AGRA (17 Oct.): यूपी सरकार जिन पर इतनी मेहरबानी थी। उन पर आगरा के कई थानों में मामले दर्ज हैं। अब पुलिस उप्र प?िलक सर्विस कमीशन के पूर्व चेयरमैन अनिल यादव का रिकॉर्ड तैयार करने की तैयारी में जुट गई है। हाईकोर्ट द्वारा नियुक्ति रद्द करने के बाद से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों में खलबली मची हुई है। अधिकारी धूल जमीं फाइलों को कुरेदने में लगे हैं। पुरानी फाइलों को विभिन्न रंगों की पताका लगाकर अपडेट किया जा रहा है।

जिला बदर का है मामला

अनिल यादव पुत्र साहब सिंह यादव निवासी ई.399 कमलानगर न्यू आगरा को तत्कालीन एडीएम सिटी केके उपाध्याय की कोर्ट से जिला बदर किया गया था। 31 अक्टूबर 1986 को केके उपाध्याय के पास एडीएम सिटी व एडीएम प्रशासन दोनों का प्रभार था। उस समय कोर्ट में जो हलफनामा दिया गया, उसमें अनिल यादव पर 11 गंभीर मुकदमा थाना न्यू आगरा, एक मुकदमा लोहामंडी और एक हरीपर्वत थाने में होने के साथ शाहगंज थाने में भी मुकदमा दर्ज थे.हलफनामा में कहा गया कि अनिल कुमार यादव को धारा 3/4 उ.प्र। कन्ट्रोल गुण्डा एक्ट के अन्तर्गत न केवल क्षेत्र थाना न्यू आगरा व वरन आगरा जिला की सीमा से निष्कासित करने का कष्ट करें। इसके बाद अनिल यादव को जिला बदर कर दिया गया था।

दायर की थी अपील

जिला बदर होने के बाद अनिल यादव ने तत्कालीन कमिश्नर एएन सेंगल के यहां अपील दायर की थी। इस दौरान बीएसए कॉलेज मथुरा के प्राचार्य, आगरा कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ। एसएन श्रीवास्तव ने अनिल यादव के आचरण को लेकर पत्र लिखा था। इसमें आगरा कॉलेज के बोटनी डिपार्टमेंट के डॉ। जेएस यादव व जीआईसी के रिटायर्ड प्रिन्सीपल राज बहादुर सिंह ने गवाही दी थी। इसके बाद 3 फरवरी 1987 को जिला बदर के आदेश वापस ले लिए गए थे।

नप सकते हैं गलत रिपोर्ट देने वाले अधिकारी

दो अप्रैल 2013 को जब अनिल यादव को राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष

बनाया गया था। तो आगरा में तैनात रहे डीएम, एसएसपी और एसपी सिटी से रिपोर्ट मांगी गई थी। सूत्रों की मानें तो अफसरों ने रिपोर्ट में आपराधिक ?योरे की जानकारी को छुपा लिया था। अब यदि कोर्ट ने सख्ती दिखाई तो उन अफसरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, जिन्होंने उस समय गलत जानकारी दी। हाईकोर्ट ने अनिल यादव की तैनाती को अवैध करार देते हुए कहा था कि राज्य सरकार ने 12 सितम्बर 1984 के अपने ही शासनादेश का पालन नहीं किया, जिसमें तैनाती के समय व्यक्ति के जन्म स्थान से उसकी आपराधिक गतिविधियों की जानकारी लेकर भौतिक सत्यापन किया जाता है।