न इसमें पच्चीकारी का काम है और न ये कीमती पत्थरों से सजाया गया है.

बस जज़्बा वही है जो शाहजहाँ का था. अपनी बीवी से बेपनाह मोहब्बत.

बेगम से वादा

बादशाह शाहजहाँ नहीं पर शाहजहाँ से कम भी नहीं

और शाहजहाँ ही की तरह अब ये इमारत रिटायर्ड पोस्टमास्टर फ़ैजुल हसन कादरी की ज़िंदगी का मकसद है.

वो आगरा से तकरीबन 100 मील दूर स्थित बुलंदशहर के एक छोटे से गाँव में रहते हैं.

उन्होंने अपनी पत्नी तज्जमुली बेगम से एक वादा किया था.

मकबरा

बादशाह शाहजहाँ नहीं पर शाहजहाँ से कम भी नहीं

उस वादे का ज़िक्र करते हुए हसन कादरी कहते हैं, "ऐसा है कि मेरे कोई बच्चा नहीं था और उसकी वजह से बेगम को यह एहसास था कि हमारा कोई ज़िक्र भी नहीं करेगा, कोई नाम न लेगा. मैंने उससे यह वादा किया था कि अगर उसका इंतकाल मुझसे पहले हो गया तो मैं उसका ऐसा मकबरा बनाउंगा कि लोग उसको बरसों याद रखेंगे."

यादगार

बादशाह शाहजहाँ नहीं पर शाहजहाँ से कम भी नहीं

तजुम्मली बेगम को गुजरे अभी सिर्फ डेढ़ साल हो चुके हैं लेकिन उनकी यादगार पर आधे से ज्यादा काम पूरा हो चुका है.

10 लाख रुपए से ज़्यादा लग चुके हैं और कम से कम छह लाख रुपए की अभी और जरूरत होगी.

वक्त और पैसा

बादशाह शाहजहाँ नहीं पर शाहजहाँ से कम भी नहीं

फ़ैजुल हसन कादरी की उम्र 77 साल हो चुकी है. उनके पास अब वक्त और पैसे दोनों की कमी है.

लेकिन वो किसी से कोई मदद नहीं लेते. इस पर हसन कादरी कहते हैं, " ये किसी पीर का मज़ार नहीं है. यह सिर्फ मेरी बीवी का मज़ार है और बीवी का मज़ार होने की वजह से अगर मैं किसी से कुछ पैसा लेकर इसमें लगाऊं तो लोग कहेंगे कि कब्र चंदे की है. ये नहीं हो सकता."

एहसास

बादशाह शाहजहाँ नहीं पर शाहजहाँ से कम भी नहीं

बेगम के गुजर जाने के बाद जिंदगी में आए बदलावों पर हसन कादरी कहते हैं, "इतना लंबा साथ रहा, ज़ाहिर बात है मोहब्बत तो बढ़ती है. वो मेरे ख्याल में वो हर वक्त छाई रहती है. उसके मरने के बाद ये एहसास हुआ."

न दवा, न दुआ

बादशाह शाहजहाँ नहीं पर शाहजहाँ से कम भी नहीं

कादरी ने अपनी बेगम को याद करते हुए एक शेर पढ़ा, "मेरी जिंदगी में या रब ये कैसी शाम आई. न दवा ही काम आई और न दुआ ही."

जैसे जैसे इस नए ताजमहल की खबर फैली है. आस-पास के देहात के लोग इसे देखने आने लगे हैं.

कादरी का ताजमहल

बादशाह शाहजहाँ नहीं पर शाहजहाँ से कम भी नहीं

कादरी के ताजमहल को देखने आई एक महिला कहती हैं, "यही कहते हैं सब लोग कि उन्होंने ऐसा कुछ बनवाया है जो बहुत अच्छा है. जिसको वहाँ नहीं मिलता, वह यहाँ क्लिक करें ताजमहल देख लेगा."

कादरी कहते हैं:

"छोड़ दो अब ये दुनिया तुम्हारी नहीं. दुनियावालों को बस एक नज़र देख लो.

आज जन्नत सजी है तुम्हारे लिए, बाग-ए-जन्नत के बर्गोसज़र देख लो.

जाओ बेगम फ़ैजुल हसन कादरी जन्नत में जाकर अपना घर देख लो."

गैरमामूली दास्तान

बादशाह शाहजहाँ नहीं पर शाहजहाँ से कम भी नहीं

फ़ैजुल हसन और उनके ताजमहल का जिक्र कभी अफ़सानों में तो नहीं होगा.

लेकिन उनके जाने के बाद भी जब-जब लोग इस इमारत को देखेंगे तो उनकी गैरमामूली दास्तां-ए-मोहब्बत का जिक्र जरूर होगा.

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