50 परसेंट से ज्यादा

चालकों के आई टेस्ट में 50 परसेंट से ज्यादा चालकों की आंखों में कुछ न कुछ प्रॉŽलम्स पाई गईं। डॉक्टर्स की मानें तो वाहन चालकों में प्रेसबायोपिया, मायोपिया, मोतियाबिंद जैसी बीमारियां देखने को मिली हैं। आंखों की कमजोरी से जूझ रहे चालकों को कोहरे के समय और भी कम दिखाई देता है। डॉक्टर्स के मुताबिक कोहरे में मायोपिया के चलते आंखों से देखने की क्षमता और कम हो जाती है। आंखों से साफ दिखाई न देने के चलते एक्सीडेंट के चांसेज बढ़ जाते हैं।

ट्रीटमेंट की सलाह

आंखों की कमजोरी से जूझ रहे मैक्सिमम वाहन चालकों को आई स्पेशलिस्ट ने इलाज कराने की सलाह दी। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के आई सर्जन डॉ। एके गौतम की मानें तो अभी चालकों की बीमारी इम्मेच्योर है। उन्हें नजर का चश्मा लगवाने की बात कही जा रही है। कुछ चालकों के आंखों के ऑपरेशन की भी जरूरत है। ।

500 से अधिक वाहनों की जांच

11 जनवरी से चल रहे अभियान के तहत अब तक 500 से अधिक ऑटो, मैजिक, कैब सहित अन्य वाहनों की जांच की जा चुकी है। इनमें से करीब 300 वाहनों को पॉल्यूशन फ्री पाया गया। बाकी वाहनों के या तो पॉल्यूशन फ्री सर्टिफिकेट नहीं थे या फिर मानक से अधिक धुआं उगलते पाया गया।

62 % को मायोपिया

डिस्ट्रिक्ट्स हॉस्पिटल के ऑप्टोमैट्रिस्ट डॉ। विशाल सक्सेना ने बताया कि कैंप में करीब 300 लोगों का आई चेकअप किया गया। इनमें से 62 परसेंट लोगों में मायोपिया बीमारी देखने को मिली। मायोपिया से पीडि़त व्यक्ति में दूर की चीेजे देखने की शक्ति कम होती है। मायोपिया का ट्रीटमेंट टाइम पर नहीं होने पर आंखों से देखने की क्षमता कम होती जाती है। लास्ट स्टेज में मोतियाबिंद की बीमारी हो जाती है। करीब 18 परसेंट लोगों में प्रेसŽाायोपिया भी देखने को मिली। इस बीमारी में चालक को नजदीक की चीजे दिखाई नहीं देती हैं।

'चालकों में आई रिलेटेड प्रॉŽलम्स देखने को मिली हैं। इसमें ज्यादातर दूर का कम दिखाइ्र्र देना व मोतियाबिंद के शुरुआती

लक्षण देखने को मिले हैं.'

डॉ। विशाल सक्सेना, ऑप्टोमैट्रिस्ट, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल