-इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में रामकुमार वर्मा स्मृति व्याख्यान का आयोजन

ALLAHABAD: ¨हदी आलोचना का दुर्भाग्य है कि वह चंद आलोचकों पर आधारित है। हर आलोचक का कोई न कोई प्रिय लेखक है। वह उन्हीं के इर्द-गिर्द सीमित रहते हैं। यह बातें साहित्यकार प्रो। राजेंद्र कुमार ने कहीं। वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ¨हदी विभाग में बुधवार को डॉ। राम कुमार वर्मा स्मृति व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे थे।

कृतज्ञता का भाव जागृत करें

¨हदी विभाग एवं डॉ। रामकुमार वर्मा ट्रस्ट द्वारा आयोजित व्याख्यान में प्रो। राजेंद्र कुमार ने कहा कि आलोचकों का कर्तव्य है कि वह ¨हदी साहित्य व भाषा के प्रति आम जनमानस में कृतज्ञता का भाव जागृत करें। कहा कि आमतौर पर आंदोलन चलाने व उसमें शामिल रहने वाले रचनाकारों पर ही आलोचकों की दृष्टि पड़ती है। डॉ। रामकुमार ऐसे रचनाकार थे, जिन्होंने आंदोलन से दूर रहकर अपनी लेखनी के जरिए समाजिक जागृति लाने में अहम भूमिका निभाई। इस अवसर पर प्रो। श्रद्धानंद, डॉ। रामकुमार, प्रो। रामकिशोर शर्मा, प्रो। मुश्ताक अली, डॉ। आनंद श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।