- हाईड्रोटेस्ट नहीं करवा रहे है सीएनजी युक्त वाहन ओनर्स

- शहर में भी बनाए जा रहे है जांच के फर्जी सर्टिफिकेट

<- हाईड्रोटेस्ट नहीं करवा रहे है सीएनजी युक्त वाहन ओनर्स

- शहर में भी बनाए जा रहे है जांच के फर्जी सर्टिफिकेट

BAREILLY:

BAREILLY:

लापरवाही की स्थिति वाकई बेहद चिंताजनक है। जिम्मेदार विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है, और शहर में बिना किसी रोकटोक के खुलेआम खतरनाक सीएनजी वाहन फर्राटा भर रहे हैं। यह वाहन कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बेहद गंभीर बात यह है कि सीएनजी गैस मिलती रहे, इसके लिए सीएनजी वाहन के ओनर्स फर्जीवाड़ा करके भी हाइड्रो टेस्ट का फर्जी सर्टिफिकेट आरटीओ में जमा कर रहे हैं, मामला खुलने के बाद अब विभाग के हाथ पांव फूल गए हैं और वह सीएनजी पंप को ऐसे व्हीकल को गैस न देने का आदेश जारी किया है, जिनकी तीन साल की मियाद पूरी होने के बाद भी उनका हाइड्रो टेस्ट नहीं कराया गया है।

यह है पूरा मामला

दरअसल, सीएनजी से चलने वाले वाहनों के लिए नियम है कि वह हर तीन साल में गैस टंकी की जांच करवाएंगे, क्योंकि तीन साल में टंकी के खराब होने, सील खुल जाने, वाल्व खराब होने का खतरा होता है। ऐसे में हर वाहन को तीन साल पूरा होने पर गैस टंकी की जांच करवाना अनिवार्य होता है। इस जांच में टंकी को चेक करके उसको दोबारा सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। यह एक बेहद जरुरी प्रकिया होती है, जिस पर आरटीओ को निगरानी करने का आदेश है। इसको हाइड्रो टेस्ट कहा जाता है।

ख् हजार से ज्यादा वाहनों को नहीं हुआ टेस्ट

चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले दिनों सीयूजीएल ने आरटीओ को एक लिस्ट सौंपी है। जिसमें यह मेंशन किया गया है कि सिटी में सीएनजी से चलने वाले वाहनों में करीब दो हजार अपनी तीन साल की मियाद पूरी कर चुके हैं। ऐसे में यह वाहन कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं। लिस्ट का पता चलने के बाद आरटीओ ने सीएनजी पंप को निर्देश दिए कि उनको गैस न दिया जाए। जब सख्ती हुई तो ऑटो चालकों ने फर्जीवाड़ा करना शुरू कर दिया।

फर्जी सर्टिफिकेट का सहारा

ऑटो चालक अरूण कुमार ने आगरा की एक लैब से फ्यूल टैंक की जांच का सर्टिफिकेट आरटीओ में जमा किया है। जिसका टेस्ट रिपोर्ट नंबर क्ब्/द्म/फ्9भ् है। जबकि, सीरियल नंबर क्क्7 है। विभाग को मामला संदिग्ध लगा तो उन्होंने संबंधित लैब पर फोन करके जानकारी ली तो पता चला कि इस नंबर का सर्टिफिकेट किसी श्याम बाबू के नाम से जारी किया है। उनका वाहन नंबर यूपी ख्भ् एटी ख्भ्फ्भ् है। इसके बाद आरटीओ के अधिकारी चौंक गए।

शहर में चल रहा खुलेआम धंधा

दरअसल, सिटी में सीएनजी तो कई साल पहले शुरू हो गई, लेकिन वाहनों के हाइड्रो टेस्ट का सेंटर यहां पर नहीं है। हाइड्रो टेस्ट करवाने के लिए आगरा, लखनऊ, दिल्ली जाना पड़ता है। वहां पर टेस्ट कराके रसीद को यहां पर आरटीओ ऑफिस में जमा करनी पड़ती है, लेकिन इन शहरों में सिर्फ हाइड्रो टेस्ट के चक्कर में जाने से बचने के लिए यहां पर फर्जीवाड़े का खेल भी शुरू हो चुका है। सोर्स बताते हैं कि शहर में कई जगहों पर भ्00 रुपए देकर हाइड्रो टेस्ट का फर्जी सर्टिफिकेट बनाया जा रहा है।

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कभी भी हादसे का बन सकते हैं कारण

सिटी में हजारों ऐसे सीएनजी वाहन हैं, जो कि यहां के बाशिंदों के लिए खतरनाक बन गए हैं। सिटी में सीएनजी वाले वाहनों की संख्या करीब दस हजार है। जिसमें से ख् हजार से अधिक वाहन ओनर्स ने फ्यूल टैंक की जांच यानी की हाइड्रो टेस्ट नहीं करवाया है। इनमें से सबसे अधिक ऑटो की संख्या है। सैकड़ों वाहनों की तो नवंबर में ही फ्यूल टैंक की मियाद पूरी हो चुकी है, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने हाइड्रो टेस्ट नहीं करवाया है। यह टेस्ट नहीं करवाने वालों की लिस्ट कार्रवाई के लिए सीयूजीएल ने आरटीओ विभाग को सौंप रखी है।

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सख्ती की तो भड़के थे, फिर मिलनी शुरू हुई

चीफ एक्सप्लोसिव कंट्रोलर ऑफिसर ने पूरे प्रदेश के सभी सीएनजी पंप इंचार्ज को इस संबंध में एक निर्देश जारी किए थे कि बिना हाईड्रो टेस्ट हुए वाहन ओनर्स को सीएनजी न दी जाए। लेकिन, ऐसा करने पर ऑटो चालकों ने पंप पर जमकर बवाल मचाया था। जिसके बाद बिना हाइड्रो जांच के भी वाहनों को फ्यूल दिया जाने लगा। जबकि, रूल्स के मुताबिक हर तीन साल में एक बार टैंक की जांच करवाना बेहद जरुरी है। लेकिन, जांच के दो से तीन सौ रुपए बचाने के चक्कर में वाहन ओनर्स की यह लापरवाही शहरियों के लिए खतरनाक हो रही है।

लैब में सीएनजी टैंक की स्टे्रंथ जांची जाती है। क्योंकि समय के साथ फ्यूल टैंक कमजोर पड़ जाता है। सीएनजी पंप पर जब प्रेशर दिया जाता है तो, टैंक गैस के प्रेशर को झेल नहीं पाता है। जिसकी वजह से टैंक से गैस रिसाव का डर बना रहता है। फ्यूल टैंक के फटने की संभावना भी अधिक होती है। एक्सपर्ट की मानें तो, वाहनों में लगी टंकी मेटल के बने होते हैं। समय के साथ टैंकी में क्रोजन हो जाता है। जिसके चलते गैस रिसाव होने का डर रहता है।

शहर में खुला है फर्जी सर्टिफिकेट का धंधा

यदि, लैब में जांच कराया जाए तो हाइड्रोटेस्ट का फ्भ्0 रुपए तक खर्च आता है। जबकि, शहर में कई जगह भ्00-भ्00 रुपए लेकर फर्जी जांच सर्टिफिकेट बनाने का भी खेल चल रहा है। शहर के बाहर जांच के लिए फ्यूल टैंक न ले जाना पड़े इसके लिए वाहन ओनर्स फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने से भी कोताही नहीं कर रहे है।

फिटनेस जांच के दौरान हाइड्रोटेस्ट किए जाने का फर्जी सर्टिफिकेट ऑटो चालक के पास से मिला था। ऑटो का फिटनेस करने को इंकार कर दिया गया। चालक को लैब से बकायदा टैंक की जांच करवा कर आने की बात कही गयी।

वीके चौधरी, आरआई, आरटीओ विभाग

शहर में सीएनजी किट लगाने वाले कई दुकानदार ऐसे है जोकि, भ्00 रुपए लेकर फर्जी सर्टिफिकेट दे रहे हैं। इस बात की शिकायत आरटीओ इंफोर्समेंट अधिकारियों से भी की गई है।

गुरुदर्शन सिंह, सेक्रेटरी, ऑटो चालक कल्याण सोसायटी