- नोटिफिकेशन को विधानसभा में ना लाना पड़ा महंगा

- 1997 में जारी हुआ था नोटिफिकेश

LUCKNOW: चौदह साल बाद आये एक फैसले ने सिर्फ प्रदेश सरकार बल्कि पूर्ववर्ती सरकारों में रहे मुख्यमंत्रियों की बेचैनी बढ़ा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को दो महीने के अंदर सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया है। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन भी दाखिल कर सकती है। सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने इसके संकेत दिए है। जिन छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला खाली करना है उनमें मायावती, मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, नारायण दत्त तिवारी और राम नरेश यादव शामिल हैं।

1980 से शुरू हुई थी परंपरा

प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले एलॉट करने की परंपरा 1980 से शुरू हुई थी और इसका लाभ लेने वाले राम नरेश यादव पहले सीएम थे। उसके बाद से जो भी मुख्यमंत्री बना, उसे सत्ता से बाहर होने के बाद सरकारी बंगला मिलता रहा। राज्य संपत्ति विभाग के दस्तावेज बताते हैं कि 1997 में पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा का हवाला देते हुए उन्हें टाइप फाइव के बंगले एलॉट करने का नोटिफिकेशन जारी किया। तय हुआ कि पूर्व मुख्यमंत्रियों से एरिया के हिसाब से किराया वसूला जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री का बंगला मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और मुख्य न्यायाधीश से बड़ा नहीं होगा। इन बंगलों में राज्य संपत्ति विभाग द्वारा अधिकतम ढाई लाख रुपये तक मेंटेनेंस पर खर्च किये जा सकेंगे।

एक चूक पड़ गयी भारी

पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला देने के खिलाफ 1996 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक पिटीशन दाखिल की गयी थी। कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया तो तत्कालीन मायावती ने सरकार ने आनन फानन में यूपी एक्स सीएम रेजीडेंस एलॉटमेंट 1997 के नाम से एक नोटिफिकेशन जारी करके कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट ने इसे नियमों के तहत मानते हुए सरकार के हक में फैसला सुना दिया था। लेकिन इस नोटिफिकेशन को कानूनी जामा पहनाने के लिए विधानसभा में लाया जाना जरूरी था। यही चूक प्रदेश सरकार को भारी पड़ गयी। लेकिन 2004 में लोक प्रहरी एनजीओ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में फ्रेश पिटीशन दाखिल की गयी। प्रदेश सरकार ने यहां काउंटर एफिडेविट भी लगाया था।

नवंबर में हुई थी आखिरी सुनवाई

नवंबर 2014 में प्रदेश सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों की डिटेल मांगी थी और उसके बाद से कोई सुनवाई नहीं हुई थी। सरकार की ओर से बताया गया था कि इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को टाइप फाइव के बंगले एलॉट किये गये हैं। साथ ही इनसे एरिया के हिसाब से किराया भी वसूल किया जाता है। सरकार के जवाब के बाद कोर्ट ने अपना फैसला रिजर्व कर लिया था। सोमवार को 20 महीने पुराना फैसला सुना दिया गया। कोर्ट ने कहा कि छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला दो महीने के अंदर खाली करना होगा।

कौन कब रहा मुख्यमंत्री

सुप्रीम कोर्ट ने सूबे के जिन छह पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले खाली करने का आदेश दिया है वे वर्तमान में दो जगहों पर सरकारी बंगलों की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं।

राम नरेश यादव - 12 माल एवेन्यू

1977 से 1979 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। माल एवेन्यू में 12 नंबर का बंगला एलॉट है। राम नरेश यादव फिलहाल मध्य प्रदेश के गवर्नर हैं और एपी के गवर्नर हाउस में रहते हैं।

नारायण दत्त तिवारी- 1 ए माल एवेन्यू

तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे। 1976-77 तक, अगस्त 1984 से जून 1985 तक और 1988 से 1989 तक। इनको माल एवेन्यू में 1 ए नंबर का बंगला एलॉट है। एनडी तिवारी उत्तराखंड में भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें उत्तराखंड में भी बंगला एलॉट है।

कल्याण सिंह- 2 माल एवेन्यू

कल्याण सिंह प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे। पहली बार 1991 से 1992 तक और दूसरी बार 1997 से 1999 तक। उन्हें माल एवेन्यू में बंगला नंबर 2 एलॉट है। कल्याण सिंह फिलहाल राजस्थान के गवर्नर हैं गवर्नर हाउस में रह रहे हैं।

राजनाथ ंिसह - 4 कालिदास मार्ग

साल 2000 से 2002 के बीच प्रदेश की कमान संभालने वाले राजनाथ सिंह को कालीदास मार्ग पर चार नंबर का बंगला एलॉट है। वह मौजूदा समय में देश के गृह मंत्री भी हैं और उन्हें दिल्ली में बंगला एलॉट है।

मुलायम सिंह यादव - 5 विक्रमादित्य मार्ग

तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे। 1989 से 91, 1993 से 1995 और 2003 से 2007 तक। उन्हें पांच विक्रमादित्य मार्ग पर बंगला एलॉट है। फिलहाल अपनी पूरी फैमिली के साथ उसमें रहते हैं। मुलायम सिंह आजमगढ़ से सांसद भी हैं और उन्हें सांसद के तौर पर दिल्ली में भी बंगला एलॉट है।

मायावती- 13 ए, मॉल एवेन्यू

मायावती प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं। पहली बार 3 जून 1995 से 18 अक्टूबर 1995 तक, उसके बाद 21 सितंबर 1997 से 21 सितंबर 1997 तक, 3 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक। मौजूदा समय में वह राज्यसभा सांसद भी हैं और उन्हें दिल्ली में भी सरकारी बंगला एलॉट है।