-आम आदमी के लिए बजट में नहीं है कुछ खास, एंटरटेन होने के लिए जेब होगी ढीली

-एक्सपोर्ट क्वालिटी मैटेरियल्स की राह मुश्किल, सेस ने मुसीबत में किया इजाफा

-केंद्र सरकार के बजट में नहीं नजर आई कॉन्टीन्यूटी

GORAKHPUR: केंद्र सरकार का आखिरी बजट गुरुवार को पेश किया गया। इसमें किसानों और रूरल एरियाज पर जहां फोकस रहा, वहीं मिडिल क्लास बिल्कुल नजर अंदाज रहा। टैक्स से राहत की उम्मीद लगाए आम आदमी को राहत नहीं मिली, बल्कि सेस के तौर पर एक परसेंट बोझ और बढ़ गया। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने बजट आने के बाद अलग-अलग फील्ड से शहर के रिनाउंड लोगों को एक छत के नीचे इकट्ठा किया और बजट को लेकर डिस्कशन कराया। इसमें जहां एक्सप‌र्ट्स ने आम आदमी के लिए इसे अति सामान्य बजट डिक्लेयर किया, वहीं सरकारी नीतियों पर भी सवाल उठाए।

एक्सप‌र्ट्स का कहना था कि इस बजट में स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया और स्किल इंडिया जैसी अहम पुरानी नीतियां जो चल रही थीं, उन्हें सरकार ने बिल्कुल नजर अंदाज कर दिया। जबकि, नई नीतियां बनाने और उसे लागू करने पर ही सरकार का फोकस रहा। इससे आम आदमी को राहत नहीं मिलती नजर आई। करीब डेढ़ घंटे चले इस डिस्कशन में लोगों ने बजट पर मंथन किया और दिल खोल कर अपनी बातें रखीं।

यह बातें आई सामने -

-लिमिटेड लोगों को लिमिटेड फील्ड में राहत मिली है।

- 40 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन डिक्लेयर कर सिर्फ खानापूर्ति की गई है। इसमें तत्काल मिल रही दो छूट हटा दी गई है।

- ग्रामीण गरीब महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत कनेक्शन से राहत मिलेगी।

- गरीब लोगों को मुफ्त बिजली कनेक्शन देने का फैसला अच्छा।

- मेडिकल एश्योरेंस से देश के 40 फीसद लोगों को फायदा मिलेगा।

- अब भी लोगों को ढाई लाख रुपए से ऊपर की रकम पर टैक्स देना होगा।

-सपोर्ट प्राइज डेढ़ गुना कर किसानों को थोड़ी राहत दी गई है।

- इरीगेशन पर 600 करोड़ मिले हैं, लेकिन यह कहां-कहां और कैसे खर्च होंगे, इसके लिए कोई क्लीयरेंस नहीं है।

- लांग टर्म कैपिटल गेन पर 10 फीसद टैक्स लगा दिया गया है, जो टैक्स फ्री था, इससे इनवेस्टर्स को नुकसान होगा। हालांकि यह तभी देना है जब आपका गेन एक लाख से ज्यादा होगा।

- शेयर्स बचने पर हमें अब भी टैक्स देना होगा, सरकार इनवेस्टर्स को प्रमोट न करके ट्रेडर्स को प्रमोट कर रही है।

- स्टैंड अप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी पुरानी नीतियों पर बिल्कुल फोकस नहीं है।

- कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से एक्सपोर्ट होने वाले सामान महंगे होंगे।

मेरे हिसाब से यह बिल्कुल सामान्य बजट है। नई नीतियों के मामले में सरकार आगे बढ़ी है, लेकिन जो उनकी स्टैंडअप इंडिया और स्टार्टअप इंडिया पर फोकस नहीं किया गया, यह इस बार भी पहले जैसी ही रहेंगी। इससे आम आदमी को कोई राहत नहीं है।

- अजेय कुमार गुप्ता, इकोनॉमिस्ट

चुनाव करीब होने के बाद भी बजट में कोई भी ऐसी चीज नहीं है, जो लोक लुभावन हो। इसमें कुछ नया नहीं है और न ही इससे मध्यम वर्ग को ही कोई राहत मिली है। बिलो टू एवरेज है बजट।

- कमलेश कुमार, सचिव चैंबर ऑफ ट्रेडर्स

आम आदमी को जिस टैक्स स्लैब में बढ़ोत्तरी की उम्मीद थी, सरकार ने उसमें उन्हें बिल्कुल राहत नहीं दी। सीनियर सिटीजन को लेकर लिए गए फैसले प्रशंसनीय हैं।

-मनीष चांदवासिया, अध्यक्ष, चैंबर ऑफ ट्रेडर्स

पहले बजट के प्रति रेल बजट आकर्षण पैदा करता था, लेकिन अब दोनों साथ होने से इसमें रुचि कम हुई है। इसमें सबको कुछ न कुछ देने के चक्कर में किसी को फायदा नहीं मिल सका।

- सत्यपाल सिंह, शिक्षक, डीवीएनपीजी कॉलेज

इसमें टैक्स स्लैब को बढ़ाया नहीं गया है, ऊपर से कई तरह के टैक्स लगा दिए गए हैं। इससे स्टॉक मार्केट पर खराब असर पड़ेगा, जिससे आम आदमी को भी फ्यूचर में मुश्किलें होंगी।

- आशुतोष कुमार अग्रवाल, स्टॉक ब्रोकर

इस बजट में इनकम टैक्स को लेकर तो कोई राहत नहीं मिली है, लेकिन सैलरीड एंप्लाई को इनडायरेक्ट वे में कुछ बेनिफिट मिला है। लेकिन जो 40 हजार कहा जा रहा है, वह 40 हजार न होकर 5 हजार के आसपास है। क्योंकि इसमें कुछ अलाउंस खत्म भी किए गए हैं।

- प्रतीक सिंघानिया, सीए

सरकार ने जीएसटी में कोई राहत नहीं दी। दवाओं के दाम को कंट्रोल करने के लिए भी कोई प्रोवीजन नहीं किया, जबकि कैंसर, शूगर, ब्लडप्रेशर जैसी कुछ बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को डीपीसीओ के तहत लाना चाहिए। मोबाइल और टीवी भी महंगा कर आम आदमी का बोझ बढ़ाया है।

- योगेंद्र दुबे, अध्यक्ष, दवा विक्रेता समिति

इस बजट में प्रधानमंत्री की परिकल्पना नजर आती है। सबका साथ, सबका विकास इस बजट के जरिए होगा। गरीब महिलाओं और सीनियर सिटीजन के साथ ही किसानों के लिए इसमें काफी कुछ है। आम आदमी को भी इनडायरेक्टली फायदा है।

- आलोक चौरसिया, अध्यक्ष, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल

सरकार ने किसानों को जो उनकी लागत का डेढ़ गुना दाम देने का फैसला किया गया है, वह अच्छी पहल है। जब किसानों को सुविधा मिलेगी, तो उत्पादन बढ़ेगा और लोगों को खुद ब खुद सस्ते में सामान मिलने लगेंगे। सरकार के इस बजट से राजस्व घाटा कम होगा, जिससे देश का विकास होगा।

- डॉ। नितिन बख्शी, शिक्षक, इस्लामियां कॉलेज ऑफ कॉमर्स

रियल इस्टेट सेक्टर के लिए यह बजट बिल्कुल निराशाजनक है। टैक्स स्लैब हायस्ट है, इंडस्ट्री का दर्जा नहीं है। इससे व्यापारियों को राहत नहीं मिलेगी, जिसका असर आम आदमी पर भी देखने को मिलेगा।

- सत्य प्रकाश पांडेय, रियल इस्टेट

केंद्र सरकार को यह बजट बिल्कुल निराशाजनक है और इसमें आम आदमी के लिए कुछ नहीं है। रूरल एरिया पर इसमें ध्यान दिया गया है, शेयर मार्केट के इनवेस्टर्स को भी कोई फायदा नहीं मिलने वाला है।

- मोहित अग्रवाल, सीए

वर्तमान बजट एक तटस्थ बजट है। इसमें सीनियर सिटीजन, मध्यम छोटा उद्यम और विशेष रूप से किसानों को अधिक राशि आवंटित की गई है। सभी दीर्घ कालिक पूंजी लाभ पर छूट मिलेगी और इक्विटी, म्युचुअल फंड से लाभांश आय पर 10 फीसद टैक्स लगेगा।

- आशीश अग्रवाल, फाइनेंशियल एडवाइजर