- अकेले के बजाए गु्रप में शुरू करें स्टार्ट अप, राह होगी आसान

- कंपनी रजिस्टर्ड जरूर कराएं, फंडिंग की बहुत जरूरत नहीं

LUCKNOW: हम सभी लोग स्टार्ट अप शब्द के बारे में अक्सर सुनते हैं और इस पर चर्चा भी करते हैं। हालांकि हमारी चर्चा सिर्फ यहीं तक सीमित हो जाती है कि यह एक ऐसी योजना है, जो केंद्र सरकार की ओर से करीब ढाई साल पहले यंगस्टर्स के बेहतर भविष्य के लिए शुरू की गई है। स्टार्ट अप को किस तरह से शुरू किया जाए, इसमें पैसा कितना लगेगा इत्यादि सवालों के जवाब हमें नहीं मिल पाते हैं, जिसकी वजह से स्टार्ट अप शब्द सिर्फ हमारे जेहन में ही सिमट कर रह जाता है। लोगों के साथ यंगस्टर्स के मन में उठते स्टार्ट अप से जुडे़ सवालों, योजना की गहराई को समझने और समझाने के उद्देश्य से बुधवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से स्टार्ट अप विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में विशेषज्ञों ने स्पष्ट कर दिया कि जनता के हित से जुड़ा इनोवेटिव आइडिया ही सही मायनों में स्टार्ट अप है और खास बात यह है कि स्टार्ट अप को अकेले के बजाए गु्रप में शुरू किया जाना चाहिए, जिससे सफलता की राह बेहद आसान हो जाती है।

छोटा आइडिया भी चमत्कार

परिचर्चा में आए विशेषज्ञों ने स्पष्ट रूप से कहा कि स्टार्ट अप का मतलब भारी भरकम आइडिया नहीं है बल्कि एक छोटा से छोटा आइडिया भी अपना चमत्कार दिखा सकता है। बस इसके लिए जरूरत है थोड़ा सा इनोवेशन की। उदाहरण के लिए आप गाड़ी मेंटीनेंस की शॉप को लेकर भी आइडिया जेनरेट कर सकते हैं। बस ध्यान रखना होगा कि यह बिजनेस लगभग हर गली में देखने को मिलता है, ऐसे में आपको ध्यान रखना होगा कि जब आप इस तरह के स्टार्ट अप शुरू करें तो उसमें कुछ स्पेशल हो। यह खासियत आपकी टेक्निक, काम करने के तरीके आदि से जुड़ी हो सकती है। मतलब साफ है कि अगर आपके अंदर अपने छोटे से छोटे आइडिया को बाजार में स्थापित करने का जुनून है तो आप बेहतर स्टार्ट अप शुरू कर सकेंगे।

स्टार्ट अप की खास जरूरत

स्टार्ट अप शुरू करने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आपके पास अतिरिक्त क्षमताएं हों, बस जरूरत है तो सिर्फ तीन बिंदुओं की। इन तीन बिंदुओं को आत्मसात कर आप स्टार्ट अप शुरू कर सकते हैं।

ये तीन बिंदु हैं

1-एटीट्यूड

2-कमिटमेंट

3-विल पॉवर

खास बातें

1-स्टार्ट अप के लिए पार्टनर्स ढूंढें

2-कंपनी रजिस्टर्ड जरूर कराएं

3-कंपनी सात साल से ज्यादा पुरानी न हो

4-महज एक दो लाख के फंड से स्टार्ट अप शुरू किया जा सकता है।

इस तरह शुरू करें स्टार्ट अप

परिचर्चा में आए अभिषेक तिवारी, कंसल्टेंट यूपी इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन लि। (नोडल एजेंसी स्टार्ट अप यूपी) ने स्टार्ट अप को लेकर केंद्र और राज्य सरकार का प्रोग्राम अलग है। राज्य सरकार का 'स्टार्ट इन यूपी' प्रोग्राम पूरी तरह से केंद्र आधारित 'स्टार्ट अप इंडिया' ही है। हमारी ओर से ऐसे यंगस्टर्स को लगातार प्रमोट किया जाता है, जो इनोवेटिव आइडिया लेकर हमारे पास या फिर इंक्यूबेशन सेंटर जाते हैं। अगर आइडिया सही लगता है तो उसे रजिस्टर्ड कर लिया जाता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो आइडिया सेलेक्ट होता है, उसे बेसिक रूप से स्थापित करने के साथ-साथ वृहद रूप में मार्केट में लाने के लिए आर्थिक सहायता भी की जाती है और इसका कोई रिटर्न भी नहीं लिया जाता है।

स्टार्ट अप यूपी में इस तरह मदद

1-स्टार्ट अप को स्थापित करने के लिए 15 हजार रुपये का भत्ता, 12 माह के लिए

2-दूसरे चरण में प्रोडक्ट डेवलप करने और उसे मार्केट करने के लिए 10 लाख रुपये तक की मदद, नो रिटर्न

प्रदेश में इंक्यूबेशन सेंटर

1-आईआईटी कानपुर

2-आईआईटी बीएचयू

3-आईआईएम लखनऊ (नोएडा ब्रांच)

4-बिमटेक, नोएडा

5-आईबी हब्स, लखनऊ

6-आईटी उपवन, लखनऊ

7-आईटी उपवन, साहिबाबाद

8-एमजेपी यूनिवर्सिटी, बरेली

9-केएनआईटी, सुल्तानपुर

10-एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ

11-बेनेट यूनिवर्सिटी, नोएडा

ये भी जानें

- स्टार्ट अप शुरू करने के मामले में भारत दूसरे नंबर पर आया

- लखनऊ में सबसे बड़ा इंक्यूबेशन सेंटर खुलेगा

- 20 हजार से अधिक स्टार्ट अप रजिस्टर्ड देशभर में

- 1200-1400 स्टार्ट अप रजिस्टर्ड यूपी में

- 11 इंक्यूबेशन सेंटर प्रदेश में

- 10 सेंटर्स बढ़ाने के लिए किया जा रहा प्रयास

- 1 हजार करोड़ रुपये के स्टार्ट अप फंड की घोषणा राज्य सरकार ने की है

कॉल करके लें जानकारी

1800115565 पर कॉल करके, स्टार्ट अप से जुड़ी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

बच्चों ने भी पूछे सवाल

स्टार्ट अप परिचर्चा में विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने भी पार्टिसिपेट किया और विशेषज्ञों से सवाल भी पूछे। सवाल कुछ इस प्रकार रहे

1-नेशनल पीजी कॉलेज से आए शशांक पुंडीर ने स्टार्ट अप की सक्सेस रेट के बारे में पूछा, जिस पर उन्हें बताया गया कि आइडिया के स्वरूप पर सक्सेस रेट डिपेंड करती है।

2-लखनऊ पब्लिक कॉलेज, सहारा इस्टेट से आई सिद्धि मेहरोत्रा के सवाल के जवाब में बताया गया कि स्टार्ट अप यूपी की ओर से अमेजन, गूगल क्लाउड आदि से पार्टनरशिप के रूप में वार्ता चल रही है, जिसे बेहतर मौके सामने आ सकें।

ये बच्चे भी हुए शामिल

1-अंबरीश पांडेय, यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ (डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स)

2-आदित्य मिश्रा, यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ (डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स)

3-लकी वर्मा, सीए स्टूडेंट

4-अकांक्षा सिंह, नेशनल पीजी कॉलेज (बीकॉम)

5-प्रशांत सिंह, लखनऊ यूनिवर्सिटी

6-शोभित सिंह, नेशनल पीजी कॉलेज (बीबीए)

अन्य विशेषज्ञों के अमूल्य सुझाव

एग्रीकल्चर की दिशा में बेहतर चांस

स्टार्ट अप एक प्रोजेक्ट है। इस समय एग्रीकल्चर स्टार्ट अप के बेहतरीन चांस हैं। नाबार्ड की ओर से भी स्टार्ट अप के मौके दिए जाते हैं। यह मौके उन यंगस्टर्स और लोगों के लिए हैं, जो एग्रीकल्चर फील्ड में स्टार्ट अप शुरू करना चाहते हैं। हमारी ओर से उनको गाइड करने के साथ-साथ प्रोजेक्ट को किस तरह सफल बनाया जाए, उस बाबत भी ट्रेंड किया जाता है। देवरिया में इस दिशा में काफी काम भी किया गया है। नाबार्ड की ओर से स्टार्ट अप के लिए पांच लाख तक की फंडिंग भी की जाती है। उद्देश्य यही है कि ज्यादा से ज्यादा लोग एग्रीकल्चर की दिशा में स्टार्ट अप शुरू करके समाज और खुद के बेहतर भविष्य की दिशा में कदम आगे बढ़ा सकें।

इंजीनियर राजेश यादव, एजीएम, नाबार्ड

बैंकों के पास कोई स्कीम नहीं

पब्लिक सेक्टर बैंक का महत्वपूर्ण रोल है। स्टार्ट अप की बात की जाए तो तो बैंक की ओर से फंडिंग को लेकर कोई स्कीम नहीं है। हां, इतना जरूर है कि मुद्रा योजना को जरूर तीन भागों शिशु, किशोर और तरुन में बांटा गया है। इसके तहत बैंक की ओर से फंडिंग की जाती है जो 50 हजार से 10 लाख तक है। 2016 में स्टार्ट अप स्कीम आई, लेकिन अभी तक बैंकों के लिए कोई स्पष्ट गाइडलाइंस नहीं है। अगर कोई हमारे पास स्टार्ट अप आइडिया लेकर आता है तो बैंक की ओर से निर्धारित गाइडलाइंस के अनुसार, ही प्रपत्रों की जांच होगी फिर लोन इत्यादि अपू्रव किया जाएगा। बैंकों के पास स्टैंड अप इंडिया स्कीम जरूर है। हालांकि यह व्यवस्था स्टार्ट अप यूपी के तहत की जाने वाली फंडिंग की सुविधा से अलग है।

पवन कुमार, मैनेजर, एसबीआई

प्रचार प्रसार का अभाव

करीब ढाई साल पहले केंद्र स्तर से स्टार्ट अप स्कीम की शुरुआत की गई थी। वक्त गुजरता गया लेकिन इस स्कीम को लेकर प्रचार प्रसार ने जोर नहीं पकड़ा। किसी भी स्कूल-कॉलेज में जाकर बच्चों को स्टार्ट अप के बारे में नहीं बताया गया। जिसकी वजह से बच्चों को स्टार्ट अप के बारे में जानकारी नहीं है। पहले तो इस बात पर खास फोकस किया जाना चाहिए कि स्टार्ट अप को लेकर व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाए। इसके साथ ही इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन को भी इससे जोड़ा जाए। यह बात सामने आई है कि स्टार्ट अप को पार्टनरशिप के रूप में शुरुआत करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं तो ऐसे में एसोसिएशन की ओर से मदद की जा सकती है।

सूर्य प्रकाश हवेलिया, चेयरमैन, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए)

यंगस्टर्स का जागरुक होना जरूरी

यह बात सही है कि स्टार्ट अप स्कीम को लेकर यंगस्टर्स को जागरुक किया जाना चाहिए। इसकी वजह यह है कि स्टार्ट अप स्कीम विशुद्ध रूप से यंगस्टर्स के लिए ही है। आलम यह है कि अधिकांश यंगस्टर्स इस स्कीम को लेकर अनभिज्ञ हैं। सबसे पहला तो यही प्रयास हो कि स्टार्ट अप स्कीम को लेकर व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। इसके साथ ही यंगस्टर्स को बताया जाए कि किस तरह से वे लोग स्टार्ट अप शुरू कर सकते हैं और उन्हें वित्तीय मदद कैसे मिल सकती है। अगर ऐसा संभव होता है, तभी स्टार्ट अप स्कीम सही मायनों में उम्मीद पर खरी उतर सकेगी।

विकास खन्ना, सेकेट्री, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए)

कॉलेज में कराए जाएं स्टार्ट अप प्रोग्राम

बिल्कुल सही बात है कि स्टार्ट अप को लेकर अवेयरनेस बहुत जरूरी है। स्थिति यह है कि यूथ को स्टार्ट अप का लेआउट तक पता नहीं है। टूरिज्म को स्टार्ट अप से कनेक्ट किया जा सकता है। स्टूडेंट्स टूरिज्म को लेकर एप क्रिएट कर सकते हैं। साथ ही गाइड बनकर बेहतर स्टार्ट अप शुरू कर सकते हैं। ई लाइब्रेरी भी बेहतर स्टार्ट अप का एक रूप हो सकता है। मेरा यही मानना है कि कॉलेज में स्टार्ट अप को लेकर प्रोग्राम कराए जाने चाहिए, जिससे स्टूडेंट्स का कांसेप्ट क्लियर हो सके। हमारे पास कोई स्टूडेंट स्टार्ट अप का आइडिया लेकर आता है तो हम उससे यही कहते हैं कि पहले आइडिया को लेकर प्वाइंट बनाए, फिर उसका अध्ययन करें।

डॉ। विशाल सक्सेना, हेड ऑफ कॉमर्स डिपार्टमेंट (नेशनल पीजी कॉलेज)