अधिकांश एरिया में वाटर लॉगिंग की प्रॉब्लम

सड़कें पूरी तरह गंदी हैं। उसपर जगह-जगह कचरा पसरा है। ड्रेनेज सिस्टम फेल होने से अधिकांश एरिया में वाटर लॉगिंग की प्रॉब्लम है। इससे पटनाइट्स त्रस्त हैं। वाटर सप्लाई की स्थित खराब है। नल से कचरा टपक रहा है। मजबूरी में लोग यह पानी पीते हैं। इन सारी प्रॉब्लम को दूर करने की जिम्मेवारी नगर निगम की है, लेकिन अपनी जिम्मेवारी निभा पाने में वह असफल है।

सॉलिड वेस्ट मैंनेजमेंट है इलाज

शहर को सबसे ज्यादा प्रॉब्लम सॉलिड वेस्ट से है। सड़क पर फैली गंदगी, ड्रेनेज सिस्टम को खत्म कर वाटर लॉगिंग हो या इनवायरमेंट को नुकसान पहुंचाने वाले कारक हो सबमें सॉलिड वेस्ट का रोल है। एक सॉलिड वेस्ट प्रॉब्लम लोगों को परेशान कर रखा है, लेकिन गवर्नमेंट इसके लिए कुछ भी नहीं कर पा रही है। एक्सपर्ट के अनुसार सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट काफी हद तक शहर के लोगों की प्रॉब्लम को दूर कर सकता है। मेट्रो शहर के साथ विदेशों में इसके लिए फुल प्रूफ प्लानिंग होती है, जबकि अपने यह प्रॉब्लम नासूर बन चुकी है।

सॉलिड वेस्ट, ई कचरा, साफ-सफाई का सॉल्यूशन

गवर्नमेंट ने बैरिया में 35 एकड़ जमीन लिया है। इसे कचरा डंपिंग जोन बनाया गया है। इसके अलावे भी कई जगहों पर कचरा को डंप किया जाता है। यह हमारे लिए घातक है। कचरा न सिर्फ गंदगी फैलाता है बल्कि ड्रेनेज सिस्टम को भी खत्म कर देता है। साथ में पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। इसके लिए आंध्र प्रदेश में एक बड़ी मशीन लगाई गई। यह मशीन पहले कचरे को अलग करता है। ई कचरा, सॉलिड वेस्ट और नहीं जलने वाली चीजों को यह मशीन अलग करती है। फिर ई कचरा और सॉलिड वेस्ट को 1200 डिग्री सेल्सियस पर जलाते हंै। जलने के बाद यह खाद बन जाती है। उसे खेतों में यूज किया जाता है। यदि ऐसा नहीं हो सकता है तो कचरे का डिस्पोजल दूसरे तरीके से करना चाहिए। पहले तो एक बड़ा गड्ढा खोदा जाए। गड्ढे को ईंट से सोलिंग कर उसके ऊपर से प्लास्टिक कोट चढ़ाया जाए। गड्ढे को इस तरह से फुल प्रूफ बनाया जाए ताकि उसके बाहर संपर्क ना रहे। वर्ना ई कचरे से निकलने वाला जहर जमीन को बंजर बना देगा। इससे पूर्व हर घर में दो तरह का डस्टबीन रखने का प्रावधान हो। एक में सॉलिड वेस्ट तो दूसरे में ई कचरा रखा जाए। नगर निगम उसे अलग-अलग उठाए। सॉलिड वेस्ट से खाद बनाई जा सकती है। वहीं ई कचरा को डंप कर दिया जाए। ऐसा करने से सड़क पर गंदगी कम होगी। सड़क पर फैली गंदगी नाले और ड्रेनेज में जाती है उससे वह जाम हो जाता है। इस मैनेजमेंट से यह प्रॉब्लम दूर हो जाएगी। साथ ही एनवायरमेंट को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा।

डॉ। विजय कृष्णा, रिटायर्ड, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण पर्यावरण एवं वन मंत्रालय।

- आंध्र प्रदेश की तरह मशीन से सॉलिड वेस्ट व ई कचरा मैनेजमेंट हो।

- हर घर में दो डस्टबीन हो, एक में सॉलिड वेस्ट तो दूसरे में ई कचरा डाला जाए।

- ई कचरा को बड़े गड्ढे को वाटरप्रूफ बनाकर डाला जाए।

- सॉलिड वेस्ट से खाद बनाकर खेतों में यूज किया जाए।

- कचरा फैलाने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई हो।

वाटर सप्लाई व ड्रेनेज सिस्टम का सॉल्यूशन

घरों तक ड्रिंकिंग वाटर पहुंचाने के लिए सबसे पहले पाइप को दुरुस्त करना होगा। किसी भी पाइप की उम्र मिनिमम 30 और मैक्सिमम 50 से 60 साल होती है। शहर में जो पाइप लगी हैं वे काफी पुरानी हैं। जबतक पम्प चलता है साफ पानी निकलता है। लेकिन पम्प बंद होने के बाद टूटी पाइप में कचरा और नाले का गंदा पानी आ जाता है। यही बाद में पम्प चलने पर नल से निकलता है। जहां तक ड्रेनेज सिस्टम की बात है इसके लिए सबसे पहले प्लानिंग करनी होगी। कोई भी रोड बने उसके साथ ड्रेनेज बनाने की भी बात हो। अपने यहां रोड किसी एक डिपार्टमेंट से पास होता है तो ड्रेनेज किसी दूसरे डिपार्टमेंट के पास। ऐसे में दोनों के बीच कोई तालमेल नहीं होता है। सड़क बनती जाती है लेकिन ड्रेनेज सिस्टम को डेवलप नहीं किया जाता है। पहले घर ऊंचा होता है बाद में सड़क ऊंची हो जाती है। उसके बाद शुरू होती है वाटर लॉगिंग की प्रॉब्लम। इससे बचने का सबसे बेहतर तरीका यही है कि सड़क के साथ डे्रनेज भी बने। उसके बाद प्रॉपर वे में उसकी सफाई हो। सफाई के बाद कचरे को वहीं नहीं छोड़ा जाए बल्कि उसका डिस्पोजल होना चाहिए। वर्ना उसे कहीं भी रखेंगे, बहकर वह उसी ड्रेनेज में चला जाएगा। बात फिर वहीं आकर अटक जाएगी।

विनोद कुमार, डीजीएम, हिन्दुस्तान प्रीपहैब लि।

- ड्रिंकिंग वाटर के लिए सबसे पहले पाइप को बदला जाए।

- हर 30 से 60 साल पर पाइप को बदलने की प्लानिंग बने।

- रोड के साथ ड्रेनेज बनाने की व्यवस्था हो।

- ड्रेनेज से निकले कीचड़ व कचरे का उसी समय डिस्पोजल किया जाए।

- रोड और ड्रेनेज पास करने वाला डिपार्टमेंट एक हो ताकि दोनों एक साथ पास हो।

स्ट्रीट डॉग का सॉल्यूशन

यह बात सही है कि शहर में स्ट्रीट डॉग का आतंक है। शाम से लेकर सुबह होने तक वे शेर बन जाते हैं। लोग उनके आतंक से दहशत में रहते हैं। इसका सॉल्यूशन सीमित है। मेल और फीमेल को स्टेरेलाइजेशन करना चाहिए। उसके साथ ही उन्हें एंटी रेबीज टीका भी लगाया जाना चाहिए। एनिमल वेलफेयर बोर्ड, मद्रास बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम चलाती है। यही प्रोग्राम पटना में भी चलाया जा सकता है। इसके अलावा एक और सॉल्यूशन यह हो सकता है कि स्ट्रीट डॉग को पकड़कर कहीं छोड़ दिया जाए। लेकिन ऐसा करने में वे जहां रहेंगे वहीं आतंक फैलाएंगे। ऐसा करना उचित नहीं है। आप स्ट्रीट डॉग को मार नहीं सकते हैं यह बात हमेशा याद रखनी होगी।

डॉ। अजीत कुमार, वेटेरिनरी स्पेशलिस्ट।

- मेल व फीमेल का स्टेरेलाइजेशन किया जाए।

- एनिमल वेलफेयर बोर्ड, मद्रास की तरह यहां भी प्रोग्राम चलाए जाएं।

- स्ट्रीट डॉग को एंटी रेबिज का टीका दिया जाए।

- स्ट्रीट डॉग के बर्थ कंट्रोल के लिए प्रोग्राम चलाए जाएं।

- स्ट्रीट डॉग को ज्यादा तंग नहीं किया जाना चाहिए।

स्ट्रीट लाइट के लिए पॉलिसी बनाने की जरूरत

स्ट्रीट लाइट के मेंटेनेंस के लिए नगर निगम में कोई पॉलिसी नहीं है। इसके लिए पॉलिसी बनाने की जरूरत है। एक बार बल्ब फ्यूज होने पर उसे लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है। प्रॉपर वे में हर एरिया में स्ट्रीट लाइट की जांच होनी चाहिए। यह डेली रूटीन में शामिल होनी चाहिए। फ्यूज होने के दिन ही बल्ब को बदल दिया जाना चाहिए। इसके अलावा हर नए एरिया में प्लांड वे में स्ट्रीट लाइट लगाई जानी चाहिए। अमूमन ऐसा होता है कि एमएलए, एमपी, एमएलसी सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी अपने फंड से स्ट्रीट लाइट लगवा देते हैं। इसके लिए कोई प्लान नहीं होता है। ऐसे में जहां जरूरत नहीं होती है वहां भी लाइट लग जाती है। लेकिन जरूरत के हिसाब से प्रॉयोरिटी तय होनी चाहिए।

सुरेंद्र प्रसाद, रिटायर्ड ऑफिसर, पीएमसी

- स्ट्रीट लाइट के लिए मेंटेनेंस पॉलिस बने।

- हर एरिया में लाइट की जांच रूटीन में होनी चाहिए।

- बल्ब फ्यूज हो तो उसे तुरंत बदल देना चाहिए।

- प्रॉयोरिटी बेस पर स्ट्रीट लाइट लगाने का वर्क होना चाहिए।

-जरूरत के हिसाब से हर एरिया में स्ट्रीट लाइट लगे।

सिविक सेंस डेवलप करना होगा

सिविल सोसाइटी काफी हद तक साफ-सफाई और दूसरी चीजों के लिए नगर निगम की हेल्प कर सकता है। ऐसा कर वे खुद की ही हेल्प करेंगे। अधिकतर शॉपकीपर शॉप की सफाई कर सड़क पर कूड़ा फेंक देते हैं। लोग भी घर का कूड़ा सड़क पर फेंक देते हैं। ऐसा नहीं कर वे सफाई को ठीक कर सकते हैं। नगर निगम को चाहिए कि वार्ड लेवल पर एक निगरानी कमेटी बनाए। यह कमेटी लोगों पर नजर रखे कि गलत जगह पर तो कचरा नहीं फेंक रहे हैं। गलत चीजें तो नहीं फेंक रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति ऐसी गलती बार-बार करता है तो उसे पनिश करने की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही उन्हें जागरूक किया जाना चाहिए। सड़क पर चल रहे हों तो हमेशा बाएं से चलें। दूसरी गाडिय़ों को साइड दें। कचरा सड़क पर नहीं बल्कि डस्टबीन में फेंकें वह भी टाइम पर। बस इतना काम लोग करें तो आधी प्रॉब्लम तो यूं ही सॉल्व हो जाएगी।

विमलकांत, सोशल एक्टिविस्ट।

 -नगर निगम वार्ड लेवल पर निगरानी कमेटी बनाए।

- कम्युनिटी में अवेयरनेस फैलाए जाएं।

- पॉलिथीन पर रोक लग चुकी है, लोग भी उसका बहिष्कार करें।

- कैम्पेन चलाकर लोगों को मोबलाइज किया जाए।

- बार-बार गलती दुहराने पर नगर निगम पनिशमेंट की व्यवस्था करे।

सिटी में गारबेज बड़ी प्रॉब्लम

पटना सिटी पुराना और गलियों का शहर है। बदलते वक्त में भी इसकी पुरानी पहचान कायम है, लेकिन यहां गारबेज का निबटारा एक बड़ी समस्या है। यहां अशोक राजपथ से तो डेली कचरा उठ जाता है, मगर लिंक रोड व अन्य गलियों की स्थिति ठीक नहीं है। वार्ड 70 से 72 पूरी तरह से कचरे की जद में है और मारुफगंज मंडी, मंसूरगंज से लेकर महाराजगंज, गुरु गोविंद पथ, घघा गली, मच्छरहट्टा गली, बाग कालू खां, सदर गगली, मंगल तालाब सहित दूसरे एरियाज में भी यही हालत है।

Experts says

एनएमसीएच के पेडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एक्स एचओडी शाह अद्वैत कृष्ण बताते हैं कि पब्लिक में भी सिविक सेंस होनी चाहिए। लोग कचरा प्वाइंट पर जाकर कचरा नहीं गिराएंगे। घर के दरवाजे के पास या फिर छत से ही कचरा फेंक देंगे। उन्होंने बताया कि कुछ प्वाइंट्स का ध्यान रखें तो शहर को साफ-सुथरा रखने में हेल्प मिलेगी।

- कचरा प्वाइंट घटते जा रहे हैं। ऐसे में डोर टू डोर कचरा कलेक्ट करना यूजफुल होगा।

- कचरा कलेक्शन हाथगाड़ी व ट्रैक्टर से हो, ताकि रास्ते में कचरा ना गिरे।

- कचरे को ढ़ंक डंपिंग के लिए ले जाया जाए।

- कचरा उठाने के बाद ब्लीचिंग का छिड़काव करें।

- नालियों में सैनेटरी बहाने की प्रवृत्ति को बंद करनी होगी।

- पब्लिक को भी जहां-तहां कचरा नहीं फेंकना चाहिए। उसे भी सफाई में निगम को कोऑपरेट करना होगा।

- गंदगी फैलाने वाले को पहले वार्निंग, फिर पेनाल्टी करना होगा।

- फुटपाथी दुकानदारों को डस्टबिन रखने व गंदगी को कचरा प्वाइंट पर फेंकने को मोटिवेट करना होगा।

For your information

पटना नगर निगम डोर टू डोर कचरा कलेक्ट करने का रूल लागू करेगी। टाउन एरिया में कचरा प्वाइंट समाप्त होते जा रहे हैं। नए व्हीकिल व मशीनों की परचेजिंग के लिए निगम की सशक्त स्थाई समिति मंजूरी दे चुकी है। 21 सितंबर को बोर्ड की मीटिंग होने वाली है। यदि इसमें प्लानिंग पास कर गया तो कचरा निबटाने को लेकर एक बड़ा काम होगा।