूम रहते हैं। उदाहरण स्वरूप गरीब परिवार से आने वाला ड्राइवर यदि टीबी से संक्रमित है तो इंफेक्शन पीछे बैठने वाले अमीर व्यक्ति को भी होगा।

प्रो। रविकांत

वीसी, केजीएमयू

टीबी व डायबिटीज दोनों एक-दूसरे को बढ़ावा देती हैं। टीबी मरीजों में भी डायबिटीज की आशंका रहती है। लोगों के साथ-साथ डॉक्टरों को जागरूक करने के लिए निरंतर शैक्षिक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

डॉ.सूर्यकांत

एचओडी, पल्मोनरी मेडिसिन व अध्यक्ष यूपी टास्क फोर्स फॉर टीबी कंट्रोल

टीबी व डायबिटीज के नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। प्रशासन की तरफ से कोशिश की जा रही है कि मलिन बस्तियों में रहने वालों को बेहतर जनसुविधाएं दी जाएं.प्रशासन द्वारा बस्तियों में पीने का पानी, सीवर व्यवस्था, नियमित हेल्थ चेकअप कराया जा रहा है। मलिन बस्तियों में रहने वाले गरीब परिवारों को डूडा की मदद से आवास व मूलभूत सुविधाएं दिलाने के प्रयास जारी हैं।

राजशेखर

जिलाधिकारी, लखनऊ