एक्सपर्ट कमेटी ने दी है रिकमेंडेशन

एक एक्सपर्ट कमेटी ने इसे फिर से शुरू करने की सिफारिश की है. कमेटी ने कहा है कि प्रोसीजर में कुछ इंप्रूवमेंट्स के साथ इसे लागू किया जाना चाहिये क्योंकि इससे सब्सिडी का मिसयूज रोकने में मदद मिलती है.

लोगों के पास बैंक अकाउंट न होने से हुई प्रॉबल्म

पेट्रोलियम मिनिस्ट्री ने एक जून से 2013 से देश के 291 जिलों में एलपीजी डाइरेक्ट कैश ट्रांसफर शुरू की थी. एलपीजी की वास्तविक लागत से कम दाम पर बिक्री के सिस्टम के बजाय पर सरकार ने यह स्कीम शुरू की थी. देशभर में 2.8 करोड़ एलपीजी ग्राहकों को 5,400 करोड़ रुपये की राशि नकद सब्सिडी के तौर पर ट्रांसफर की गई. सरकार ने हालांकि बाद में 7 मार्च को योजना पर रोक दी. इस तरह की शिकायतें मिलने लगीं कि कई एलपीजी ग्राहकों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है क्योंकि उनके पास न तो आधार नंबर है और न ही बैंक अकाउंट.

आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर हैं रिव्यू कमेटी के हेड

प्रो. एसजी धांडे के लीडरशिप में गठित कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआती रिजल्ट से हालांकि ऐसा लगता है कि डिस्ट्रिब्यूशन में सरकारी सहायता के मिसयूज रोकने का पहला मकसद हासिल करने में मदद मिली है. लेकिन स्कीम को बहुत तेजी से लागू किया गया था. इसके अलावा योजना को ऐसे जिलों में लागू किया गया था जहां बहुत कम लोगों के पास बैंक अकाउंट और आधार कार्ड था. इसलिये लोगों ने कंप्लेन करना शुरू किया. आईआईटी  कानपुर के फॉर्मर निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी का गठन एलपीजी की डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम के रिव्यू के लिये किया गया था.

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