काश, कोई बता देता तो
गुप्तकाशी से पुरोहित केशव तिवारी ने बताया कि रात में मूसलाधार बारिश व बह गए इन लोगों व आश्रमों के बारे में कोई बता देता या फिर पता चल गया होता तो शायद 17 की काली सुबह हुए जानमाल के नुकसान से बचा जा सकता। सैकड़ों लोग केदारनाथ में मरने से बच गए होते। केशव तिवारी कहते हैं कि वे खुद वहां उस रात व सुबह बांबे हाउस में सो रहे थे। 16 जून की रात में जो आश्रम, श्रद्धालु व साधु बहे, उनके बारे में 17 जून की सुबह तक पता नहीं चल पाया। केशव कहते हैं कि 17 को आए महा जलप्रलय में जो लोग मलबे में बह रहे थे, उनके सीधे कपड़े भी फट रहे थे। मलबे से जान बचाकर सलामत रहने वाले लोग कह रहे थे कि मलबे में बहने के दौरान ऐसा महसूस हो रहा था कि किसी कैमिकल से उनके कपड़े फट रहे हो।