- बिना मांग माने वापस लौटने से उठे सवाल

- यूनिवर्सिटी ने जांच कमेटी बनाकर मामले का किया ठंडा

Meerut : यूनिवर्सिटी में गायब पत्रावली प्रकरण पर रिपोर्ट दर्ज होने के बाद साथी के समर्थन में आए कर्मचारी संगठन बैकफुट पर आ गए। कल तक मामले को लेकर कर्मचारियों में उबाल था, लेकिन बुधवार को मात्र आश्वासन के बाद कर्मचारी ठंडे हो गए। कर्मचारियों ने कामकाज शुरू कर दिया। वहीं यूनिवर्सिटी ने प्रकरण पर जांच कमेटी बनाकर इतिश्री कर ली। इससे यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।

ठंडे पड़े कर्मचारी

एक दिन पहले साथी कर्मचारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने पर कर्मचारी संगठनों में उबाल था। आक्रोशित कर्मचारियों ने यूनिवर्सिटी में कामकाज ठप कर दिया था। रजिस्ट्रार से साथी कर्मचारी पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने तथा अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की मांग को लेकर दिन भर हंगामा चलता रहा, लेकिन मंगलवार को बिना मांग पूरी हुए कर्मचारी काम पर लौट आए। मामले पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बना दी। जांच कमेटी ने मंगलवार को कोई औपचारिकता पूरी नहीं की। वहीं कर्मचारियों के विरोधी स्वर भी ठंडे रहे।

दबाया जा रहा है मामला

सूत्रों की मानें तो मामला उच्चाधिकारियों से जुड़ा है। एआर अरुण यादव ने यूनिवर्सिटी की संदिग्ध गतिविधियों को छिपाते हुए गलत तथ्यों पर आधारित शपथ पत्र दिया, लेकिन पत्रावली के कागजात कुछ और ही इशारा करते हैं। कार्यवाहक रजिस्ट्रार की नियुक्ति ईसी की बैठक के दो दिन बाद हुई, लेकिन जब हाईकोर्ट ने इसका संज्ञान लिया तो यूनिवर्सिटी की कार्य प्रणाली उजागर हो गई। हाईकोर्ट ने मूल पत्रावली तलब की तो पत्रावली को गायब बताया जा रहा है। यूनिवर्सिटी प्रशासन तथा कर्मचारियों को मालूम है कि पत्रावली कहां है और किसके द्वारा गायब की गई है। कर्मचारियों के हंगामे के बाद मामले को तूल पकड़ता देख अधिकारियों ने मामला दबाने की जुगत भिड़ा दी। इसलिए कर्मचारी को मना लिया गया।

कैसे बच गया चोर?

यूनिवर्सिटी के कमेटी सेल में सीसीटीवी कैमरा लगा है। ऐसे में तीसरी आंख की जद में आए बिना चोर निकल गया। महत्वपूर्ण पत्रावली गायब हो गई। इससे भी यूनिवर्सिटी प्रशासन की भूमिका कठघरे में है। सूत्रों की मानें तो कमेटी सेल से पत्रावली गायब होने के प्रकरण पर यूनिवर्सिटी यदि पाक साफ है तो सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकलवाए और सच्चाई को उजागर करे, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।