- शिवानंद तिवारी ने कहा-स्टूडेंटस नीतीश कुमार के पतन पर करेंगे शोध

PATNA: नीतीश कुमार की अंदरुनी बेचैनी का प्रभाव उनकी भाषा पर भी दिखाई दे रहा है। संयत भाषा के लिए जाने जानेवाले नीतीश अब कह रहे हैं कि 'स्पीकर को कोई छूकर' तो देखे। दरअसल, दुबारा तुरंत सीएम की कुर्सी पर बैठ जाने की तीव्र बेचैनी में उनका आत्म नियंत्रण बिलकुल ढीला हो गया है। ये कहना है एक्स एमपी शिवानंद तिवारी का। बिहार की राजनीति का यह सत्ता संग्राम और अनिश्चितता के कारण नीतीश कुमार का सत्ता लोभ है। जीतनराम मांझी उनको पच नहीं पाए। उनको अपमानित कराने में कोई कसर नहीं छोड़ा गया। अगर नीतीश ने अपनी सत्ता की आकांक्षा पर थोड़ा संयम रखा होता, तो बिहार की राजनीति की दिशा आज दूसरी होती।

गरिमा पर बात करना आश्चर्यजनक

विधायकों की खरीद-फरोख्त के उनके आरोप पर लोग हंस रहे हैं। लोजपा और अभी हाल में राजद के विधायकों के साथ क्या हुआ, यह लोगों की स्मृति में ताजा है। जिन स्पीकर साहब के समर्थन में वे सबको देख लेने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने किस प्रकार राजद के विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के बदले विधान को ताक पर रखकर उन्हें अलग गुट के रूप में मान्यता दी, ये बात सभी को याद है। ऐसा आचरण करने वाले स्पीकर के पद की गरिमा की कोई बात करता है तो आश्चर्य होता है।

नीतीश पर शोध करेंगे शोधार्थी

नीतीश जी को आज लोकतंत्र की बहुत चिंता हो रही है। डॉ लोहिया कहते थे कि लोकतंत्र पार्टियों से चलता है और जब पार्टियों का संचालन लोकतांत्रिक ढंग से नहीं होगा, तो देश में लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। विडंबना है कि अपनी पार्टी के भीतर लोकतंत्र का गला घोंटने वाले नीतीश जी को आज लोकतंत्र पर खतरा दिखाई दे रहा है। मुझे यकीन है कि आगामी विधान सभा चुनाव के बाद प्रधान मंत्री की बनावट वाले नीतीश कुमार के पतन पर राजनीति शास्त्र के स्टूडेंटस शोध करेंगे।