PATNA: 61 दिनों में 594 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। वहीं, हर दिन 13 लोगों के साथ धोखा हुआ है। 50 हजार से अधिक संज्ञेय अपराध का आकड़ा आम आदमी का पसीना छुड़ाने वाला है। इसके बाद भी फिर भी बिहार पुलिस का दावा अपराधियों पर काबू पाने का है। 102 दिनों में अपराधियों की गिरफ्तारी का आंकड़ा बताकर पुलिस मुख्यालय वाहवाही लूट रहा है जबकि यही वह पीरियड है जब पुलिस पर ऐसा दाग लगा है जिसे साफ करना बड़ी चुनौती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट बताएगा पुलिस की शाबासी पर कैसे भारी पड़ रही है अनुशासन में मनमानी।

पुलिस अफसरों का दावा

पुलिस अधिकारियों का दावा है कि 1 अप्रैल से 11 जुलाई के बीच संज्ञेय अपराधों में अभियुक्तों की गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। पुलिस की प्रभावी कार्रवाई का परिणाम है कि जून 2017 की तुलना में जून 2018 में अपराध का ग्राफ कम हुआ है। अधिकारियों का दावा है कि इससे आम जनता में सुरक्षा की भावना आई है। अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगा है। आम जनता का विश्वास तोड़ने वाली घटना बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। मामला राजधानी का है। राजधानी को ही प्रदेश पुलिस का आइना बताया जाता है और जब आइना ही धुंधला हो तो तस्वीर कैसी होगी।

दावा 102 दिन में 61842 अरेस्ट

-1600 हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

-333 डकैतों की गिरफ्तारी में सफलता।

-541 लुटेरों को किया गया गिरफ्तार

-42 बदमाश पकड़े गए, जिन्होंने अपहरण किए।

-122 दंगाइयों को किया गया गिरफ्तार

-1148 एससीएसटी कानून तोड़ने वालों को पकड़ा

-1691 लोगों को अरेस्ट किया गया जो महिला अपराध में शामिल रहे।

-56365 ऐसे पकड़े गए जो कई प्रमुख अपराधों में शामिल रहे।