ये कंपनी पहले से ही फेसबुक को वो तकनीक मुहैया करा रही है जिसकी मदद से फेसबुक के सदस्य अपने दोस्तों की तस्वीरों की पहचान करते और उन्हें टैग करते हैं। दोनों कंपनियों के बीच ये सौदा कितने में हुआ है, इसके बारे में पता नहीं चला है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस सौदे की कीमत 5.5 अरब डॉलर से छह अरब डॉलर के बीच आंकी है।

दोस्तों की तस्वीरों को टैग करना फेसबुक का एक लोकप्रिय फीचर है। लेकिन निजता की वकालत करने वालों ने इस तकनीक के बारे में चिंता जाहिर की है।

निजता का मुद्दा

फेस डॉट कॉम का सॉफ्टवेयर उन तस्वीरों को स्कैन करता है जिन्हें फेसबुक के सदस्य अपलोड करते हैं। ये सॉफ्टवेयर फेसबुक के सदस्यों को संभावित दोस्तों के नाम, उनकी तस्वीरों के साथ भी दिखाता है। फेसबुक का कहना है कि इस सौदे से उसकी मौजूदा प्रणाली में कोई बदलाव नहीं आएगा।

फेसबुक के प्रवक्ता ने एक बयान में बीबीसी को बताया, ''जो लोग फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं, अपनी तस्वीरों को दोस्तों के साथ साझा करते हैं, उसमें फेस डॉट कॉम की तकनीक ने तस्वीरों के मामले में बेहतरीन अनुभव कराने में मदद की है.''

ब्रिटेन स्थित समूह 'प्राइवेसी इंटरनेशनल' ने इस तकनीक के संभावित दुष्परिणामों को लेकर चेतावनी दी है। समूह की संचार प्रमुख एमा ड्रेपर ने बीबीसी से कहा, ''फेसबुक, चेहरे की पहचान संबंधी दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे भरोसेमंद डेटाबेस तैयार कर रहा है.''

उन्होंने कहा, ''हम उम्मीद करते हैं कि इस सूचना को संग्रह करने और इसके इस्तेमाल के बारे में बड़े पुख्ता सुरक्षा-मानक होंगे, खासतौर पर तब, जब इसकी संभावना बढ़ रही है कि फेसबुक इसके जरिए धन कमाना शुरु कर सकता है.''

लेकिन फेसबुक ने इनकार किया है कि वो ऐसा कोई डेटाबेस तैयार कर रहा है। फेसबुक का कहना है कि ये तकनीक सिर्फ इसलिए है कि लोग अपने दोस्तों की पहचान कर सकें और उनसे जुड़ सकें।

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