- आखिर जा कहां रहा है पानी सप्लाई के जेनरेटर्स का डीजल

- सिटी में चल रहे हैं 82 से 125 केवीए तक के 14 जेनरेटर्स

Meerut : जल निगम के पास तमाम सुविधाएं और संसाधन होने के बाद भी पानी क्यों नहीं उपलब्ध करा पा रहा है? बिजली की समस्या को छोड़ भी दिया जाए तो निगम के पास अपने जेनरेटर्स भी हैं। उनके लिए डीजल आता है, लेकिन जेनरेटर्स चल क्यों नहीं रहे हैं। जब आई नेक्स्ट ने इस बात की खोजबीन की तो शॉकिंग बातें निकलकर सामने आई। महीने में करीब चार लाख रुपए डीजल की खपत होने के बाद लोगों को पानी नसीब नहीं हो रहा है, जबकि कागजों में एक जेनरेटर पर डेली ब्0 लीटर डीजल की खपत हो रही है। आखिर कैसे?

एक बड़ा घोटाला

सिटी में पानी की सप्लाई को लेकर क्ब् जेनरेटर्स लगाए गए हैं। ताज्जुब की बात तो ये है कि बिजली आए न या न आए, प्रत्येक जेनरेटर पर ब्0 लीटर बिजली की खपत दिखाई जा रही है। जबकि पानी सप्लाई के लिए जेनरेटर्स का इस्तेमाल ही नहीं किया जा रहा है। इसका मतलब साफ है कि एक दिन में भ्म्0 लीटर डीजल की चोट जल निगम को लगाई जा रही है। अगर डीजल के मार्केट रेट की बात जाए तो मौजूदा समय में म्फ्.भ्ब् रुपए है।

हर महीने चार लाख

जल निगम करीब जेनरेटर्स के डीजल पर रोजाना फ्भ् हजार रुपए खर्च कर रहा है। यानी कागजों में डीजल पर खर्चा तो है लेकिन उसका फायदा पब्लिक को नहीं मिल रहा है। हर महीने की बात की जाए तो ब्.ख्0 लाख रुपए जेनरेटर्स को डीजल पिलाने में ही खर्च हो रहे हैं, लेकिन वास्तव में वो रुपए कहां जा रहे हैं, यह बताने को कोई भी तैयार नहीं? इससे एक बड़े डीजल घोटाले की ओर साफ इशारा किया जा सकता है।

नहीं चल रहे हैं जेनरेटर्स

अधिकारियों के अनुसार सिटी में क्ब् जेनरेटर्स लगे हुए हैं। फ् टाउन हॉल में, ख् सर्किट हाउस में, क्-क् जेनरेटर माधवपुरम, तेजगढ़ी, प्रहलाद नगर, गुजरी बाजार, रामबाग कॉलोनी, छिपी टैंक, विकासपुरी और कंकरखेड़ा में लगे हुए हैं। बिजली न आने की स्थिति में पब्लिक को समय से पानी की सप्लाई करने के लिए निगम द्वारा जेनरेटर चलाकर पानी सप्लाई करने प्रावधान हैं। जब इन जेनरेटर्स पर आई नेक्स्ट की टीम ने जाकर देखा तो वहां कोई भी नहीं मिला। आसपास के लोगो से पूछा तो यहां पर लोग कभी कभार ही दिखाई देते हैं। जल निगम के एक कर्मचारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि पानी सप्लाई करने के लिए जेनरेटर्स के लिए आने वाले डीजल की बड़े पैमाने पर चोरी हो रही है। इन जेनरेटर्स को मॉनीटर करने को अप्वाइंट कोई अधिकारी मौके पर नहीं जाता है।

अधिकारियों का तर्क

जल निगम के अधिकारियों की मानें तो जेनरेटर्स चलाए जाते हैं, लेकिन पानी का प्रेशर इतना कम होता है कि लोगों तक पानी नहीं पहुंच पाता है। अधिकारियों के अनुसार तीन घंटे सुबह और तीन घंटा शाम को पानी की सप्लाई की जाती है। उसी समय लोग अपनी मोटर भी खोल लेते हैं। जिसके कारण पानी का प्रेशर काफी कम हो जाता है।

फैक्ट एंड फिगर

- जल निगम के लगे हुए हैं क्ब् जेनरेटर्स।

- रोजाना एक जेनरेटर पर खर्च हो रहा है ब्0 लीटर डीजल।

- करीब ख्भ्00 रुपए डीजल की हो रही है खपत।

- मार्केट में डीजल का रेट म्फ्.भ्ब् रुपए।

- सभी जेनरेटर्स पर फ्भ् हजार रुपए का खर्च हो रहा डीजल।

- करीब ब् लाख रुपए डीजल का हर महीने हो रहा है घोटाला।

- नगर निगम द्वारा सिटी में संचालित होते हैं क्भ्म् ट्यूबवेल।

- हर रोज पानी की डिमांड ख्ख्भ्-ख्भ्0 एमएलडी।

- पब्लिक को मिल रहा है क्70-क्90 एमएलडी।

- सिटी के लोग सालाना फ् करोड़ रुपए देते हैं पानी का बिल।

- जल निगम के अंडर में सिटी के 90 ओवरहेड टैंक।

क्भ्म् ट्यूबवेल और क्ब् जेनरेटर

अगर जल निगम के अधिकारियों की बात मान भी ली जाए तो ये बात हजम करने वाली नहीं कि क्भ्म् ट्यूबवेल के लिए क्ब् जेनरेटर्स काफी है। इन क्ब् जेनरेटर्स से सिर्फ क्ब् ट्यूबवेल ही चल सकते हैं। ऐसी स्थिति में लोगों को पानी मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। जबकि अधिकारियों की मानें तो इन जेनरेटर्स को आपातकाल की स्थिति में चलाया जाता है। अब जल निगम के अधिकारियों को कौन समझाए कि इससे ज्यादा आपातकाल की स्थिति और कौन सी हो सकती है।

वर्जन

जेनरेटर्स की व्यवस्था आपातकाल की स्थिति मे की जाती है। पानी और बिजली क्राइसेस है लेकिन इतना भी नहीं कि स्थिति विस्फोटक हो। जरुरत पड़ने पर जेनरेटर्स का इस्तेमाल हो रहा है।

- संजीव राम चंद्र, जीएम, जल निगम

इस तरह की लापरवाही को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस बारे में निगम के अधिकारियों से पूछा जाएगा।

- हरिकांत आहलुवालिया, मेयर