पिछले दो सालों से एक महिला मथुरा में गुमनामी की जिंदगी जी रही थी। किसी तरह मांग कर अपना पेट भरती और कहीं भी सो जाती। समाजसेवी नरेश पारस की नजर जब महिला पर पड़ी तो उसे उसके परिवार से मिलाने का जिम्मा उठाया और सोशल मीडिया की मदद से महिला को आगरा में रहने वाले उसके परिवार से मिलवाया जबकि पुलिस ने इस मामले में कोई मदद नहीं की।

 

दो साल पहले गायब हो गई थी महिला

एत्मादउद्दौला क्षेत्र निवासी गैर समुदाय महिला अम्बेडकर पुल के पास से दो साल पहले मजदूरी कर रही थी। उस दौरान कुछ लोग आए और उसे उठा कर ले गए। युवक उसे कैलाश मंदिर के पीछे जंगलों में छोड़ गए। इधर परिजनों ने थाना एत्मादउद्दौला में शिकायत दी लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। इन दो सालों में उसका जीवन बद् से बदतर हो गया। वह भीख मांग कर अपना गुजारा कर रही थी। घर के पते के नाम पर उसे मात्र आगरा पता था। समाजसेवी नरेश पारस के मुताबिक कुछ दिन पहले वह मथुरा दर्शन करने गए तो लौटने के दौरान उनकी नजर महिला पर पड़ी। समाजसेवी ने उसे परिवार से मिलाने का संकल्प ले लिया। नरेश पारस ने महिला के परिवार को तलाशने के लिए सोशल मीडिया की मदद ली और उसमें उन्हें सफलता मिली।


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फेसबुक और टि्वटर की मदद से महिला को वापस मिला उसका परिवार

फेसबुक पर फोटो डालने के बाद नरेश पारस टि्वटर पर भी पुलिस अधिकारियों को ट्वीट किया। पुलिस मुख्यालय से ट्विटर और मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर थाना बल्देव पुलिस को फरजाना को घर भिजवाने के आदेश जारी किए गए। जब पुलिस फरजाना तक नहीं पहुंची। तो बुधवार को नरेश पारस उसकी बेटी और दो अन्य रिश्तेदारों को साथ लेकर बल्देव पहुंचे। ग्राम समिति की मौजूदगी में महिला को परिजनों ने अपनी सुपुर्दगी में लिया।


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