-फर्जी यूनिवर्सिटी घोषित वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय के नाम पर जालसाजी का धंधा जारी

-वेरीफिकेशन में पकड़ी गई सन् 1991 में जारी एमएससी मैथ की फर्जी डिग्री

-नई दिल्ली के सेंट मार्क सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल को भेजी गयी रिपोर्ट

VARANASI

संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी में डिग्री की जालसाजी के रुकने का नाम नहीं ले रही है। यूनिवर्सिटी के नाम पर जालसाजी का नया मामला सामने आया है। यहां शास्त्री व आचार्य की पढ़ाई होती है। लेकिन जालसाज यूनिवर्सिटी के नाम पर एमएससी की डिग्री जारी कर रहे हैं। वेरीफिकेशन में एमएससी मैथ की फर्जी डिग्री पकड़ी गई। सन् 1991 की यह डिग्री वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय के नाम से जारी की गयी है। बहरहाल डिग्री फर्जी होने की रिपोर्ट यूनिवर्सिटी ने संबंधित संस्था को भेज दी है।

वेरीफिकेशन में खुल रही पोल

यूनिवर्सिटी की स्थापना सन् 1791 में राजकीय संस्कृत कॉलेज के रूप में हुई थी। सन् 1958 में इसे राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। वहीं इसका नाम बदल कर वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय कर दिया गया। सन् 1974 में इसका नाम एक बार फिर बदलकर संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी कर दिया गया। यूजीसी ने वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय का नाम अब फर्जी यूनिवर्सिटी की लिस्ट में शामिल कर लिया है। इसके बावजूद जालसाज अब भी इस नाम का मिसयूज कर रहे हैं। इतना ही नहीं वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय के नाम से एमबीबीएस तक की डिग्री जारी की जा रही है। हालांकि वेरीफिकेशन में पोल खुल जा रही है।

ये है मामला

यूनिवर्सिटी में दिल्ली के सेंट मार्क सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल ने वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय के नाम से जारी एमएससी की डिग्री का वेरीफिकेशन करने को भेजा था। इसमें मोहन सिंह नामक परीक्षार्थी को फ‌र्स्ट क्लास से पास दर्शाया गया है। वहीं परीक्षा विभाग ने इसकी रिपोर्ट भी भेज दी है। इसमें कहा गया है वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय नाम का कोई विश्वविद्यालय वाराणसी में नहीं है।

एसआइटी कर रही जांच

संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के लिए फर्जी डिग्रियों का मामला कोई नया नहीं हैं। यूनिवर्सिटी के नाम की फर्जी डिग्री के आधार पर विभिन्न प्राइमरी स्कूल्स में नौकरी कर रहे सैकड़ों शिक्षक पिछले दो सालों में बर्खास्त किए जा चुके हैं। बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा को देखते हुए इस मामले की जांच एसआइटी को सौंपी गयी है।