RANCHI:छह महीने में जब-जब पेट्रोल और डीजल का प्राइस कम हुआ, लोगों की बांछें खिलती रहीं। लोग इस उम्मीद में टकटकी लगाए रहे कि अब कुछ दिनों की ही बात है, जब महंगाई कम हो जाएगी। लेकिन, उनकी यह आस पूरी नहीं हुई। पेट्रोल-डीजल तो कई बार सस्ता हुआ, लेकिन इसका असर बाजार में देखने को नहीं मिला। खाने-पीने के सामान हों या रोजमर्रा की कोई भी चीज सस्ती नहीं हुई। साग-सब्जी से लेकर आटा-चावल और फल-फूल सभी आज भी ऊंचे दाम पर बिक रहे हैं। महंगाई कम हुई, इसकी चर्चा तो खूब हुई। लेकिन धरातल पर महंगाई कम होती कहीं नहीं दिखी। आखिर क्या है इस महंगाई की सच्चाई, जानने के लिए पढ़ें आई नेक्स्ट की रिपोर्ट।

20 रुपए पेट्रोल 12 रुपए सस्ता हुआ डीजल

पिछले दो सालों में रांची में पेट्रोल के दाम में 20 रुपए की कमी हुई, लेकिन इसका असर महंगाई कम करने में नहीं दिख रहा है। जुलाई 2014 के पहले तक रांची में 75 रुपए तक पेट्रोल मिल रहा था और अभी 58 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है। एक समय ऐसा आया जब रांची में 79 रुपए लीटर पेट्रोल बिक रहा था, लेकिन पेट्रोल ऑटो से चलने वाले लोग और भाडे़ की गाड़ी में चलने वाले लोगों को राहत नहीं मिली। कुछ ऐसा ही डीजल सस्ता होने का भी असर दिखा। जुलाई 2014 के पहले तक डीजल 62 रुपए प्रति लीटर मिल रहा था और अब 50 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है। फिर भी डीजल के सस्ता होने का असर रोजमर्रा की चीजों के दाम पर नहीं पड़ा।

किसी चीज का दाम नहीं हुआ कम

पेट्रोल डीजल की कीमतों में लगातार गिरावट के बाद भी किसी चीज का दाम कम नहीं हो पा रहा है। न खाने-पीने के सामानों के दाम घटे, न शहर के किसी भी रूट का ऑटो किराया घटा। फारचुन की दुकान में बिकने वाली मसूर दाल हो या गेहूं का आटा, सब्जी मंडी में बिकने वाली शिमला मिर्च हो या गोभी या फिर फल मंडी में बिकने वाला सेव या केला किसी की कीमत पर महंगाई कम होने का असर नहीं दिख रहा है।

किराया पर खास फर्क नहीं

सबसे अधिक पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने के बाद भी आम जनता को बहुत राहत नहीं मिली। रांची में डीजल ऑटो एसोसिएशन के लोगों ने ऑटो किराया 1 रुपए कम कर फॉर्मलिटी निभा लिया। वहीं पेट्रोल के दाम कम होने के बाद भी रांची में चलने वाले पेट्रोल ऑटो के किराए में कोई कमी नहीं की गई है। स्कूल बसों के किराए में भी 10 प्रतिशत कम करने की घोषणा की गई, लेकिन वह भी पहले वाले दर से ही वसूला जा रहा है। इधर, यात्री बसों के किराए में कमी करने की घोषणा तो हुई, लेकिन यह पूरी तरह लागू नहीं हो पाया है।

खाने-पीने के सामान नहीं हुए सस्ते

पेट्रोल डीजल के दाम घटने के बाद भी खाने-पीने के सामानों की कीमत में कोई खास कमी नहीं हुई है। जबकि पेट्रोल-डीजल का दाम कम होने से उसका ट्रांसपोर्टेशन पर सीधा असर पड़ता है। लेकिन, सब्जी- दाल हो या फल किसी भी सामान के दाम में कमी नहीं आई है। बल्कि अभी दाम और बढ़ गया है। दाल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है तो मसाले के दाम भी आसमान छू रहे हैं। छह महीने में सबसे महंगा दाल इसी समय बिक रहा है। मसूर दाल पहले 70 रुपए प्रति किग्रा बिकता था, जो अब 86 रुपए प्रति किग्रा हो गया है।

फल खाना आज भी महंगा

फल दुकान वाले हमेशा कस्टमर को यही कहते हैं कि फल का दाम इसलिए महंगा है कि यह बाहर सें आता है। बाहर से आने वाले फलों में ट्रांसपोर्टेशन अधिक होता है। लेकिन अब डीजल के दाम में कमी के बाद भी फलों के दाम कम नहीं हो रहे हैं। कुछ फलों की कीमत तो उलटे महंगी ही हो गई है। वहीं, कुछ फल छह महीने पहले जिस रेट से बिक रहे थे, आज भी उनका वही भाव है।

क्यों नहीं घट रही महंगाई

डीजल के दाम कम होने के बाद भी आम लोगों तक इसका फायदा नहीं पहुंच पा रहा है, इसके लिए बहुत हद तक बिचौलिए जिम्मेवार हैं। जिस सामान का पैदावार अधिक हो रहा है, उसे बिचौलिए होलसेल रेट में लेकर पहले ही स्टोर कर ले रहे हैं और थोड़ा-थोड़ा मार्केट में निकाल रहे हैं। जब मार्केट में शार्टेज हो जाता है, तब उसे बाहर निकाल कर ऊंची कीमत पर बेच कर अपनी जेबें भरते हैं।

सामान 6 माह पहले का रेट वर्तमान रेट

मसूर दाल 78 रुपए केजी 85 रुपए केजी

अरहर दाल 80 रुपए प्रति केजी 86 रुपए प्रति केजी

चना दाल 48 रुपए केजी 54 रुपए केजी

काबली चना 70 रुपए केजी 80 रुपए केजी

आटा आशिर्वाद 70 280 रुपए पैकेट 290 रुपए पैकेट

जीरा 150 रुपए केजी 200 रुपए केजी

धनिया 200 रुपए केजी 300 रुपए केजी

गोलकी 900 रुपए केजी 1000 रुपए केजी

चीनी 34 रुपए केजी 36 रुपए केजी

सेब 60 रुपए केजी 60 रुपए केजी

केला 35-40 रुपए दर्जन 40-50 रुपए दर्जन

मौसमी 40 रुपए केजी 40 रुपए केजी

वर्जन

डीजल का दाम कम होने के बाद भी बहुत सारे सामानों के दाम बढ़ गए हैं। हमलोग इंतजार कर रहे थे कि डीजल के दाम कम होने से कई सामान काफी सस्ते होंगे। लेकिन, वास्तव में आम लोगों के लिए महंगाई कम नहीं हुई।

-कुमार आयुष, स्वास्तिक शॉप, कोकर, रांची

छह महीने पहले जो सेव का दाम था, आज भी वहीं है। केला के दाम तो पहले से भी बढ़ गया है। डीजल के दाम कम होने का असर फलों पर नहीं दिख रहा है।

-असलम, फल विक्रेता, डेली मार्केट