- राज्य सरकार और कैग रिपोर्ट के आकड़ों में अंतर

- कठघरे में आई पूर्व की बसपा-सपा सरकार

LUCKNOW : राज्य के लाखों बच्चे अभी भी बेसिक शिक्षा से दूर हैं। गुरुवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश की गई सीएजी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ। रिपोर्ट के अनुसार साल 2011-12 से 2015-16 के बीच हर साल लगभग 20 लाख बच्चों ने पढ़ाई छोड़ी है। यह विश्लेषण लेखा टीम ने जिला शिक्षा सूचना प्रणाली के आंकड़ों के आधार पर तैयार की है। हालांकि राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक हर साल ड्राप आउट करने वाले बच्चों की औसत संख्या 0.63 लाख है। सीएजी ने आंकड़ों के अंतर पर भी आपत्ति जताई है।

तालमेल की रही कमी

सीएजी की इस रिपोर्ट ने पूर्ववर्ती बसपा-सपा सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रियान्वयन सोसाइटियों और जिला नियोजन अधिकारियों के बीच सामंजस्य की कमी से गरीब तबके के बच्चों का नामांकन बहुत कम हुआ है और इनकी ड्रॉप आउट संख्या भी काफी बढ़ी है। ड्रॉप आउट करने वाले बच्चों में सबसे अधिक संख्या क्लॉस छह के स्टूडेंट्स की है।

97 लाख बच्चों नहीं मिली यूनिफॉर्म

राज्य सरकार स्कूली भवनों और वहां सुविधाएं उपलब्ध कराने में भी असफल साबित हुई है। बिजली उपलब्ध कराने के लिए उसने 64.22 करोड़ रुपये व्यय किए। फिर भी 34,098 स्कूलों में वायरिंग और बिजली उपकरणों की फिटिंग नहीं की जा सकी। रिपोर्ट ने बच्चों को किताबों और यूनिफॉर्म उपलब्ध कराने पर भी सवाल खड़ा किया है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत पर्याप्त निधि होने के बावजूद 2012-16 की अवधि में 97 लाख बच्चों को यूनिफॉर्म नहीं दी गई। कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद भी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में क्रमश: 18,119 और 30,730 शिक्षकों के पास आवश्यक शैक्षिक योग्यता नहीं थी।

बॉक्स

फैक्ट फाइल

- 1.69 लाख बच्चों को नहीं मिला पड़ोस का स्कूल

- 1,366 स्कूल फूस की छत या किराये के भवन में चल रहे

- 2,978 स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं

- 1,734 स्कूलों में बालक-बालिकाओं के अलग टॉलेट नहीं

- 50,849 स्कूलों में नहीं है खेल का मैदान

- 35,995 स्कूलों में पुस्तकालय नहीं हैं

- 6.22 लाख बच्चों को नहीं मिल सकीं नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें

- 48,849 शिक्षकों के पास जरूरी शैक्षिक योग्यता नहीं