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क्लीनिक और अस्पताल में पेशेंट्स देखते-देखते बीमार हो रहे डॉक्टर

 

 

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Meerut : जनता का मर्ज ठीक वाले डॉक्टर ही जब बीमार हो जाएंगे तो क्या होगा? ऐसा ही कुछ सच हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के सर्वे में सामने आया है। सर्वे के अनुसार अगर हम मेरठ की ही बात करें तो शहर में हर तीसरा डॉक्टर बीमार है। बीमारी का सबसे बड़ा कारण लाइफ स्टाइल और टेक्नोलॉजी का रेडिएशन है।

 

सच आया सामने

हार्टकेयर फाउंडेशन द्वारा हाल ही में कराए गए एक सर्वे में यह तथ्य सामने आए हैं। मोबाइल फोन के एक्टिव व पैसिव रेडिएशन और इसके साथ ही कंप्यूटर, माइक्रोवेव ओवन व अस्पतालों व लैब के एक्सरे रेडिएशन से स्थिति और भयावह हो रही है। सर्वे के मुताबिक क्0 फीसदी ऑफिस स्टाफ, ख्0 फीसदी नर्स, 7म् फीसदी डॉक्टर स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करते हैं। डॉक्टर फ्0 से ख्80 मिनट तक हर रोज फोन का इस्तेमाल करते हैं।

 

मेरठ के क्0फ् डॉक्टर्स बीमार

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार मेरठ से क्ख्0 डॉक्टरों को सर्वे में शामिल किया गया था। जिनमें से क्0फ् डॉक्टर किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त पाए गए। यह आंकड़ा अपने आप में चौंकाने वाला है।

 

 

यह भी हुआ खुलासा

-औसतन नर्स दिन में दो बार अपने फोन की बैटरी रीचार्ज करती हैं, जबकि डॉक्टर चार बार ऐसा करते हैं।

-70 फीसदी डॉक्टर फोन को लगातार अपने पास रखते हैं। घर में भी फोन को अपनी जेब में या करीब रखते हैं।

-ख्8 फीसदी अपना फोन दूर रहने पर या इस्तेमाल न करने पर बहुत असहज महसूस करते हैं।

-फ्फ् फीसदी लोग मीटिंग, प्लेन, क्लास व चर्च में अपना फोन इस्तेमाल करते वक्त घबराहट महसूस करते हैं।

-म्क् फीसदी डॉक्टर रात में अपने सिराहने या बिस्तर के करीब ही मोबाइल रखकर सोते हैं जबकि ख्0 से भ्0 फीसदी के बीच नर्स, ऑफिस स्टाफ ऐसा करते हैं।

 

 

रात की नींद खराब कर रहे स्मार्ट फोन

सर्वे के अनुसार भ्0 फीसदी डॉक्टरों की नींद स्मार्ट फोन अलर्ट के चलते खराब होती है। केवल ब्0 फीसदी डॉक्टर, फ्0 फीसदी नर्स सोने के फ्0 मिनट पहले फोन का इस्तेमाल बंद कर देते हैं।

 

 

सर्जरी के दौरान बातें

अस्पतालों में सर्जरी के दौरान 90 फीसदी नर्स व भ्0 फीसदी ओटी टेक्निशियन फोन पर बातें करते हैं। क्0 फीसदी डॉक्टर, ख्0 फीसदी नर्स व भ्0 फीसदी टेक्निशियन सर्जरी के दौरान ही अपने एसएमएस भी चेक करते रहते हैं। डॉक्टर व नर्स तो नहीं करते लेकिन भ्0 फीसदी टेक्नीशियन सर्जरी के दौरान ही ट्विट भी करते रहते हैं। सर्वे में किसी डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन स्टाफ ने नहीं माना कि वे सर्जरी के दौरान ई-मेल चेक करते हैं या फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं।

 

 

ये हैं बीमारियां

स्मार्ट फोन एडिक्शन अब एक नई बीमारी के रूप में उभर रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से लोग गर्दन दर्द, आंखें सूखना, कंप्यूटर विजन सिंड्रोम, एंजाइटी, फोबिया और स्ट्रेस के शिकार हो सकते हैं।

 

ऐसे बचें

-बीच-बीच में एक हफ्ते का फेसबुक हॉलीडे लेते रहें।

-सोने के फ्0 मिनट पहले फोन का इस्तेमाल बंद कर दें।

-मोबाइल तभी यूज करें जब आप कहीं आ-जा रहे हैं। दफ्तर या घर में लैंडलाइन यूज करें।

-सीमा तय करें कि एक दिन में ख् घंटे से ज्यादा फोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

-कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से बचने के लिए कंप्यूटर पर तीन घंटे कम बिताएं।

-हर ख्0 मिनट में ख्0 फीट की दूरी पर किसी ऑब्जेक्ट पर ख्0 सेकेंड के लिए अपनी आंख फोकस करें।

 

फेसबुक पर

80 फीसदी ऑफिस स्टाफ, 80 फीसदी नर्स, और म्ख् फीसदी डॉक्टर।

 

ट्विटर पर

ख्0 फीसदी ऑफिस स्टाफ, फ्0 फीसदी नर्स, ब्0 फीसदी डॉक्टर।

 

 

मोबाइल, कंप्यूटर और मेडिकल इक्यूपमेंट्स से रेडिएशन तो निकलती ही है। इन्हें यूज करते समय प्रॉपर प्रिकॉशन लेनी चाहिए जो अक्सर डॉक्टर नहीं लेते। हमें पता है कि सुबह जल्दी उठकर वॉक और एक्सरसाइज करने से हेल्दी रहते हैं मगर खुद इन बातों पर ध्यान नहीं देते। इसलिए डॉक्टर्स की ज्यादातर बीमारियां उनकी लापरवाही से ही आती हैं।

-डॉ। तनुराज सिरोही, अध्यक्ष आइएमए

 

ये बात फैक्ट है कि डॉक्टर्स बीमार हो रहे हैं। अब डॉक्टर्स सुबह जल्दी उठते हैं मगर एक्सरसाइज और योग करने के लिए नहीं बल्कि अपने पेशेंट्स के पास विजिट करने के लिए। ओपीडी और इमरजेंसी पेशेंट देखने के बाद उनके लंच तक का टाइम बिगड़ जाता है। लेट नाइट पेशेंट्स के पास विजिट करते हैं और देर से ही घर पहुंचते हैं। डॉक्टर्स का रूटीन ऐसा हो गया है कि वो एक मशीन की तरह काम करते हैं और खुद को बचाने के लिए उनके पास टाइम ही नहीं है।

-डॉ। सुभाष सिंह, सीएमएस मेडिकल कॉलेज